Friday, 6 May 2016

दुखों की धूप में चलता हूं पांव जलते हैं...


दुखों की धूप में चलता हूं पांव जलते हैं,
छाले फूट-फूट कर आंसुओं में ढलते हैं
न सुख की सांस कहीं सायादार पेड़ मिला,
बड़े नसीब से साथी सफर में मिलते हैं।
जुनून-ए-जोश अभी तक तो जवां है मेरा,
उम्र के पिछले पहर में ही रंग बदलते हैं।
ख्वाब औलाद का पलता है खुशख्याली से,
सहारा कितने बुजुर्गों के बच्चे बनते हैं।
अभी तो मेल-ओ-मुहब्बत जहां में है,
भरी बहार में कांटों में फूल खिलते हैं।

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