Thursday, 12 May 2016

गेम इन गेम का स्याह सच

भारतीय महिला फुटबाल की पूर्व कप्तान सोना चौधरी द्वारा अपनी पुस्तक गेम इन गेम के माध्यम से महिला खिलाड़ियों के शारीरिक शोषण के खिलाफ उठाई गई बुलंद आवाज एक बार फिर सुर्खियां बटोरने के बाद हवा-हवाई हो सकती है। इससे पूर्व भी कई महिला खिलाड़ी अपने प्रशिक्षकों और खेल से जुड़े खेलनहारों पर ऐसे खुलासे कर चुकी हैं लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही निकला है। इससे पूर्व भारतीय हाकी के प्रशिक्षक रहे महाराज किशन कौशिक पर भी आशिकमिजाजी के गम्भीर आरोप लगे थे जोकि बाद में सुर्खियां बटोरने के बाद दफन कर दिए गये। भारतीय फुटबाल के प्रमुख प्रफुल्ल पटेल की कही बातों से ही साफ हो गया है कि इस मामले में भी कोई कार्रवाई होने की बजाय सोना चौधरी को ही कसूरवार ठहरा दिया जाएगा।
जिस समय हाकी प्रशिक्षक कौशिक पर महिला खिलाड़ी ने आरोप लगाए थे उस समय हाकी के द्रोणाचार्य बलदेव सिंह चीख-चीख कर बता रहे थे कि कौशिक महिला खिलाड़ियों को लड़ाकर अपना मकसद हल करते थे। गौरतलब है कि उस समय बलदेव सिंह शाहाबाद में महिला हाकी खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देते थे। हरियाणा के शाहाबाद ने देश को एक दर्जन से भी अधिक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी दिए हैं। बकौल बलदेव उनकी कुड़ियां ही उन्हें बताती थी कि कौशिक अच्छा आदमी नहीं है। जो भी हो बाद में एम.के. कौशिक बेदाग बरी हुए और आजकल वे मध्यप्रदेश राज्य हाकी एकेडमियों के सलाहकार-प्रशिक्षक हैं। अभी मध्यप्रदेश के ही मुरैना जिले के खेल एवं युवा कल्याण विभाग में पदस्थ एक बाबू पर भी महिला एथलेटिक्स प्रशिक्षक ने गम्भीर आरोप लगाए हैं। जिसकी जांच पुलिस के आलाधिकारी कर रहे हैं। महिला खिलाड़ियों पर बदनीयती का यह नया मामला नहीं है। अब तक अनगिनत ऐसे मामले आए लेकिन किसी भी खेलनहार को ऐसी सजा नहीं मिली जो खेलजगत के लिए नजीर बनती। जो भी हो महिला खिलाड़ियों के हिम्मत की दाद देनी होगी जोकि वे अपने करियर को संकट में डालकर भी नीच-कमीनों के खिलाफ मुंह तो खोलती हैं। देर ही सही एक न एक दिन महिला खिलाड़ियों को न्याय जरूर मिलेगा।

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