Wednesday, 25 May 2016

ग्वालियर-चम्बल का रिंग मास्टर



तरनेश तपन ने जगाई बाक्सिंग की अलख
ग्वालियर। मध्यप्रदेश में बाक्सिंग के वैसे तो बहुत सारे प्रशिक्षक प्रतिभा निखारने का दम्भ भरते हैं लेकिन बिना संसाधनों के ग्वालियर-चम्बल सम्भाग ने यदि किसी ने बाक्सिंग की अलख जगाई है तो वह शख्स है रियल हीरो अवार्डी तरनेश तपन। यह अतिश्योक्ति नहीं हकीकत है। बाक्सिंग के क्षेत्र में जो काम तरनेश तपन ने किया है उसका दूसरा उदाहरण मिलना कठिन है। विद्युत विभाग में कार्यरत इस शख्स ने एक दशक में ही सैकड़ों ऐसी प्रतिभाएं दीं जिन पर मध्यप्रदेश गर्व कर सकता है।
खेलप्रेमियों को यह जानकर हैरानी होगी कि एक समय ग्वालियर-चम्बल सम्भाग में मुक्केबाजी का कोई नाम लेवैया भी नहीं था। लोग जानते भी नहीं थे कि आखिर मुक्केबाजी क्या बला है। ऐसे समय में बाक्सिंग को धरातल देने का सपना तरनेश तपन ने देखा। वह स्वयं भी कोई बाक्सर नहीं थे और न ही उन्हें इस खेल की एबीसी मालूम थी। प्रतिभाओं को हुनरमंद बनाने से पहले इस शख्स ने इस खेल की बारीकियों को स्वयं आत्मसात किया उसके बाद की कहानी सबके सामने है। आज बाक्सिंग के क्षेत्र में ग्वालियर प्रतिभाओं की खान है। यहां की बेटियों ने रिंग में नित नए आयाम स्थापित किये हैं। वे आज मध्यप्रदेश ही नहीं मुल्क में बाक्सिंग की पहचान हैं। प्रियंका और प्रीति सोनी बहनों की शानदार सफलता ने तरनेश जी को न केवल आत्मबल प्रदान किया बल्कि उन्होंने इस खेल को ही अपनी धड़कन मान लिया।
अंचल को बाक्सिंग में अब तक आधा दर्जन एकलव्य देने वाले तरनेश तपन वाकई ग्वालियर अंचल के अनूठे रिंग मास्टर हैं। सोते-जगते उन्हें सिर्फ और सिर्फ बाक्सिंग से वास्ता है। खेल संगठनों की ओपन प्रतियोगिताएं हों या फिर स्कूल नेशनल हर तरफ उनसे प्रशिक्षण प्राप्त प्रतिभाएं अपने दमदार मुक्कों से ग्वालियर का नाम रोशन कर रही हैं। तरनेश जी से गुर सीखने वाले बाक्सर सिर्फ मुल्क ही नहीं मुल्क से बाहर भी अपने मुक्कों की ताकत का अहसास करा रहे हैं। सर्बिया में तरनेश तपन की शिष्या अंजली शर्मा ने भारत का प्रतिनिधित्व कर न केवल रजत पदक जीता बल्कि ग्वालियर के भाल पर गौरव का टीका लगा दिया। मुझे आज भी उदीयमान बाक्सरों की दो लाइनें तरनेश जी की अथक मेहनत का ही प्रतिफल नजर आती हैं। हम तरनेश तपन के चेले हैं, मार-मार कर खेले हैं। इन शब्दों में उस हकीकत का सम्पुट है, जिसे तरनेश तपन जी हर पर जीते हैं। मैं इस शख्स से जब भी मिला उसमें भारतीय मुक्केबाजी को लेकर एक तड़प सी दिखी। भारतीय मुक्केबाजी संघ के अंदरखाने जो भी चल रहा हो यह शख्स बाक्सरों के नुकसान को लेकर काफी व्यथित है। तरनेश जी की मुक्केबाजी को लेकर वेदना वाजिब भी है। आखिर मेहनत का फल तो हर प्रशिक्षक का अधिकार है।
रिंग में की गई तरनेश जी की मेहनत और तपस्या कभी अकारथ न जाए इसी दुआ के साथ उन्हें मेरी हार्दिक शुभकामना, जयहिन्द।

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