चान यून टिंग डेविड बेकहम का खेल देख कर बड़ी हुई हैं। उनके मन में भी फुटबॉल खेलने की लालसा जगी, पर रूढ़िवादी चीनी परिवार की इस लड़की को इजाजत नहीं मिली। लेकिन अपने हौसले के दम पर उन्होंने अपने मार्गदर्शन में पुरुषों की फुटबॉल टीम को हांगकांग फुटबॉल लीग का चैम्पियन बना डाला़ और इस उपलब्धि के साथ चान टिंग किसी भी देश में क्लब स्तर के शीर्ष फुटबॉल टूर्नामेंट में पुरुष टीम को चैम्पियन बनाने वाली पहली महिला कोच बन गयीं, जिसके लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में उनका नाम दर्ज हो चुका है।
२७ वर्षीय चान यून टिंग पिछले साल दिसम्बर में जब ईस्टर्न स्पोर्ट्स क्लब की कोच बनीं थीं, तो उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती यही थी कि उन्हें उन पुरुषों को फुटबॉल के खेल की बारीकियों के साथ जीत का मंत्र सिखाना था, जो उम्र में उनसे काफी बड़े थे लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और हौसले के साथ इस चुनौती का सामना किया और इसका नतीजा तब आया, जब उनके दिशा-निर्देशन में ईस्टर्न स्पोर्ट्स क्लब ने चार महीने से भी कम समय के अंदर हांगकांग फुटबॉल लीग २०१६ का खिताब अपने नाम कर लिया। अपने अंतिम मुकाबले में चान टिंग की टीम ने हांगकांग के तेंग कान ओ स्पोर्ट्स ग्राउंड पर दक्षिण चीन की टीम को एक के मुकाबले दो गोलों से हराया।
यहां यह जानना जरूरी है कि अपने २१ वर्षों के इतिहास में इस टीम के लिए यह पहला मौका था, जब उसने चैम्पियन की ट्रॉफी पर कब्जा जमाया और इस उपलब्धि के साथ चान टिंग किसी भी देश में क्लब स्तर के शीर्ष फुटबॉल टूर्नामेंट में पुरुष टीम को चैम्पियन बनाने वाली पहली महिला कोच बन गयीं, जिसके लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में उनका नाम दर्ज हो चुका है।
अंग्रेजी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स को दिये एक इंटरव्यू में चान टिंग कहती हैं कि बीते दिसम्बर में जब हमारी टीम के मुख्य कोच येग चिंग कोंग ने चीन के मीझाऊ क्लब से जुड़ने का फैसला किया, तो सहायक कोच होने के नाते मुझे उनकी जिम्मेवारी निभाने की पेशकश की गयी और मैंने इसे स्वीकार कर लिया। तब इस फैसले पर कई सवाल उठे थे। कहा गया कि टीम को कोचिंग देने की जिम्मेवारी एक ऐसी महिला कैसे निभा पायेगी, जिसने कभी कोई पेशेवर फुटबॉल नहीं खेला है।
लेकिन मेरी कोचिंग में ईस्टर्न स्पोर्ट्स क्लब ने हांगकांग फुटबॉल लीग २०१६ जीत कर सभी आलोचकों का मुंह बंद कर दिया है। यही नहीं, चैम्पियन बनने के इस सफर में चान टिंग की टीम को १५ मैचों में सिर्फ एक हार का सामना करना पड़ा।
खेल लड़कियों के लिए नहीं
चान टिंग कहती हैं कि मैं डेविड बेकहम के खेल की दीवानी हूं और उनसे मुझे फुटबॉल खेलने की प्रेरणा मिली। लेकिन पड़ोसी देश जापान की टीम ने वर्ष २०११ में जब महिला फुटबॉल वर्ल्ड कप का खिताब जीता, तो इस खेल के प्रति मेरा जुनून और पक्का हो गया। चान टिंग बताती हैं कि वह एक रूढ़िवादी परिवार से ताल्लुक रखती हैं, जो लड़कियों के बाहर जाकर काम करने के विरुद्ध था। वह कहती हैं, जब मैं १३ साल की थी, तब मैंने अपने परिजनों से फुटबॉल खेलने की इजाजत मांगी थी, लेकिन उन्होंने साफ मना कर दिया था, क्योंकि चीन की संस्कृति के अनुसार फुटबॉल का खेल लड़कियों के लिए नहीं है।
मेरे परिजनों ने मुझसे कहा कि मुझे डांस या चित्रकारी सीखना चाहिए, फुटबॉल तो हरगिज नहीं। लेकिन चान टिंग तब भी अपने इरादों की उतनी ही पक्की थीं, जितनी आज वह हैं। वह कहती हैं, १५ साल की उम्र में मैंने समर ट्रेनिंग प्रोग्राम के फॉर्म पर मां के नकली हस्ताक्षर कर फुटबॉल क्लब में दाखिला ले लिया। चान टिंग कहती हैं, क्लब में जब हमने फुटबॉल खेलना शुरू किया, तब हम सभी लड़कियां डेविड की दीवानी थीं। मैं हमेशा बेकहम के बारे में जानना चाहती थी, इसके लिए मैं उनके वीडियो देखा करती और वैसे ही खेलने की कोशिश करती।
चुनौतियों का सामना
अपनी जिंदगी से फुटबॉल को जोड़ चुकीं चान टिंग ने फैसला कर लिया था कि उनका करियर फुटबॉल के ही इर्द-गिर्द घूमेगा। लेकिन इस खेल के साथ चान टिंग का अब तक का सफर आसान नहीं रहा है़ फुटबॉल में पहला काम उन्हें पेगेसस एफसी टीम में डेटा एनालिस्ट का मिला। लेकिन कुछ ही दिनों बाद स्पांसर्स ने टीम का साथ छोड़ दिया और चान टिंग की नौकरी चली गयी। तब उन्हें लगा कि फुटबॉल के साथ उनका रिश्ता बस यहीं तक था। वह कहती हैं, मैं उस समय टीचर, पुलिसकर्मी कुछ भी बनने के लिए तैयार थी लेकिन दोस्तों के समझाने पर मैंने फुटबॉल के साथ ही संघर्ष करने का फैसला किया।
ईस्टर्न टीम की मुख्य कोच बनाये जाने के बाद प्रीमियर लीग में अच्छा खेल दिखाने के बावजूद अन्य टूर्नामेंट्स के महत्वपूर्ण मैचों में उसे हार झेलनी पड़ी। वह कहती हैं, तब मुझे खुद पर संदेह होने लगा था कि मैं इस काम के लायक हूं भी या नहीं। लेकिन खिलाड़ियों और अन्य कोचिंग स्टाफ के सहयोग से मैं इस मुश्किल से भी उबर गयी़।
बातें भविष्य की
अपने कॉलेज के दिनों में भूगोल की छात्रा रहीं चान टिंग, भविष्य में बतौर सहायक कोच, यूरोपियन टीमों के साथ काम करना चाहती हैं। वह कहती हैं, मैं जापान, कोरिया या ब्रिटेन और अमेरिका जाकर अपने स्किल्स को और निखारना चाहती हूं। मैं तकनीकी बारीकियां सीख कर हांगकांग में फुटबॉल के खेल को और बेहतर बनाना चाहती हूं। इसके लिए मुझे बाहर किसी बड़े क्लब के साथ काम करना ही होगा। दुनिया भर में क्लब स्तर के शीर्ष फुटबॉल टूर्नामेंट में पुरुष टीम को चैम्पियन बनाने वाली पहली महिला कोच बनने की खास उपलब्धि के लिए गिनीज बुक में अपना नाम दर्ज करा चुकीं चान टिंग कहती हैं, इस खिताब से नवाजा जाना मेरे लिए सम्मान की बात है़ इसके लिए उन सब का शुक्रिया अदा करना चाहती हूं, जिन्होंने इस सफर में मेरा साथ दिया। वहीं, गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ग्रेटर चाइना के अध्यक्ष रोवान साइमन्स ने चान टिंग को बधाई देते हुए कहा है कि उन्होंने फुटबॉल के खेल में एक नया अध्याय लिख डाला है और हमें उम्मीद है कि उनकी इस सफलता से उत्साहित होकर दुनिया भर की महिलाएं हर मोर्चे पर अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराएंगी।
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