Wednesday 25 May 2016

बाबू के गुनाह का अंत करीब


मंत्री के पीए ने कहा उसे गिरफ्तार करो
ग्वालियर। दस साल खेल एवं युवा कल्याण विभाग में सेवा का उसे ऐसा प्रतिफल मिलेगा, उसने सपने में भी नहीं सोचा था। एक बाबू की बदनीयती से आजिज वह न्याय की गुहार लगाने किस-किस के पास नहीं गई, लेकिन उस दुखियारी को हर चौखट पर न्याय के नाम पर कहीं साक्ष्य दिखाने तो कहीं नौकरी चले जाने का खौफ दिखाया गया। एक बाबू की बुरी नजर के बाद अब वह शायद ही मुरैना में रुके और खिलाड़ियों की प्रतिभा निखारे। यह किसी उपन्यास का सार नहीं बल्कि मुरैना में पदस्थ एक बाबू का अपने ही विभाग में पदस्थ महिला प्रशिक्षक से बदसलूकी का जीवंत और शर्मनाक उदाहरण है।
मुरैना में 24 साल से पदस्थ इस बाबू को होना तो छत्तीसगढ़ चाहिए लेकिन खेल विभाग की ही एक बड़ी तोप के रहमोकरम से वह लगातार नियम-कायदों का चीरहरण कर रहा है। इस बेखौफ बाबू की शिकायतें लगातार हो रही हैं। मीडिया में भी वह चर्चा में है। कई मीडियाकर्मियों ने जिला अधिकारी से भी इसकी करतूतें उजागर कीं लेकिन अभी तक जांच के नाम पर सिर्फ और सिर्फ लीपा-पोती हुई है। इस बाबू के संगी-साथियों की कही सच मानें तो यह हर किसी पर कुदृष्टि डालने की कुचेष्टा करता है, यहां तक कि उसकी नीयत नाबालिगों पर भी रहम नहीं खाती। पिछले ढाई महीने से एक महिला प्रशिक्षक इस बाबू की कारगुजारियां सुनाते-सुनाते तंग आ गई है। उसे कहीं से न्याय की उम्मीद नजर नहीं आ रही। इस मामले में खेल विभाग के उच्चाधिकारियों का रवैया भी कई सवालों को जन्म देता है।
देखा जाए तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने मध्यप्रदेश में खेलों के कायाकल्प की दिशा में सराहनीय कार्य किये हैं लेकिन विभाग के ही कुछ कपूतों ने महिला प्रशिक्षकों का जीना दूभर करने में कोई कोताही नहीं बरती। इसी वजह से अब तक लगभग एक दर्जन महिला प्रशिक्षकों का विभाग से मोहभंग हो चुका है। महिला प्रशिक्षकों ने जब-जब कदाचरण के आरोप लगाए, उन्हें न्याय मिलने के बजाय विभाग से ही विदा होना पड़ा। मुरैना का यह मामला भी कुछ उसी दिशा में जाता दिख रहा है। सोचने वाली बात है कि कोई शादीशुदा महिला किसी पर झूठा आरोप क्यों लगाएगी।

सैयां भये कोतवाल तो डर काहे का। कुछ इसी तर्ज पर यह बाबू भोपाल में बैठे एक उच्च पदाधिकारी के उच्चस्तरीय मैनेजमेंट से न केवल बच रहा है बल्कि हर किसी को ठेंगा दिखाने से भी बाज नहीं आ रहा। कहते हैं कि एक न एक दिन पाप का घड़ा जरूर भरता है लेकिन शायद इस बाबू के पाप के घड़े में अभी कुछ बूंदें खाली हैं। जो भी हो इस प्रकरण की भनक अब मंत्री से संचालक तक होने के बाद पाप का घड़ा किसी दिन भी फूट सकता है। सूत्रों की कही सच मानें तो मंत्री के पी.ए. ने इस बाबू को तत्काल गिरफ्तार करने तो खेल विभाग के ही एक आलाधिकारी ने इसे छत्तीसगढ़ भेजने को कहा है। यह बाबू अपने बचाव के लिए विभागीय कर्मियों सहित अपनी ही बिरादरी के एक विधायक से मिन्नतें कर रहा है। इस प्रकरण में बेहतर होगा बाबू का तबादला कर निष्पक्ष जांच हो ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। इस बाबू के मददगारों की अपनी मजबूरी है। उन्हें पता है कि इसका साथ न दिया तो फर्जी दस्तावेजों से मिली उनकी नौकरी कभी भी जा सकती है।

2 comments:

  1. गुरु आप ग्रेट हो,
    आपके लेख पढ़कर पूरे शरीर में एक नया जौश भर जाता है। सच में गुरु आज के समय में सच लिखना बहुत हिम्मत का काम है।
    सचिन श्रीवास्तव

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