Thursday, 26 May 2016

क्या अब राज्यवर्धन सिंह राठौर होंगे देश के खेल मंत्री!

तेली का काम तम्बोली से आखिर कब तक
ग्वालियर। खण्डित जनादेश पर फतह हासिल करने के बाद भारतीय जनता पार्टी लोकतंत्र की सोलहवीं पारी नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में खेल रही है। उसके दो साल पूरे हो चुके हैं। यह ओलम्पिक वर्ष है। सर्बानंद सोनोवाल की असम के मुख्यमंत्री पद पर ताजपोशी हो गई है, ऐसे में हर खेलप्रेमी के मन में एक ही सवाल है कि क्या मोदी ओलम्पिक पदकधारी राज्यवर्धन सिंह राठौर को खेलमंत्री पद का दायित्व सौंपेंगे या एक बार फिर तेली का काम तम्बोली ही करेगा।
देखा जाए तो राजनीतिज्ञों को खेल मंत्रालय कभी रास नहीं आया,  इसे देखते हुए खिलाडिय़ों और खेलप्रेमियों के मन में है कि अब मोदी किसी और को नहीं बल्कि ओलम्पिक पदकधारी राज्यवर्धन सिंह राठौर को खेलमंत्री पद का दायित्व सौंपकर रियो ओलम्पिक से पहले अपनी शुचिता का परिचय दें। आजादी के बाद से भारतीय लोकतंत्र के चुनावी महासंग्राम में दर्जनों खिलाड़ी जीते हैं लेकिन आज तक कोई खिलाड़ी खेल मंत्री नहीं बना है। संसद और सरकार में खिलाडिय़ों को खास तवज्जो न मिलने के कारण ही मुल्क में खेल संस्कृति विकसित नहीं हो सकी है।
दुनिया के छोटे-छोटे देश जहां खेलों में विजय नाद कर रहे हैं वहीं बड़े खेल मंचों पर भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन हमेशा थू-थू करने वाला रहा है। ब्राजील में पांच से 21 अगस्त तक होने जा रहे 31वें ओलम्पिक खेलों की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। सर्बानंद सोनोवाल का लक्ष्य इस बार 10 पदकों का रहा है लेकिन खिलाड़ियों के प्रदर्शन को देखते हुए नहीं लगता कि ऐसा हो पाएगा। इन खेलों में भारतीय खिलाड़ी अपना पिछला प्रदर्शन भी दोहरा पाएं तो बड़ी बात होगी।
देश की सोलहवीं संसद में भारतीय जनता पार्टी की तरफ से दो खिलाड़ी शूटर राज्यवर्धन सिंह राठौर और क्रिकेटर कीर्ति आजाद पहुंचे हैं। कीर्ति आजाद की साफगोई पार्टी को रास नहीं आई और वे फिलवक्त लूप-लाइन में हैं। जयपुर ग्रामीण सीट फतह करने वाले राज्यवर्धन सिंह राठौर अपने दायित्व का सलीके से निर्वहन कर रहे हैं बावजूद इसके यदि उन्हें खेलमंत्री का पद मिल जाए तो वह और बेहतर कर सकते हैं। अतीत पर नजर डालें तो उमा भारती भी अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में खेलमंत्री का दायित्व सम्हाल चुकी हैं। अटल बिहारी बाजपेयी के भांजे अनूप मिश्रा भी मुरैना फतह कर संसद पहुंचे हैं। श्री मिश्रा मध्यप्रदेश के खेल मंत्री रह चुके हैं। चूंकि आजाद भारत में खेल मंत्रालय को लेकर कभी किसी सरकार में कोई नूरा-कुश्ती नहीं हुई लिहाजा मौजूदा हालातों को देखते हुए खेल मंत्री के रूप में राज्यवर्धन सिंह राठौर से बेहतर कोई और नहीं हो सकता। प्रधानमंत्री मोदी को नजीर पेश करते हुए अब किसी अनाड़ी की जगह खिलाड़ी को ही खेल मंत्री बनाना चाहिए। यह फैसला देश और खेलहित में होगा।


No comments:

Post a Comment