Friday 6 May 2016

सांड़ों की लड़ाई में खिलाड़ियों की दुर्दशा

एम.पी. में कैसी खेल तरक्की
पंकज मलिक और लिली दास बने सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी
सभी कह रहे हैं कि मध्य प्रदेश खेलों में तरक्की कर रहा है। प्रदेश कैसी तरक्की कर रहा है, यह मेरी समझ से तो परे है। हां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया को खुश करने के लिए बांसुरी बजाई जा रही हो, यह अलग बात है। खेलप्रेमियों को हम बता दें एथलेटिक्स और तैराकी ही वह खेल विधाएं हैं जिनमें सर्वाधिक पदक दांव पर होते हैं। हैरानी वाली बात है इस दिशा में शिवराज सरकार कुछ करती नहीं दिख रही।
हाल ही बेंगलूरु में हुई 14वीं फेडरेशन कप नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में मध्य प्रदेश का एक भी खिलाड़ी नहीं था। वजह सांड़ों की लड़ाई मानी जा रही है। सांड़ों की लड़ाई यानि फेडरेशन में चल रही नूरा-कुश्ती के चलते खिलाड़ी प्रतियोगिता में शिरकत ही नहीं कर सके। कहने को तो खेल विभाग नूरा-कुश्ती कराने में माहिर है। हर खेल में दो-दो एसोसिएशनों की कवायद में रुचि लेने की उस पर लगातार तोहमत लगती रही है। एथलेटिक्स की किसी राष्ट्रीय प्रतियोगिता में प्रदेश का खिलाड़ी ही शिरकत न करे यह हैरानी ही नहीं शर्म की बात होनी चाहिए। शर्म कौन किससे करे, फिलवक्त शिवराज सरकार विज्ञापनों की बदौलत उज्जैन में पुण्य लाभ जो कमा रही है। शिव-साधना का ध्यान खेल और खिलाड़ियों की तरफ नहीं उस मीडिया की तरफ है जो लगातार उनकी बलैयां ले रही है।  
जो भी हो तीन दिन तक चली इस प्रतियोगिता में केरल जैसा छोटा सा प्रदेश 152 अंकों के साथ जहां ओवर आल चैम्पियन बना वहीं खेलों की नई शक्ति हरियाणा 129 अंक के साथ दूसरे स्थान पर रहा। बालकों के वर्ग में हरियाणा 91 अंकों के साथ चैम्पियन रहा तो केरल 67 अंकों के साथ दूसरे पायदान पर। बालिका वर्ग में केरल को 85 तथा तमिलनाडु को 76 अंक मिले। हरियाणा का 400 मीटर का धावक पंकज मलिक बालकों तो पश्चिम बंगाल की 800 और 1500 मीटर की धावक लिली दास बालिका वर्ग में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी रहे। तीन दिवसीय प्रतियोगिता में एकमात्र नेशनल और मीट रिकार्ड भी लिली दास के नाम रहा।


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