वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने पहले आम बजट में जहां धनकुबेरों की तिजोरी खाली कर गरीबों की मदद का जोखिमपूर्ण हौसला दिखाया है वहीं उन्होंने सम्पत्ति कर समाप्त करने के साथ ही व्यक्तिगत आयकर सीमा यथावत रख मध्यमवर्गीय परिवारों की उम्मीदों पर पानी भी फेरा है। आम बजट में हर गरीब को रोजगार तो गरीब बुजुर्गों को अटल पेंशन योजना की सौगात देकर मोदी सरकार ने यह जताने की कोशिश की है कि वह उद्योगपतियों की नहीं बल्कि आमजन की सरकार है।
पिछले कुछ वर्षों में बढ़ती महंगाई के कारण रिजर्व बैंक पहले तो ब्याज दरों को लगातार बढ़ाता रहा लेकिन उसके बाद उसे घटा नहीं पाया। ऊंची ब्याज दरों के कारण औद्योगिक ही नहीं अधोसंरचना के क्षेत्र में भी निवेश नहीं हो पा रहा था। निवेश न होने से उद्योगों में नई क्षमता का निर्माण नहीं हुआ। ऊंची ब्याज दरों से आटोमोबाइल समेत तमाम उपभोक्ता वस्तुओं की न केवल मांग घटी बल्कि लोगों का नए आवास क्षेत्र में भी रुझान कम हो गया। पिछले चार-पांच साल से रुकी औद्योगिक ग्रोथ के लिए अब अनुकूल वातावरण है। अब रिजर्व बैंक के पास ब्याज दरें घटाने के पर्याप्त कारण हैं। यदि ब्याज दर में गिरावट आती है तो उसका सीधा असर अधोसंरचना और औद्योगिक निवेश पर तो पड़ेगा ही, अन्य उपभोक्ता वस्तुओं की मांग में भी खासा इजाफा हो सकता है। अरुण जेटली ने अपने आम बजट में विकास की अनुकूल परिस्थितियों को देखते हुए भी कुछ फैसले लिए हैं। घटती तेल की कीमतों, थमती महंगाई और विदेशी भुगतान की स्थिति में सुधार के चलते अब नीति-निर्माता राहत में हैं। देखा जाए तो पुराने ऋणों पर ब्याज की अदायगी, वेतन, पेंशन, पुलिस, प्रतिरक्षा समेत ऐसे कई खर्च हैं, जहां राजकोष का बड़ा हिस्सा खर्च हो जाता है। पिछले अनुभवों से परे जेटली ने शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास, अनुसूचित जाति, जनजाति, अल्पसंख्यक, विकास, पेयजल के साथ ही गरीबों पर दरियादिली दिखाने का प्रयास किया है।
अरुण जेटली ने बजट में गरीबों का ख्याल रखते हुए कृषि, सिंचाई, औद्योगिक विकास के साथ ही अधोसंरचना को पुख्ता करने की भी हिम्मत जुटाई है। राजकोष की वर्तमान स्थिति को देखते हुए जेटली ने राजस्व में इजाफे के लिए धनकुबेरों पर कराधान बढ़ाया है। मोदी सरकार ने बजट में बिहार और पश्चिम बंगाल को विशेष इमदाद देकर अपनी राजनीतिक मंशा को भी पर लगाए हैं। बजट में सब्सिडी तो नहीं खत्म की गई लेकिन कम करने के संकेत जरूर दिए गए हैं। गरीबों की मदद और राजकोष को बढ़ाने के लिए जेटली ने ऐसे कदम उठाए हैं जिनके दूरगामी परिणाम सरकार के लिए घातक साबित हो सकते हैं। सरकार ने सम्पत्ति कर तो खत्म कर दिया लेकिन सालाना 10 करोड़ और इससे अधिक आय अर्जित करने वाली कम्पनियों पर दो फीसदी अधिभार बढ़ाकर धनकुबेरों की नींद उड़ा दी है। अब 10 करोड़ और इससे अधिक आय अर्जित करने वाली कम्पनियों को 12 फीसदी तो एक से 10 करोड़ सालाना आय अर्जित करने वाली कम्पनियों को सात फीसदी अधिभार देना होगा। सम्पत्ति कर समाप्त कर मोदी सरकार ने जहां एक हजार करोड़ रुपये की कुर्बानी दी है वहीं धन कुबेरों पर दो फीसदी का अधिभार लगाकर नौ हजार करोड़ रुपये जुटाने का प्रबंध भी किया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बिजली की किल्लत से निजात के लिए पांच नई अल्ट्रा मेगा बिजली परियोजनाओं सहित बजट में अन्य अधोसंरचनाओं पर 70 हजार करोड़, रेलवे की खस्ता हालत को सुधारने के लिए 10 हजार करोड़, मनरेगा के लिए 34699 करोड़ तथा लघु उद्योगों की खातिर 20 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। आम बजट में जन-धन योजना के तहत गरीबों के लिए दो लाख रुपए का बीमा सिर्फ 12 रुपए के प्रीमियम पर करने का भी बंदोबस्त किया गया है। मोदी सरकार अटल पेंशन योजना में हर गरीब बुजुर्ग को जहां 60 साल की उम्र के बाद प्रतिमाह एक हजार रुपये बतौर पेंशन देगी वहीं प्रधानमंत्री बीमा योजना के तहत हर नागरिक को बीमा सुरक्षा प्रदान की जाएगी। अल्पसंख्यक युवाओं के लिए नई मंजिल योजना में 3,738 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है तो अति निर्धन बुजुर्गों के लिए विशेष बीमा योजना अमल में आएगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने न केवल गरीबों के मर्म पर मलहम लगाया है बल्कि धरती पुत्रों का भी विशेष ख्याल रखा है। बजट में किसानों को सिंचाई के लिए 5,300 करोड़, लघु सिंचाई योजना के लिए 5,300 करोड़, ग्रामीण कर्ज योजना के लिए 1500 करोड़ तथा बाल विकास योजना के लिए 1,500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जहां गरीबों का बोझ अमीरों पर डालने की कोशिश की है वहीं उन्होंने कम्पनियों को स्वच्छ भारत अभियान और गंगा सफाई कोष में योगदान के लिए कर में छूट देने का भरोसा भी दिया है। बजट में स्वास्थ्य बीमा में कटौती पर छूट की सीमा 15 हजार रुपये से बढ़ाकर 25 हजार रुपये कर दी है तो दुसाध्य रोगों के मामले में वरिष्ठ नागरिकों के लिए कटौती सीमा 60 हजार रुपये को बढ़ाकर 80 हजार रुपये करने का भरोसा दिया है। अब पेंशन निधि में योगदान पर छूट को एक लाख रुपये से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये सालाना किया जाएगा। सुकन्या योजना में सभी तरह के निवेश पर पूरी तरह कर छूट मिलेगी। सरकार ने परिवहन भत्ता छूट को प्रति महीने 800 रुपये से बढ़ाकर 1,600 रुपये कर दिया है।
मोदी सरकार कालेधन के विरुद्ध संजीदा दिख रही है, वह कालेधन के विरुद्ध एक नया कानून लाएगी। अब सम्पत्ति की खरीद-फरोख्त में पैन दर्ज करना जरूरी होगा। बजट में कर व्यवस्था को तर्कसंगत बनाने के भी संकेत दिए गये हैं तो आय छिपाने पर 10 साल की कठोर सजा का प्रावधान भी किया गया है। मोदी सरकार पूर्वी राज्यों को न केवल तेजी से विकास का अवसर देगी बल्कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की तर्ज पर बिहार और पश्चिम बंगाल को भी विशेष सहयोग प्रदान करेगी। 2015-16 में एम्स जैसे संस्थानों की स्थापना जम्मू-कश्मीर, पंजाब, तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश में की जाएगी। बिहार को एम्स जैसा दूसरा संस्थान मिलेगा। अब सरकार नकद लेन-देन को हतोत्साहित करने के लिए डेबिट कार्ड को प्रोत्साहन देगी। हर भारतीय के लिए यूनिवर्सल सोशल सिक्योरिटी सिस्टम भी अमल में आएगा। मोदी सरकार ने ग्रामीण रोजगार योजना में 34,699 करोड़ रुपये खर्च करने के साथ ही हर गरीब को नौकरी देने का भरोसा भी दिया है। बजट से पूर्व अटकलें लगाई जा रही थीं कि मोदी सरकार सभी तरह की सब्सिडी खत्म कर सकती है पर वित्त मंत्री ने सब्सिडी खत्म न कर उसे कम करने का संकेत जरूर दिया है। सरकार अपने राजकोष को बढ़ाने के लिए विनिवेश का सहारा लेने के साथ ही वर्ष 2017 तक वित्तीय घाटा 3.7 फीसदी तक लाने का लक्ष्य लेकर चल रही है। जो भी हो अरुण जेटली ने अपने पहले आम बजट में आमजन को प्यार की मार देकर पूर्ववर्ती सरकारों का ही अनुसरण किया है।
पिछले कुछ वर्षों में बढ़ती महंगाई के कारण रिजर्व बैंक पहले तो ब्याज दरों को लगातार बढ़ाता रहा लेकिन उसके बाद उसे घटा नहीं पाया। ऊंची ब्याज दरों के कारण औद्योगिक ही नहीं अधोसंरचना के क्षेत्र में भी निवेश नहीं हो पा रहा था। निवेश न होने से उद्योगों में नई क्षमता का निर्माण नहीं हुआ। ऊंची ब्याज दरों से आटोमोबाइल समेत तमाम उपभोक्ता वस्तुओं की न केवल मांग घटी बल्कि लोगों का नए आवास क्षेत्र में भी रुझान कम हो गया। पिछले चार-पांच साल से रुकी औद्योगिक ग्रोथ के लिए अब अनुकूल वातावरण है। अब रिजर्व बैंक के पास ब्याज दरें घटाने के पर्याप्त कारण हैं। यदि ब्याज दर में गिरावट आती है तो उसका सीधा असर अधोसंरचना और औद्योगिक निवेश पर तो पड़ेगा ही, अन्य उपभोक्ता वस्तुओं की मांग में भी खासा इजाफा हो सकता है। अरुण जेटली ने अपने आम बजट में विकास की अनुकूल परिस्थितियों को देखते हुए भी कुछ फैसले लिए हैं। घटती तेल की कीमतों, थमती महंगाई और विदेशी भुगतान की स्थिति में सुधार के चलते अब नीति-निर्माता राहत में हैं। देखा जाए तो पुराने ऋणों पर ब्याज की अदायगी, वेतन, पेंशन, पुलिस, प्रतिरक्षा समेत ऐसे कई खर्च हैं, जहां राजकोष का बड़ा हिस्सा खर्च हो जाता है। पिछले अनुभवों से परे जेटली ने शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास, अनुसूचित जाति, जनजाति, अल्पसंख्यक, विकास, पेयजल के साथ ही गरीबों पर दरियादिली दिखाने का प्रयास किया है।
अरुण जेटली ने बजट में गरीबों का ख्याल रखते हुए कृषि, सिंचाई, औद्योगिक विकास के साथ ही अधोसंरचना को पुख्ता करने की भी हिम्मत जुटाई है। राजकोष की वर्तमान स्थिति को देखते हुए जेटली ने राजस्व में इजाफे के लिए धनकुबेरों पर कराधान बढ़ाया है। मोदी सरकार ने बजट में बिहार और पश्चिम बंगाल को विशेष इमदाद देकर अपनी राजनीतिक मंशा को भी पर लगाए हैं। बजट में सब्सिडी तो नहीं खत्म की गई लेकिन कम करने के संकेत जरूर दिए गए हैं। गरीबों की मदद और राजकोष को बढ़ाने के लिए जेटली ने ऐसे कदम उठाए हैं जिनके दूरगामी परिणाम सरकार के लिए घातक साबित हो सकते हैं। सरकार ने सम्पत्ति कर तो खत्म कर दिया लेकिन सालाना 10 करोड़ और इससे अधिक आय अर्जित करने वाली कम्पनियों पर दो फीसदी अधिभार बढ़ाकर धनकुबेरों की नींद उड़ा दी है। अब 10 करोड़ और इससे अधिक आय अर्जित करने वाली कम्पनियों को 12 फीसदी तो एक से 10 करोड़ सालाना आय अर्जित करने वाली कम्पनियों को सात फीसदी अधिभार देना होगा। सम्पत्ति कर समाप्त कर मोदी सरकार ने जहां एक हजार करोड़ रुपये की कुर्बानी दी है वहीं धन कुबेरों पर दो फीसदी का अधिभार लगाकर नौ हजार करोड़ रुपये जुटाने का प्रबंध भी किया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बिजली की किल्लत से निजात के लिए पांच नई अल्ट्रा मेगा बिजली परियोजनाओं सहित बजट में अन्य अधोसंरचनाओं पर 70 हजार करोड़, रेलवे की खस्ता हालत को सुधारने के लिए 10 हजार करोड़, मनरेगा के लिए 34699 करोड़ तथा लघु उद्योगों की खातिर 20 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। आम बजट में जन-धन योजना के तहत गरीबों के लिए दो लाख रुपए का बीमा सिर्फ 12 रुपए के प्रीमियम पर करने का भी बंदोबस्त किया गया है। मोदी सरकार अटल पेंशन योजना में हर गरीब बुजुर्ग को जहां 60 साल की उम्र के बाद प्रतिमाह एक हजार रुपये बतौर पेंशन देगी वहीं प्रधानमंत्री बीमा योजना के तहत हर नागरिक को बीमा सुरक्षा प्रदान की जाएगी। अल्पसंख्यक युवाओं के लिए नई मंजिल योजना में 3,738 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है तो अति निर्धन बुजुर्गों के लिए विशेष बीमा योजना अमल में आएगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने न केवल गरीबों के मर्म पर मलहम लगाया है बल्कि धरती पुत्रों का भी विशेष ख्याल रखा है। बजट में किसानों को सिंचाई के लिए 5,300 करोड़, लघु सिंचाई योजना के लिए 5,300 करोड़, ग्रामीण कर्ज योजना के लिए 1500 करोड़ तथा बाल विकास योजना के लिए 1,500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जहां गरीबों का बोझ अमीरों पर डालने की कोशिश की है वहीं उन्होंने कम्पनियों को स्वच्छ भारत अभियान और गंगा सफाई कोष में योगदान के लिए कर में छूट देने का भरोसा भी दिया है। बजट में स्वास्थ्य बीमा में कटौती पर छूट की सीमा 15 हजार रुपये से बढ़ाकर 25 हजार रुपये कर दी है तो दुसाध्य रोगों के मामले में वरिष्ठ नागरिकों के लिए कटौती सीमा 60 हजार रुपये को बढ़ाकर 80 हजार रुपये करने का भरोसा दिया है। अब पेंशन निधि में योगदान पर छूट को एक लाख रुपये से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये सालाना किया जाएगा। सुकन्या योजना में सभी तरह के निवेश पर पूरी तरह कर छूट मिलेगी। सरकार ने परिवहन भत्ता छूट को प्रति महीने 800 रुपये से बढ़ाकर 1,600 रुपये कर दिया है।
मोदी सरकार कालेधन के विरुद्ध संजीदा दिख रही है, वह कालेधन के विरुद्ध एक नया कानून लाएगी। अब सम्पत्ति की खरीद-फरोख्त में पैन दर्ज करना जरूरी होगा। बजट में कर व्यवस्था को तर्कसंगत बनाने के भी संकेत दिए गये हैं तो आय छिपाने पर 10 साल की कठोर सजा का प्रावधान भी किया गया है। मोदी सरकार पूर्वी राज्यों को न केवल तेजी से विकास का अवसर देगी बल्कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की तर्ज पर बिहार और पश्चिम बंगाल को भी विशेष सहयोग प्रदान करेगी। 2015-16 में एम्स जैसे संस्थानों की स्थापना जम्मू-कश्मीर, पंजाब, तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश में की जाएगी। बिहार को एम्स जैसा दूसरा संस्थान मिलेगा। अब सरकार नकद लेन-देन को हतोत्साहित करने के लिए डेबिट कार्ड को प्रोत्साहन देगी। हर भारतीय के लिए यूनिवर्सल सोशल सिक्योरिटी सिस्टम भी अमल में आएगा। मोदी सरकार ने ग्रामीण रोजगार योजना में 34,699 करोड़ रुपये खर्च करने के साथ ही हर गरीब को नौकरी देने का भरोसा भी दिया है। बजट से पूर्व अटकलें लगाई जा रही थीं कि मोदी सरकार सभी तरह की सब्सिडी खत्म कर सकती है पर वित्त मंत्री ने सब्सिडी खत्म न कर उसे कम करने का संकेत जरूर दिया है। सरकार अपने राजकोष को बढ़ाने के लिए विनिवेश का सहारा लेने के साथ ही वर्ष 2017 तक वित्तीय घाटा 3.7 फीसदी तक लाने का लक्ष्य लेकर चल रही है। जो भी हो अरुण जेटली ने अपने पहले आम बजट में आमजन को प्यार की मार देकर पूर्ववर्ती सरकारों का ही अनुसरण किया है।
No comments:
Post a Comment