Thursday, 12 February 2015

सबका सपना, विश्व कप अपना

14 मैदानों में 14 देशों के 210 मौला-हरफनमौला खिलाड़ी 43 दिन तक मचाएंगे धमाल
क्रिकेट का इतिहास बहुत पुराना है, पर पिछले 40 साल से जो फटाफट क्रिकेट खेली जा रही है, उसकी कहना ही क्या? सात जून, 1975 से प्रारम्भ हुआ एकदिनी विश्व कप क्रिकेट आज खेलप्रेमियों की धड़कन बन चुका है। वेस्टइंडीज की दबंगई, भारत में आत्मविश्वास का उदय, एलन बॉर्डर की आस्ट्रेलियाई टीम की प्रेरणा से उपजा पेशेवर अंदाज, पाकिस्तानी खिलाड़ियों की दीवानगी, श्रीलंकाई रणनीतिज्ञों की अबूझ चालें और लम्बे समय तक स्व-शान की खुमारी में डूबे धोनी के धुरंधरों का 2011 में एक बार फिर उठ खड़ा होना एकदिनी क्रिकेट के वे पड़ाव हैं, जिन्हें सहजता से नहीं भुलाया जा सकता। जिसने भी विश्व कप क्रिकेट के रोमांच को जिया हो, उसकी नजर में इसका खासा महत्व है। फटाफट क्रिकेट सर्वोत्तम पलों के साथ ही न बिसरने वाले लम्हों का दस्तावेज भी है। इस खेल की चमक-दमक ने न केवल बड़े खेल आयोजनों का रंग फीका किया है बल्कि बेईमानी और भ्रष्टाचार के दंश भी झेले हैं। क्रिकेट भद्रजनों का खेल है, पर अब यह शौकिया नहीं खेला जाता। इसकी अनिश्चितता ही उत्सुकता और रोमांच बढ़ाती है।
आॅस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड 23 साल बाद फिर विश्व कप क्रिकेट की दावत देने जा रहे हैं। फटाफट क्रिके ट के इस ग्यारहवें जलसे में एक खिताब के लिए 14 मैदानों में 14 देशों के 210 मौला-हरफनमौला खिलाड़ी 43 दिन तक अपने पराक्रम का कमाल और धमाल मचाने को तैयार हैं। क्रिकेट मुरीदों को सचिन, वीरू, युवी जैसे जांबाजों का खेल न देख पाने का मलाल है तो डेविड वॉर्नर, विराट कोहली, महेंद्र सिंह धोनी, ग्लेन मैक्सवेल, कुमार संगकारा, स्टीफन स्मिथ, क्रिस गेल, मार्लोन सैमुअल्स, एबी डिविलियर्स, हाशिम अमला, इयोन मोर्गन, जोस बटलर, ब्रेडन मैकुलम, केन विलियम्स, और उमर अकमल जैसे जांबाजों का करिश्माई खेल देखने की उत्सुकता भी है। क्रिकेट के इस फॉर्मेट में नामुमकिन शब्द को कोई जगह नहीं है। यहां कोई बेनाम टीम या खिलाड़ी किसी भी धाकड़ टीम का दम्भ तोड़ सकते हैं। क्रिकेट बड़े बदलाव का ही दूसरा नाम है। टी-20 ने खिलाड़ियों की मारक क्षमता में इजाफा किया है तो उसने फटाफट क्रिकेट की चमक-दमक भी छीनी है। जो भी हो न्यूजीलैंड और आॅस्ट्रेलिया में मंच सज चुका है और अब कुछ ही घंटों में क्रिकेट के पट्ठे अपने प्रदर्शन का जलवा दिखाना शुरू कर देंगे। 29 मार्च को खिताबी मुकाबले से पूर्व दुनिया की 14 टीमों के कोई 210 खिलाड़ी 14 मैदानों में अपने पराक्रम की जो बानगी पेश करेंगे उसी से नया चैम्पियन पैदा होगा।
सबसे आगे हिन्दुस्तानी
 खिताब कोई जीते पर क्रिकेट के इस 11वें रंगमंच पर उतरने वाले सेनानायकों में 33 साल के महेंद्र सिंह धोनी सबसे अनुभवी हैं। पिछले दो महीने बेशक धोनी और उनके धुरंधरों के लिए ठीकठाक नहीं रहे पर अब जो टीम इण्डिया खेलेगी उसे पता है कि खिताब की रक्षा के लिए उसे कब क्या करना है। उम्मीद है कि मरती नहीं। देशवासी भरोसा रखें धोनी खिताब की रक्षा में कोई कोताही नहीं बरतेंगे और उनके जांबाज सैनिक भी अपने कप्तान को खिताब के साथ ही हिन्दुस्तान लाएंगे।
43 साल के मोहम्मद तौकीर करेंगे यूएई की कप्तानी
उम्र की बात करें तो संयुक्त अरब अमीरात के कप्तान मोहम्मद तौकीर इस विश्व कप के सबसे उम्रदराज कप्तान हैं। वह 43 साल के हैं, पर उन्होंने विश्व कप में कभी कप्तानी नहीं की। अनुभव के लिहाज से वेस्टइंडीज के 23 वर्षीय कप्तान जेसन होल्डर ने सिर्फ पांच मैचों में ही अपनी टीम का नेतृत्व किया है। पाकिस्तानी कप्तान मिसबाह उल हक 40 साल के हैं। वह चाहेंगे कि उनका मुल्क उसी धरती पर 23 साल बाद एक बार फिर दुनिया जीतने का कारनामा दोहराए।
 पांच देश, दस खिताब
 अब तक विश्व कप चूमने का सौभाग्य सिर्फ पांच देशों को ही मिला है। आॅस्ट्रेलिया चार तो वेस्टइंडीज और भारत दो-दो बार तथा पाकिस्तान और श्रीलंका एक-एक बार खिताबी जश्न मना चुके हैं। क्रिकेट पितामह इंग्लैंड तीन बार फाइनल में पहुंचने के बाद (वेस्टइंडीज 1979, आॅस्ट्रेलिया 1987 तथा पाकिस्तान 1992 से) खिताबी जंग हारा है। इंग्लैंड आखिरी बार 23 साल पहले फाइनल में पहुंचा था। संयोग से वह विश्व कप भी आॅस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की ही सरजमीं पर खेला गया था। इंग्लैंड के अलावा वेस्टइंडीज, भारत और श्रीलंका भी तीन-तीन बार खिताबी जंग लड़ चुके हैं।

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