विश्व कप में नौवीं बार भारत से हारा पाक
मुल्क खुश है। होना भी चाहिए, आखिर होली से ठीक पहले धोनी की सेना ने अपने मुरीदों को दिवाली मनाने का तोहफा जो दिया है। 1992 में मोहम्मद अजहरुद्दीन की सेना ने विश्व पटल पर पाकिस्तान को पटकने का जो सिलसिला शुरू किया था, उसे धोनी के धुरंधरों ने बरकरार रखा है। 23 साल पहले भी विश्व कप आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैण्ड की ही सरजमीं पर खेला गया था। तब भारत से पराजय के बावजूद इमरान खान ने कप चूमा था। 74 साल की फटाफट क्रिकेट में अनगिनत रिकॉर्ड बने और टूटे हैं पर 40 साल की युवा विश्व कप क्रिकेट में पाकिस्तान पर भारत की फतह का रिकॉर्ड अटूट है। आज विराट की विराट ऐतिहासिक पारी के बाद भारतीय गेंदबाजों ने पाकिस्तान के खिलाफ अजेय अभियान का जो शंखनाद किया, वह वाकई अतुलनीय और प्रशंसनीय है।
रविवार की सुबह से ही देश भर में भारत-पाक मुकाबले की चर्चा होती रही। यह हमारी क्रिकेट के प्रति दीवानगी ही है कि भारत-पाक मुकाबले को लेकर कुछ घण्टे के लिए ही सही देश का जनजीवन ठहर सा गया। आस्ट्रेलिया में पिछले दो महीने से दुर्गति करा रही भारतीय टीम पाकिस्तान पर इतनी धाकड़ जीत दर्ज करेगी इस पर हर क्रिकेट मुरीद को संदेह था, पर उसके खिलाफ पाकिस्तान की हार का मिथक आज भी कायम रहा। एडिलेड में पाकिस्तान की 76 रन की शिकस्त के बाद भारतीयों ने फागुन माह में दिवाली तो पड़ोसी मुल्क में मातम मनाया गया। पाकिस्तान की 50 ओवर की विश्व कप क्रिकेट में यह भारत के खिलाफ लगातार छठी तो सभी तरह के विश्व कपों में नौवीं पराजय है। पाकिस्तान को भारत के खिलाफ टी-20 विश्व चैम्पियनशिप में भी तीन बार हार का सामना करना पड़ा है। भारत ने सबसे पहले पाकिस्तान को 1992 विश्व कप के सिडनी में 43 रन से हराया था। 1996 विश्व कप में बेंगलूर में टीम इण्डिया ने चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को 39 रन तो तीन साल बाद मैनचेस्टर में 47 रन से शिकस्त दी थी। विश्व कप में पाकिस्तान के खिलाफ दबदबे को कायम रखते हुए सौरव सेना ने सेंचुरियन में 2003 विश्व कप में पड़ोसी पाक को छह विकेट से पराजय का हलाहल पिलाया तो 2011 में धोनी के धुरंधरों ने मोहाली में हुए सेमीफाइनल में न केवल 29 रनों से शिकस्त दी बल्कि विश्व कप भी चूम दिखाया। धोनी के दिग्गजों ने एकदिनी ही नहीं टी-20 विश्व कप क्रिकेट में भी पाकिस्तान पर दबदबा कायम रखा है। भारत ने 2007 में जोहान्सबर्ग में पाकिस्तान को फाइनल में पांच रन, 2012 में आठ विकेट तो 2014 में ढाका में सात विकेट से करारी शिकस्त दी थी।
धोनी सेना ने विश्व कप में शानदार आगाज किया है पर उसके जेहन में यह बात होनी चाहिए कि यह अनिश्चितताओं का खेल है। 29 मार्च तक बहुत क्रिकेट खेली जानी है। पाकिस्तान पर बिन्दास जीत के बावजूद टीम इण्डिया में कई खामियां हैं जिन्हें दूर किए बिना विश्व कप नहीं जीता जा सकता। विराट कोहली, सुरेश रैना और बड़े दिनों बाद शिखर धवन का रौ में दिखना अच्छा संकेत है, पर जिस तरह अंतिम 10 ओवरों में हमारे बल्लेबाजों ने विकेट लुटाए वह चिन्ता की बात है। हमारा लक्ष्य पाकिस्तान पर जीत नहीं बल्कि खिताब की रक्षा होना चाहिए। 29 मार्च से पहले भी हम विश्व चैम्पियन हैं, यह अहसास धोनी की पलटन को सभी टीमों को कराना होगा। भारत की पाकिस्तान पर इस शानदार जीत ने क्रिकेट महाभारत में नई जान डाल दी है। 29 मार्च को खिताब कोई भी जीते पर भारत की इस जीत से क्रिकेट जरूर मालामाल हो गया है।
मुल्क खुश है। होना भी चाहिए, आखिर होली से ठीक पहले धोनी की सेना ने अपने मुरीदों को दिवाली मनाने का तोहफा जो दिया है। 1992 में मोहम्मद अजहरुद्दीन की सेना ने विश्व पटल पर पाकिस्तान को पटकने का जो सिलसिला शुरू किया था, उसे धोनी के धुरंधरों ने बरकरार रखा है। 23 साल पहले भी विश्व कप आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैण्ड की ही सरजमीं पर खेला गया था। तब भारत से पराजय के बावजूद इमरान खान ने कप चूमा था। 74 साल की फटाफट क्रिकेट में अनगिनत रिकॉर्ड बने और टूटे हैं पर 40 साल की युवा विश्व कप क्रिकेट में पाकिस्तान पर भारत की फतह का रिकॉर्ड अटूट है। आज विराट की विराट ऐतिहासिक पारी के बाद भारतीय गेंदबाजों ने पाकिस्तान के खिलाफ अजेय अभियान का जो शंखनाद किया, वह वाकई अतुलनीय और प्रशंसनीय है।
रविवार की सुबह से ही देश भर में भारत-पाक मुकाबले की चर्चा होती रही। यह हमारी क्रिकेट के प्रति दीवानगी ही है कि भारत-पाक मुकाबले को लेकर कुछ घण्टे के लिए ही सही देश का जनजीवन ठहर सा गया। आस्ट्रेलिया में पिछले दो महीने से दुर्गति करा रही भारतीय टीम पाकिस्तान पर इतनी धाकड़ जीत दर्ज करेगी इस पर हर क्रिकेट मुरीद को संदेह था, पर उसके खिलाफ पाकिस्तान की हार का मिथक आज भी कायम रहा। एडिलेड में पाकिस्तान की 76 रन की शिकस्त के बाद भारतीयों ने फागुन माह में दिवाली तो पड़ोसी मुल्क में मातम मनाया गया। पाकिस्तान की 50 ओवर की विश्व कप क्रिकेट में यह भारत के खिलाफ लगातार छठी तो सभी तरह के विश्व कपों में नौवीं पराजय है। पाकिस्तान को भारत के खिलाफ टी-20 विश्व चैम्पियनशिप में भी तीन बार हार का सामना करना पड़ा है। भारत ने सबसे पहले पाकिस्तान को 1992 विश्व कप के सिडनी में 43 रन से हराया था। 1996 विश्व कप में बेंगलूर में टीम इण्डिया ने चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को 39 रन तो तीन साल बाद मैनचेस्टर में 47 रन से शिकस्त दी थी। विश्व कप में पाकिस्तान के खिलाफ दबदबे को कायम रखते हुए सौरव सेना ने सेंचुरियन में 2003 विश्व कप में पड़ोसी पाक को छह विकेट से पराजय का हलाहल पिलाया तो 2011 में धोनी के धुरंधरों ने मोहाली में हुए सेमीफाइनल में न केवल 29 रनों से शिकस्त दी बल्कि विश्व कप भी चूम दिखाया। धोनी के दिग्गजों ने एकदिनी ही नहीं टी-20 विश्व कप क्रिकेट में भी पाकिस्तान पर दबदबा कायम रखा है। भारत ने 2007 में जोहान्सबर्ग में पाकिस्तान को फाइनल में पांच रन, 2012 में आठ विकेट तो 2014 में ढाका में सात विकेट से करारी शिकस्त दी थी।
धोनी सेना ने विश्व कप में शानदार आगाज किया है पर उसके जेहन में यह बात होनी चाहिए कि यह अनिश्चितताओं का खेल है। 29 मार्च तक बहुत क्रिकेट खेली जानी है। पाकिस्तान पर बिन्दास जीत के बावजूद टीम इण्डिया में कई खामियां हैं जिन्हें दूर किए बिना विश्व कप नहीं जीता जा सकता। विराट कोहली, सुरेश रैना और बड़े दिनों बाद शिखर धवन का रौ में दिखना अच्छा संकेत है, पर जिस तरह अंतिम 10 ओवरों में हमारे बल्लेबाजों ने विकेट लुटाए वह चिन्ता की बात है। हमारा लक्ष्य पाकिस्तान पर जीत नहीं बल्कि खिताब की रक्षा होना चाहिए। 29 मार्च से पहले भी हम विश्व चैम्पियन हैं, यह अहसास धोनी की पलटन को सभी टीमों को कराना होगा। भारत की पाकिस्तान पर इस शानदार जीत ने क्रिकेट महाभारत में नई जान डाल दी है। 29 मार्च को खिताब कोई भी जीते पर भारत की इस जीत से क्रिकेट जरूर मालामाल हो गया है।
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