Friday, 13 February 2015

एक खिताब, चौदह दावेदार

आस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, भारत और श्रीलंका कर सकते हैं कमाल
क्रिकेटप्रेमियों को जिन पलों का इंतजार था, वह पल उसके सामने हैं। अब 29 मार्च तक किन्तु-परंतु का दौर चलेगा। 44 दिन तक खिलाड़ियों का प्रदर्शन तो लोगों की उम्मीदें परवान चढ़ेंगी। 14 देशों की इस क्रिकेट नुमाइश में किसका बल्ला चमकेगा, किसकी गेंदें कहर बरपाएंगी, कौन चैम्पियन बनेगा और किसके हाथों होगा ताज  इस सब के लिए क्रिकेट मुरीदों को 49 मुकाबलों तक इंतजार करना होगा। क्या भारत एक बार फिर विश्व चैम्पियन बनेगा? क्या आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की उछाल भरी विकेटों पर धोनी के धुरंधर अपने धुंआधार खेल से अपने खिताब की रक्षा कर पाएंगे या कोई नया चैम्पियन पैदा होगा, ये ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब सिर्फ और सिर्फ खिलाड़ियों को ही देना है। क्रिकेट ही एक ऐसा खेल है जिसकी उम्मीदें हमेशा जीवंत रहती हैं। टीम इण्डिया के धुर समर्थक मानते हैं कि पिछले दो माह में आस्ट्रेलियाई विकेटों पर धोनी के धुरंधरों की कैसी भी दुर्दशा क्यों न हुई हो मगर वे विश्व चैम्पियन बनकर ही लौटेंगे। जो भी हो इस विश्व कप में कुछ अनजान टीमें यदि उलटफेर का माद्दा रखती हैं तो मेजबान आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैण्ड, चोकर्स दक्षिण अफ्रीका तथा श्रीलंका की दावेदारी को सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता। अपने प्रदर्शन में स्थायित्व लाकर क्रिकेट जनक इंग्लैण्ड भी वह कर सकता है, जोकि पूर्व में उससे नहीं हुआ।
एक खिताब के 14 दावेदारों पर काफी बहस की जा सकती है। क्रिकेट जानकार आंकड़ों और हालिया प्रदर्शन को देखते हुए कंगारुओं को खिताब का सबसे प्रबल दावेदार मान रहे हैं, पर मेरा मानना है कि मैदान में आंकड़े नहीं बांकुरों का प्रदर्शन मायने रखेगा। बात भारत की करें तो आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैण्ड में भारतीय टीम के प्रदर्शन को देखकर नहीं लगता कि जीत का सेहरा टीम इण्डिया के सिर बंधेगा।  पर इतिहास इस बात का गवाह है कि जब-जब भारतीय टीम को भाव नहीं दिया गया, तब-तब उसने शानदार प्रदर्शन किया है। आंकड़ों पर गौर करें तो आस्ट्रेलिया में भारतीय टीम ने कुल 80 मैचों में से सिर्फ 31 में ही विजयश्री हासिल की है। न्यूजीलैंड में तो टीम इण्डिया का और भी बुरा हाल है। उसने वहां खेले 40 मैचों में से केवल 12 में ही जीत का स्वाद चखा है। आस्ट्रेलिया में भारतीय जीत का औसत जहां 38.75 प्रतिशत है वहीं न्यूजीलैंड में सिर्फ 30 प्रतिशत। वर्ष 1992 में आस्ट्रेलिया में आयोजित विश्व कप के दौरान भारत की दुर्गति भला कौन भूल सकता है। उस समय भारतीय टीम लीग मैचों के बाद ही विश्व कप से बाहर हो गई थी। उसने 8 मैचों में से सिर्फ 2 मुकाबले जीते थे। भारत के लिए खुशी की बात सिर्फ इतनी थी कि उसने अपने धुर विरोधी पाकिस्तान को पराजित किया था।
आंकड़े तो अच्छी तस्वीर प्रस्तुत नहीं करते  फिर भी 1983 का विश्व कप याद आते ही कुछ हिम्मत बंध जाती है। जिस समय कपिल देव के नेतृत्व में भारत ने विश्व कप जीता उस समय उनकी जीत का प्रतिशत 66 में से एक माना जा रहा था। अब अगर भारत को यह विश्व कप जीतना है तो बल्लेबाजों को अपना जलवा दिखाना होगा। आस्ट्रेलिया दौरे में भारतीय बल्लेबाजों ने कई बार 400 का आंकड़ा पार कर न केवल उम्मीद की लौ जलाई बल्कि उसके खिलाड़ियों ने इस बात का संकेत दिया कि वे उछाल भरी पिचों पर तेज गेंदबाजी का सामना करने का माद्दा रखते हैं। कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी, विराट कोहली, अजिंक्य रहाणे, रोहित शर्मा, सुरेश रैना और शिखर धवन की जांबाजी पर किसी को संदेह नहीं है बशर्ते  उनके बल्लों को सांप न सूंघे। भारतीय टीम की समस्या बल्लेबाजी नहीं बल्कि  गेंदबाजी है। मोहम्मद शमी, उमेश यादव सरीखे गेंदबाज 140 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से गेंदें फेंकने की काबिलियत तो रखते हैं पर उनका लाइन-लेंथ पर कंट्रोल नहीं है। भुवनेश्वर कुमार की रफ्तार आस्ट्रेलियाई विकेटों के लिए काफी कम है। धोनी की सेना इस कमी को अपने चपल क्षेत्ररक्षण से दूर कर सकती है।  एक अच्छा कैच, एक बेहतरीन रन आउट या सीमा रेखा पर शानदार क्षेत्ररक्षण टीम इण्डिया के मनोबल को एकदम फर्श से अर्श पर ले जा सकता है। भारतीय टीम में मौला तो हैं लेकिन हरफनमौला का अभाव है। स्टुअर्ट बिन्नी को युवराज की भरपाई के लिए रखा गया है मगर बिन्नी की अपनी सीमाएं हैं, वह युवराज नहीं बन सकता।
पाकिस्तान भी कम नहीं
 पिछले कुछ समय से पाकिस्तान की टीम चाहे जैसा भी प्रदर्शन कर रही हो मगर इस टीम को विश्वकप की दावेदारी से नकारना बड़ी भूल होगी। टीम के रूप में जब-जब पाकिस्तानी खेले उन्होंने पासा जरूर पलटा है। इंग्लैंड के विरुद्ध खेले गये अभ्यास मैच में पाक टीम का दमखम देखने लायक रहा।  इंग्लैंड को जहां धोनी के धुरंधर आस्ट्रेलियाई धरती पर नहीं हरा सके, पाकिस्तान ने आते ही उसे धूल चटा दी। पिछले साल एशिया कप में मीरपुर में अंतिम ओवर में शाहिद अफरीदी के दो धमाकेदार छक्कों की बदौलत पाकिस्तान ने भारत को हराकर करारा झटका दिया था परन्तु इसके बाद वह श्रीलंका (1-2), आस्ट्रेलिया (0-3) और न्यूजीलैंड (2-3) से वनडे सीरीज हार गया। पिछले 11 मैचों में पाकिस्तान केवल तीन में ही जीत हासिल कर सका है। मगर उन तीन  धमाकेदार जीतों ने पाकिस्तानी खिलाड़ियों की जुझारू शक्ति का आगाज जरूर कराया है।  पाकिस्तान की गेंदबाजी भी कमोबेश भारत की ही तरह है। इस बार उसमें उतनी धार नहीं है जो पहले हुआ करती थी। सोहेल तनवीर, शाहिद अफरीदी, वहाब रियाज, मोहम्मद इरफान इतने प्रभावशाली नहीं रहे, मगर आस्ट्रेलियाई और न्यूजीलैंड की पट्टियां उनके लिए वरदान साबित हो सकती हैं। बल्लेबाजी की बात करें तो सईद अजमल और मोहम्मद हफीज पर प्रतिबंध लगने से पाकिस्तान को करारा झटका लगा है। बल्लेबाजी में कप्तान मिस्बाह उल हक टीम की धुरी रहेंगे। इसके अलावा यूनिस खान का अनुभव टीम के काम आयेगा। अफरीदी और उमर अकमल की आतिशी बल्लेबाजी टीम को जीत दिलाने की कूबत रखती है। पाकिस्तान को पता है कि 23 साल पहले भारत से हारने के बावजूद उसने आस्ट्रेलिया में ही एकमात्र विश्व कप खिताब जीता था।
मेजबान आस्ट्रेलियाई टीम सबसे सुगठित लग रही है। अपनी पट्टियों पर उसके पट्ठे कुछ भी करने का माद्दा रखते हैं। डेविड वार्नर, ग्लेन मैक्सवेल जैसे खिलाड़ी कुछ ही ओवरों में मैच का रुख बदलने की काबिलियत रखते हैं तो स्मिथ भी किसी से कमतर नहीं कहे जा सकते। गेंदबाजी तो कंगारुओं की कभी भी कमजोर नहीं रही। इस बार उसके पास आरोन फिंच और जॉर्ज बैली जैसे शांत लगते गेंदबाज बेहद घातक साबित हो सकते हैं। माइकल क्लार्क की सेना में एक से बढ़कर एक खिलाड़ी मौजूद हैं। आस्ट्रेलिया टीम यदि अति आत्मविश्वास का शिकार न हुई तो उसे ग्यारहवें विश्व कप से शायद ही कोई टीम दूर कर सके। खिताब के चौदह दावेदारों में आस्ट्रेलिया के बाद दक्षिण अफ्रीका, वेस्टइंडीज, न्यूजीलैण्ड, इंग्लैण्ड और श्रीलंका भी शुमार हैं।  दक्षिण अफ्रीका की टीम कप्तान एबी डिविलियर्स और हासिम अमला के हमलावर अंदाज के चलते जहां बेहद ताकतवर है वहीं गेंदबाजी में डेल स्टेन की कहना ही क्या। वेस्टइंडीज टीम क्रिस गेल के बूते कुछ कर सकती है, पर अकेला चना शायद ही भाड़ फोड़ पाए। श्रीलंका टीम कुमार संगकारा और लसिथ मलिंगा पर आश्रित होगी।
क्रिकेट विश्व कप के दिलचस्प रिकॉर्ड
-विश्व कप में सर्वाधिक रनों का रिकॉर्ड सचिन तेंदुलकर के नाम दर्ज है। उन्होंने 1992 से 2011 तक छह विश्व कप के 45 मैचों में 56.95 के औसत से 2278 रन बनाए।
-विश्व कप में दूसरे सबसे ज्यादा रन का रिकॉर्ड रिकी पोंटिंग के नाम दर्ज है। उन्होंने 46 मैचों में 45.86 के औसत से ये रन बनाए।
-विश्व कप में सबसे ज्यादा शतकों का कीर्तिमान सचिन के नाम दर्ज है। उन्होंने 45 मैचों में छह शतक लगाए।
-विश्व कप में दूसरे सबसे ज्यादा शतक आॅस्ट्रेलिया के रिकी पोंटिंग ने लगाए। उन्होंने 46 मैचों में यह कारनामा किया।
-विश्व कप में 50 रनों से ज्यादा की सर्वाधिक पारियां खेलने का रिकॉर्ड भी सचिन के नाम दर्ज है। उन्होंने 21 बार यह कारनामा किया था। दूसरे क्रम पर रिकी पोंटिंग हैं, जिन्होंने 11 बार यह उपलब्धि हासिल की।
-सबसे ज्यादा छह विश्व कप संस्करणों में खेलने का रिकॉर्ड संयुक्त रूप से पाकिस्तान के जावेद मियांदाद और भारत के सचिन तेंदुलकर के नाम पर दर्ज है। मियांदाद ने 1975 से 1996 और सचिन ने 1992 से 2011 में इसे अंजाम दिया।
-विश्व कप की एक पारी में सर्वाधिक रन का रिकॉर्ड गैरी कर्स्टन के नाम पर है। उन्होंने 16 फरवरी, 1996 को रावलपिंडी में संयुक्त अरब अमीरात के खिलाफ 188 रनों की नाबाद पारी खेली थी।
-विश्व कप में किसी एक पारी में दूसरा बड़ा स्कोर सौरव गांगुली ने बनाया था। उन्होंने यह कारनामा 26 मई, 1999 को टांटन में श्रीलंका के खिलाफ किया था।
-विश्व कप में सर्वाधिक विकेट लेने का रिकॉर्ड आॅस्ट्रेलिया के ग्लेन मैक्ग्राथ के नाम पर दर्ज है। उन्होंने क्रिकेट महाकुंभ में कुल 71 विकेट चटकाए।
-विश्व कप खिताब सर्वाधिक चार बार आॅस्ट्रेलिया ने जीता। वेस्टइंडीज और भारत 2-2 बार विजेता बने जबकि पाकिस्तान और श्रीलंका ने एक-एक बार यह खिताब हासिल किया।
-विश्व कप की सर्वाधिक चार बार मेजबानी का श्रेय इंग्लैंड को जाता है।
-विश्व कप में सर्वाधिक 76 मैच आॅस्ट्रेलिया ने खेले हैं। आॅस्ट्रेलिया ने 55 मैचों में जीत दर्ज की जबकि 19 मैचों में उसे हार मिली। एक मैच टाई रहा जबकि एक बेनतीजा रहा।
-विश्व कप में चार देश (बरमूडा, ईस्ट अफ्रीका, नामीबिया और स्कॉटलैंड अभी तक एक भी मैच नहीं जीत पाए हंै।
-भारत ने विश्व कप में अभी तक 67 मैचों में हिस्सा लिया। उसने 39 मैचों में जीत दर्ज की जबकि 26 में उसे हार का सामना करना पड़ा। एक मैच टाई रहा, जबकि एक मैच बेनतीजा रहा।
-विश्व कप में भारत और इंग्लैंड ने 39-39 मैच जीते हंै। भारत ने जहां 67 मैचों में हिस्सा लिया, वहीं इंग्लैंड ने 66 मैच खेले।
-विश्व कप के मैच में सर्वाधिक स्कोर बनाने का रिकॉर्ड भारत के नाम दर्ज है। भारत ने 19 मार्च, 2007 को पोर्ट आॅफ स्पेन में बरमूडा के खिलाफ पांच विकेट पर 413 रन बनाए थे।
-विश्व कप में दूसरा बड़ा स्कोर श्रीलंका के नाम दर्ज है। उसने छह मार्च, 1996 को कैंडी में केन्या के खिलाफ पांच विकेट पर 398 रन बनाए थे।
-विश्व कप में सबसे कम स्कोर का रिकॉर्ड कनाडा के नाम दर्ज है। उसकी पारी पर्ल में 19 फरवरी, 2003 को श्रीलंका के खिलाफ 36 रनों पर सिमटी थी।
-विश्व कप में दूसरे कम स्कोर का रिकॉर्ड संयुक्त रूप से कनाडा (1979 में मैनचेस्टर में इंग्लैंड के खिलाफ) और नामीबिया (2003 में ब्लोमफोंटेन में आॅस्ट्रेलिया के खिलाफ) दर्ज है।
-विश्व कप में रनों के लिहाज से सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड भारत के नाम दर्ज है। उसने 19 मार्च, 2007 को पोर्ट आॅफ स्पेन में बरमूडा को 257 रनों से हराया था।
-विश्व कप में दूसरी बड़ी जीत का रिकॉर्ड आॅस्ट्रेलिया के नाम दर्ज है, उसने पोचेफस्ट्रूम में 27 फरवरी, 2003 को नामीबिया को 256 रनों से हराया था।
-विश्व कप में 11 बार टीमों ने 10 विकेट से जीत दर्ज की। वेस्टइंडीज, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका और न्यूजीलैंड ने 2-2 बार विपक्षी टीमों को 10 विकेट से हराया। भारत, पाकिस्तान और आॅस्ट्रेलिया ने यह कारनामा 1-1 बार अंजाम दिया।
-इंग्लैंड के नाम विश्व कप में सबसे ज्यादा गेंद शेष रहते जीत दर्ज करने का रिकॉर्ड है। उसने 13 जून, 1979 को मैनचेस्टर में कनाडा को 277 गेंद शेष रहते 8 विकेट से हराया था।
-विश्व कप में सबसे कम रनों से जीत का रिकॉर्ड आॅस्ट्रेलिया के नाम दर्ज है। उसने दो बार विपक्षी टीम को इस अंतर से हराया। नौ अक्टूबर, 1987 को चेन्नई में उसने भारत को तथा एक मार्च, 1992 को ब्रिसबेन में भारत को एक रन से हराया था।
-विश्व कप में चार बार टीमों ने विपक्षी टीम को एक विकेट से हराया। वेस्टइंडीज, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड ने इस अंतर से जीत दर्ज की।
-स्कॉटलैंड टीम ने 20 मई, 1999 को चेस्टर ली स्ट्रीट में पाकिस्तान के खिलाफ मैच में 59 अतिरिक्त रन दिए, जो विश्व कप का रिकॉर्ड है।

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