Sunday 8 February 2015

ट्रैक पर फिर चमकेगा दुती का चांद

राष्ट्रीय खेल: अभ्यास की कमी लेकिन 100 और 200 मीटर का स्वर्ण जीतने की तमन्ना
आगरा। मुझे अभ्यास का पर्याप्त मौका नहीं मिला, बीता समय अच्छा नहीं रहा। कुछ महीने मैं संत्रास के दौर से गुजरी पर अब सारा ध्यान दौड़ पर है। मैं राष्ट्रीय खेलों में 100 और 200 मीटर के स्वर्ण पदक हर हाल में जीतना चाहती हूं। मेरे प्रशंसक और परिजन भी चाहते हैं कि मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करूं। यह कहना है देश की उदीयमान धावक दुती चंद का। दुती राष्ट्रीय खेलों में अपने राज्य उड़ीसा का प्रतिनिधित्व करते हुए 10 फरवरी को ट्रैक पर उतरेगी।
जेण्डर परिवर्तन की तोहमत के बाद ट्रैक पर लौटी 100 मीटर फर्राटा दौड़ की नेशनल चैम्पियन दुती चंद ने पुष्प सवेरा से बातचीत में बताया कि मैं टूट चुकी थी। मैंने ग्लासगो राष्ट्रमण्डल और इंचियोन एशियाई खेलों के लिए जीतोड़ मेहनत की थी, पर मेरे अरमानों पर पानी फिर गया। जेण्डर रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद, मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं करूं भी तो क्या? तीन फरवरी, 1996 को गोपालपुर जिला जाजपुर (उड़ीसा) में चक्रधर चंद और अखुजी चंद के घर जन्मी दुती चंद ने 10 साल की उम्र में ही नेशनल स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाना शुरू कर दिया था। दुती चंद के चार बहन हैं जिनमें उसकी बड़ी बहन सरस्वती भी एथलीट रही है। दुती चंद न केवल 100 और 200 मीटर दौड़ में नेशनल चैम्पियन है बल्कि पिछले साल रांची में उसने सीनियर नेशनल एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में 100 मीटर दौड़ 11.73 सेकेण्ड और 200 मीटर दौड़ 23.73 सेकेण्ड में पूरी कर सोने के तमगे जीते थे। दुती का 100 मीटर दौड़ में सर्वश्रेष्ठ समय 11.62 सेकेण्ड है। दुती का कहना है कि राष्ट्रीय खेलों में कड़ी स्पर्धा है। एक से बढ़कर एक महिला धावक हैं। मैं सफलता की सिर्फ कोशिश कर सकती हूं। 100 और 200 मीटर दौड़ में सोचने का समय नहीं होता। इसमें शानदार शुरुआत बहुत जरूरी है। मैं चाहूंगी कि सभी के विश्वास पर खरा उतरूं।
जीते दो सौ से अधिक तमगे
पांच साल की उम्र से ट्रैक पर जलवा दिखा रही गोपालपुर (उड़ीसा) की जांबाज एथलीट दुती चंद नेशनल स्तर पर 100 और 200 मीटर दौड़ के 200 से अधिक तमगे हासिल करने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दो स्वर्ण और एक कांस्य पदक से अपना गला सजा चुकी है। भारत में जहां तक जेण्डर परिवर्तन की बात है अकेले दुती चंद ही नहीं इसका दंश शांति सुंदरराजन और पिंकी प्रमाणिक भी झेल चुकी हैं। यह दोनों निर्दोष साबित तो हो गर्इं पर इनका खेल करियर तबाह हो गया और दुबारा ट्रैक पर फिर नहीं दौड़ीं। कई महीने के बाद टैÑक पर रफ्तार दिखाने को बेताब दुती चंद ने कहा कि वह भारतीय खेल प्राधिकरण और उसके पूर्व महानिदेशक जिजी थामसन की शुक्रगुजार है जिनके प्रयासों से पुन: टैÑक पर उतरी।

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