Sunday 31 August 2014

पापा के लिए जीतना है स्वर्ण: गीतिका जाखड़

चायनीज, जापानी और मंगोलियाई पहलवानों से मिलेगी चुनौती
एक परिवार ऐसा भी जहां बाबा से नाती-नातिन तक सभी पहलवान
पुष्प सवेरा विशेष
श्रीप्रकाश शुक्ला
आगरा। ग्लास्गो में शानदार सफलता से उत्साहित भारतीय महिला पहलवान 19 सितम्बर से चार अक्टूबर तक दक्षिण कोरिया के इंचियोन शहर में होने वाले 17वें एशियाई खेलों के लिए तैयार हैं। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में प्रशिक्षण ले रही महिला पहलवानों ने पुष्प सवेरा से बातचीत में बताया कि एशियाई खेलों में चायनीज, जापानी और मंगोलियाई पहलवान खास चुनौती होंगी। तैयारियां मुकम्मल हैं, इंतजार है तो सिर्फ एशियाई खेलों का।
दक्षिण कोरिया में होने जा रहे एशियाई खेलों में भारतीय महिला पहलवान चार वजन वर्गों में दांव-पेंच दिखाएंगी। इन पहलवानों में ग्लास्गो राष्ट्रमण्डल  खेलों की स्वर्ण पदकधारी बबिता फोगाट और विनेश फोगाट के साथ ही रजत पदक विजेता गीतिका जाखड़ शामिल हैं। ग्लासगो में पदक से चूकी ज्योति भी भारतीय महिला कुश्ती टीम का प्रतिनिधित्व करेंगी। एशियाई खेलों में कुश्ती स्पर्धा 27 सितम्बर से एक अक्टूबर के बीच होगी। कुश्ती में भारत को अपनी महिला चौकड़ी से बहुत उम्मीदें हैं। दूरभाष पर हुई बातचीत में गीतिका जाखड़ ने बताया कि ग्लास्गो में स्वर्ण पदक न जीत पाने का मुझे ही नहीं मेरे पिताजी को भी मलाल है। सच कहूं तो पिताजी मुझसे आज भी नाराज हैं। इंचियोन में मैं अपने पिताजी की हसरत हर हाल में पूरा करना चाहती हूं। मेरा लक्ष्य सिर्फ और सिर्फ स्वर्ण पदक है। मुझे पता है कि राष्ट्रमण्डल खेलों से कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण एशियाई खेल हैं, पर चुनौतियों से पार पाना ही मेरा मकसद है।
ग्लास्गो में भारतीय महिला और पुरुष पहलवानों ने पांच स्वर्ण, छह रजत और दो कांस्य पदक सहित कुल 13 पदक अपनी झोली में डाले थे।  राष्ट्रमंडल खेलों में ग्रीको रोमन कुश्ती स्पर्धा शामिल नहीं थी जबकि इंचियोन में भारतीय पुरुष पहलवान फ्रीस्टाइल और ग्रीको रोमन स्पर्धाओं में दांव लगाएंगे। महिला चौकड़ी केवल फ्रीस्टाइल स्पर्धा में शिरकत करेगी। कुश्ती में कुल 20 स्वर्ण पदक दांव पर होंगे। एशियाई खेलों की कुश्ती स्पर्धा में प्रत्येक देश से 14 पुरुष और चार महिला पहलवानों को दांव-पेंच दिखाने का मौका दिया जा रहा है। महिला कुश्ती की नई सनसनी 20 वर्षीय विनेश फोगाट को भरोसा है कि एशियाई खेलों में भारतीय चौकड़ी अच्छा प्रदर्शन करेगी। राष्ट्रमण्डल खेलों की स्वर्ण पदकधारी विनेश को उम्मीद है कि चारों ंंमहिला पहलवान अपने-अपने वजन वर्गों में पदक जीत सकती हैं।
कुश्ती मेरा खानदानी खेल: विनेश
भारतीय महिला कुश्ती की नई उम्मीद विनेश फोगाट ने बातचीत में बताया कि कुश्ती उसका खानदानी खेल है। हमारे घर में हर कोई पहलवान है। हरियाणा के भिवानी जिले के बलानी गांव की बलशाली विनेश ने खुलासा किया कि उसके बाबा श्रीमान सिंह, पापा स्वर्गीय शिराज पाल सिंह और ताऊ महावीर सिंह पूरी तरह से पहलवानी को समर्पित  रहे हैं। बकौल विनेश मेरा पहले कुश्ती से कोई लगाव नहीं था पर बाबा मेरे ऊपर मिट्टी डाल देते थे। बस फिर क्या था मुझे इस खेल में मजा आने लगा। मेरी मां प्रेमलता और बाबा चाहते हैं कि मैं ओलम्पिक में पदक जीतूं।  विनेश कहती है कि मैं जब घर में रहती हूं तो दो किलो दूध पी लेती हूं, प्रशिक्षण शिविरों में ऐसा नहीं हो पाता। यहां का दूध मुझे नहीं भाता। विनेश बताती है कि उसका भाई हरेन्दर और बड़ी बहन प्रियंका भी दमदार पहलवान हैं। अंतरराष्ट्रीय पहलवान और चचेरी बहन गीतिका और बबिता दीदी से तो सभी परिचित हैं ही। एशियाई खेलों में बबिता दीदी भी जा रही हैं। क्या चारों बहनों के बीच कुश्ती को लेकर बात होती है? इस पर विनेश ने कहा कि हां हम मुकाबले से पहले अपनी बड़ी बहनों से बात कर लेते हैं। कुश्ती के अलावा उसका क्या शौक है? विनेश ने बताया कि मैं चाहती हूं कि खूब घूमूं। देश-दुनिया को करीब से देखूं पर अफसोस समय नहीं मिल पाता। वह एक बार ताजमहल जरूर देखना चाहेगी।
तैलीय पदार्थ ना बाबा ना: गीतिका
अपने खानपान पर गीतिका जाखड़ ने बताया कि वह तैलीय पदार्थों से परहेज करती है। हां वह शारीरिक रूप से चुस्त-दुरुस्त रहने के लिए फल, बादाम और जूस का अधिक से अधिक इस्तेमाल करती है। पहलवानी के शौक पर गीतिका ने बताया कि पहले वह कुश्ती में नहीं आना चाहती थी लेकिन पहलवान पापा चाहते थे कि वह अन्य खेलों की अपेक्षा कुश्ती में ही करियर बनाए, लिहाजा मैंने इस खेल को आत्मसात कर लिया। गीतिका कहती है कि ग्लास्गो राष्ट्रमण्डल खेलों में रजत पदक जीतने के बाद भी पापा बहुत नाराज हैं। उनका कहना है कि उन्हें स्वर्ण पदक से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। मैं इंचियोन में स्वर्ण जीतकर पापा को खुश करना चाहती हूं। 

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