पूर्व भारतीय कप्तान दिलीप वेंगसरकर ने इंग्लैंड के हाथों शर्मनाक हार के बाद आज कोच डंकन फ्लैचर और अन्य सहयोगी स्टाफ को तुरंत बर्खास्त करने की अपील की तथा साथ ही कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को स्पष्ट गलतियों के लिये आड़े हाथों लिया।
वेंगसरकर ने कहा कि धोनी ने श्रृंखला में शुरू से ही खराब तरीके से टीम की अगुआई की। उनकी क्षेत्ररक्षण की सजावट और रणनीति व्यावहारिक समझ की कमी दिखी लेकिन अभी कोई ऐसा नहीं है जो कप्तानी का बोझ उठा सके। उन्होंने साक्षात्कार में कहा, धोनी ने टीम की अगुआई अच्छी तरह से नहीं की। उसकी चयन नीति, रणनीति, क्षेत्ररक्षण की सजावट और गेंदबाजी में बदलाव में व्यावहारिक समझ की कमी दिखी। उसने मैच दर मैच कुछ स्पष्ट दिखने वाली गलतियां कीं जिसका खामियाजा भारत को भुगतना पड़ा।
वेंगसरकर ने फ्लैचर की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा, यह उसका (धोनी) और भारत का दुर्भाग्य है कि उसके पास डंकन फ्लैचर जैसा कोच है जिसके पास कोई आइडिया नहीं है और वह नहीं जानता कि चीजों को कैसे बदलना है। लगता है कि वह युवा टीम को प्रेरित नहीं कर पा रहा है।
वेंगसरकर ने कहा कि पूरे कोचिंग स्टाफ को तुरंत बर्खास्त कर देना चाहिए। उन्होंने कहा, सहयोगी स्टाफ और थिंक टैंक ने टीम को बुरी तरह से नीचा दिखाया। उम्मीद है कि बीसीसीआई सीनियर खिलाड़ियों की उनके बारे में राय जानने से पहले ही उन्हें तुरंत प्रभाव से बर्खास्त करेगा। अपने करियर में 116 टेस्ट मैच खेलने वाले वेंगसरकर ने संदीप पाटिल की अगुआई वाली चयन समिति के बारे में कहा कि वह दूरदृष्टा नहीं है और वह बल्लेबाजी क्रम में विभिन्न स्थानों के लिये खिलाड़ियों को तैयार करने में नाकाम रही।
लार्ड्स में 1979, 1982 और 1986 में लगातार तीन टेस्ट शतक लगाने वाले वेंगसरकर से हुई साक्षात्कार के अंश:
सवाल : पांच टेस्ट मैचों की श्रृंखला में इस शर्मनाक हार का आपकी नजर में क्या कारण है?
उत्तर: पहला और सबसे अहम कारण बीसीसीआई टेस्ट क्रिकेट को बहुत अधिक महत्व नहीं दे रहा है और इसका सबूत यह है कि पांच टेस्ट मैचों के लिये कोई खास तैयारी नहीं की गयी। इसके अलावा कार्यक्रम भी गलत तैयार किया गया। टेस्ट मैचों के बीच में कोई अभ्यास मैच नहीं रखा गया जिससे कि खराब फार्म में चल रहे खिलाड़ी फार्म में लौट सकें और बाहर बैठे सात रिजर्व खिलाड़ियों को मैच अभ्यास का मौका मिले।
हम 18 खिलाड़ियों को लेकर गये और लगभग इतने ही तथाकथित सहयोगी स्टाफ के कर्मचारी थे। गेंदबाजी 20 विकेट लेने में सक्षम नहीं दिख रही थी और बल्लेबाज फार्म में नहीं थे। उनके पास मूव करती गेंद को खेलने के तकनीक ही नहीं प्रतिबद्धता और जुझारूपन की कमी भी थी। वे बलि के बकरे की तरह दिख रहे थे और उन्होंने लगातार एक जैसी गलतियां कीं। मुझे हैरानी है कि बल्लेबाजी, गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण कोच क्या कर रहे थे?
सवाल: क्या पहले यहां और बाद में इंग्लैंड में टीम का चयन गलत किया गया?
उत्तर: चयनकर्ताओं का काम आसान था क्योंकि उन्होंने सर्वश्रेष्ठ संभावित 18 खिलाड़ियों की टीम का चयन कर दिया। उन्होंने विकल्प तैयार करने के बारे में नहीं सोचा। उनमें विजन की कमी और कड़े फैसले करने का साहस नहीं था। उन्होंने सबसे सरल रास्ता चुना।
सवाल : क्या आपको लगता है कि रविंद्र जड़ेजा-जेम्स एंडरसन के बीच झगड़े और भारत का एंडरसन को प्रतिबंधित करने पर जोर देने से टीम का ध्यान भंग हुआ?
उत्तर: मैं ऐसा नहीं मानता। ऐसी घटनाएं टेस्ट क्रिकेट का हिस्सा हैं। यदि आपको ऐसी चीजें प्रभावित करती हैं तो फिर टेस्ट क्रिकेट आपके लिये सही जगह नहीं है। ऐसे में आप टेस्ट क्रिकेट नहीं हल्के फुल्के खेल का चुनाव कर सकते हैं।
सवाल: इस हार के लिये आप धोनी की कप्तानी और फ्लैचर की कोचिंग को कितना जिम्मेदार मानते हो। इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड और अब इंग्लैंड में लगातार हार से क्या इन दोनों को हटा देना चाहिए?
उत्तर: धोनी ने टीम की अगुआई अच्छी तरह से नहीं की। उसकी चयन नीति, रणनीति, क्षेत्ररक्षण की सजावट और गेंदबाजी में बदलाव में व्यावहारिक समझ की कमी दिखी। उसने मैच दर मैच कुछ बड़ी गलतियां कीं जिसका खामियाजा भारत को भुगतना पड़ा। यह उसका और भारत का दुर्भाग्य है कि उसके पास डंकन फ्लैचर जैसा कोच है जिसके पास कोई आइडिया नहीं है और वह नहीं जानता कि चीजों को कैसे बदलना है। लगता है कि वह युवा टीम को प्रेरित नहीं कर पा रहा है। सच्चाई यह है कि सहयोगी स्टाफ और थिंक टैंक ने टीम को बुरी तरह से नीचा दिखाया। उम्मीद है कि बीसीसीआई उन्हें तुरंत प्रभाव से बर्खास्त करेगा।
वेंगसरकर ने कहा कि धोनी ने श्रृंखला में शुरू से ही खराब तरीके से टीम की अगुआई की। उनकी क्षेत्ररक्षण की सजावट और रणनीति व्यावहारिक समझ की कमी दिखी लेकिन अभी कोई ऐसा नहीं है जो कप्तानी का बोझ उठा सके। उन्होंने साक्षात्कार में कहा, धोनी ने टीम की अगुआई अच्छी तरह से नहीं की। उसकी चयन नीति, रणनीति, क्षेत्ररक्षण की सजावट और गेंदबाजी में बदलाव में व्यावहारिक समझ की कमी दिखी। उसने मैच दर मैच कुछ स्पष्ट दिखने वाली गलतियां कीं जिसका खामियाजा भारत को भुगतना पड़ा।
वेंगसरकर ने फ्लैचर की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा, यह उसका (धोनी) और भारत का दुर्भाग्य है कि उसके पास डंकन फ्लैचर जैसा कोच है जिसके पास कोई आइडिया नहीं है और वह नहीं जानता कि चीजों को कैसे बदलना है। लगता है कि वह युवा टीम को प्रेरित नहीं कर पा रहा है।
वेंगसरकर ने कहा कि पूरे कोचिंग स्टाफ को तुरंत बर्खास्त कर देना चाहिए। उन्होंने कहा, सहयोगी स्टाफ और थिंक टैंक ने टीम को बुरी तरह से नीचा दिखाया। उम्मीद है कि बीसीसीआई सीनियर खिलाड़ियों की उनके बारे में राय जानने से पहले ही उन्हें तुरंत प्रभाव से बर्खास्त करेगा। अपने करियर में 116 टेस्ट मैच खेलने वाले वेंगसरकर ने संदीप पाटिल की अगुआई वाली चयन समिति के बारे में कहा कि वह दूरदृष्टा नहीं है और वह बल्लेबाजी क्रम में विभिन्न स्थानों के लिये खिलाड़ियों को तैयार करने में नाकाम रही।
लार्ड्स में 1979, 1982 और 1986 में लगातार तीन टेस्ट शतक लगाने वाले वेंगसरकर से हुई साक्षात्कार के अंश:
सवाल : पांच टेस्ट मैचों की श्रृंखला में इस शर्मनाक हार का आपकी नजर में क्या कारण है?
उत्तर: पहला और सबसे अहम कारण बीसीसीआई टेस्ट क्रिकेट को बहुत अधिक महत्व नहीं दे रहा है और इसका सबूत यह है कि पांच टेस्ट मैचों के लिये कोई खास तैयारी नहीं की गयी। इसके अलावा कार्यक्रम भी गलत तैयार किया गया। टेस्ट मैचों के बीच में कोई अभ्यास मैच नहीं रखा गया जिससे कि खराब फार्म में चल रहे खिलाड़ी फार्म में लौट सकें और बाहर बैठे सात रिजर्व खिलाड़ियों को मैच अभ्यास का मौका मिले।
हम 18 खिलाड़ियों को लेकर गये और लगभग इतने ही तथाकथित सहयोगी स्टाफ के कर्मचारी थे। गेंदबाजी 20 विकेट लेने में सक्षम नहीं दिख रही थी और बल्लेबाज फार्म में नहीं थे। उनके पास मूव करती गेंद को खेलने के तकनीक ही नहीं प्रतिबद्धता और जुझारूपन की कमी भी थी। वे बलि के बकरे की तरह दिख रहे थे और उन्होंने लगातार एक जैसी गलतियां कीं। मुझे हैरानी है कि बल्लेबाजी, गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण कोच क्या कर रहे थे?
सवाल: क्या पहले यहां और बाद में इंग्लैंड में टीम का चयन गलत किया गया?
उत्तर: चयनकर्ताओं का काम आसान था क्योंकि उन्होंने सर्वश्रेष्ठ संभावित 18 खिलाड़ियों की टीम का चयन कर दिया। उन्होंने विकल्प तैयार करने के बारे में नहीं सोचा। उनमें विजन की कमी और कड़े फैसले करने का साहस नहीं था। उन्होंने सबसे सरल रास्ता चुना।
सवाल : क्या आपको लगता है कि रविंद्र जड़ेजा-जेम्स एंडरसन के बीच झगड़े और भारत का एंडरसन को प्रतिबंधित करने पर जोर देने से टीम का ध्यान भंग हुआ?
उत्तर: मैं ऐसा नहीं मानता। ऐसी घटनाएं टेस्ट क्रिकेट का हिस्सा हैं। यदि आपको ऐसी चीजें प्रभावित करती हैं तो फिर टेस्ट क्रिकेट आपके लिये सही जगह नहीं है। ऐसे में आप टेस्ट क्रिकेट नहीं हल्के फुल्के खेल का चुनाव कर सकते हैं।
सवाल: इस हार के लिये आप धोनी की कप्तानी और फ्लैचर की कोचिंग को कितना जिम्मेदार मानते हो। इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड और अब इंग्लैंड में लगातार हार से क्या इन दोनों को हटा देना चाहिए?
उत्तर: धोनी ने टीम की अगुआई अच्छी तरह से नहीं की। उसकी चयन नीति, रणनीति, क्षेत्ररक्षण की सजावट और गेंदबाजी में बदलाव में व्यावहारिक समझ की कमी दिखी। उसने मैच दर मैच कुछ बड़ी गलतियां कीं जिसका खामियाजा भारत को भुगतना पड़ा। यह उसका और भारत का दुर्भाग्य है कि उसके पास डंकन फ्लैचर जैसा कोच है जिसके पास कोई आइडिया नहीं है और वह नहीं जानता कि चीजों को कैसे बदलना है। लगता है कि वह युवा टीम को प्रेरित नहीं कर पा रहा है। सच्चाई यह है कि सहयोगी स्टाफ और थिंक टैंक ने टीम को बुरी तरह से नीचा दिखाया। उम्मीद है कि बीसीसीआई उन्हें तुरंत प्रभाव से बर्खास्त करेगा।
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