Friday, 1 August 2014

ग्लास्गो में भारतीय पहलवानों का जांबाज प्रदर्शन

14 पहलवान, 13 पदक
भारतीय पहलवानों ने पांच स्वर्ण, छह रजत और दो कांस्य जीते, ज्योति रही खाली हाथ
आगरा। कहते हैं कि हौसला और कुछ कर गुजरने का जुनून हो तो कठिन से कठिन बाधा भी सहजता से लांघी जा सकती है। स्काटलैण्ड के ग्लासगो में यही कुछ साबित किया है हमारे जांबाज भारतीय पहलवानों ने। जब हमारे भारतीय पहलवानों का दल ग्लासगो गया था तब उम्मीद थी कि 14 सदस्यीय (सात पुरुष और सात महिला) दल 10 पदक जीत सकता है लेकिन जांबाज पहलवानों ने 13 पदक जीत दिखाए।
ग्लासगो में चल रहे 20वें राष्ट्रमण्डल खेलों में 213 भारतीय खिलाड़ियों ने शिरकत की जिनमें 14 पहलवान हैं। कुश्ती प्रतियोगिता का समापन हो चुका है। ग्लासगो में गये सातों पुरुष पहलवानों ने जहां कोई न कोई पदक अपनी झोली में डाला वहीं महिला वर्ग में ज्योति को छोड़कर सबने पदक जीते। डबल ओलम्पिक पदकधारी सुशील कुमार, योगेश्वर दत्त और अमित कुमार ने पुरुष वर्ग तो वीनेश और बबिता फोगाट ने महिला वर्ग में स्वर्णिम चमक बिखेरी वहीं  राजीव तोमर, सत्यव्रत काडियान, बजरंग, ललिता सहरावत, गीतिका जाखड़ और साक्षी मलिक ने रजत पदक जीते जबकि पवन कुमार, नवजोत कौर को कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा। इस तरह ग्लास्गो में भारतीय महिला और पुरुष पहलवानों ने पांच स्वर्ण, छह रजत और दो कांस्य पदक सहित कुल 13 पदक अपनी झोली में डाले। राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय पहलवानों की झोली में 19 पदक गिरे थे जिनमें 10 स्वर्ण, पांच रजत और चार कांस्य थे लेकिन इस बार स्पर्धा में ग्रीको रोमन को शामिल नहीं किया गया था। भारतीय पहलवानों की इस सफलता पर हर कोई खुश है। खुश होना लाजिमी भी है।
यह देश के लिए गौरव की बात: हनुमान
पहलवानों की इस सफलता पर राजस्थान के नामचीन पहलवान हनुमान गुर्जर ने खुशी जताते हुए कहा कि यह सिर्फ पहलवान बिरादरी के लिए ही नहीं बल्कि देश के लिए गौरव की बात है। ग्लासगो में हमारे पहलवानों की सफलता यह साबित करती है कि यदि मुल्क की सभी सरकारें कुश्ती और पहलवानों को बढ़ावा दें तो इस खेल में भारत दुनिया में सिरमौर हो सकता है। श्री गुर्जर कहते हैं कि आसमान छूती महंगाई में पहलवानी का शौक आसान बात नहीं है। इस खेल को न केवल प्रोत्साहन की जरूरत है बल्कि खिलाड़ियों को रोजगार मिले इसके भी प्रयास हमारी सरकारों को करना चाहिए। श्री गुर्जर ने पहलवानों की इस सफलता पर प्रशिक्षकों और खिलाड़ियों को बधाई देते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद है कि हमारे पहलवान एशियाई खेलों में और शानदार प्रदर्शन करेंगे।
खिलाड़ी ही होना चाहिए खेलमंत्री: राहुल
ग्लासगो में भारतीय पहलवानों के शानदार प्रदर्शन पर राजस्थान के होनहार पहलवान और अमित दहिया के रूम पार्टनर रह चुके राहुल गदरी कहते हैं कि मैं कितना खुश हूं इसे शब्दों से बयां नहीं कर सकता। राहुल कहते हैं कि देश में कुश्ती के प्रोत्साहन की दरकार है। राजस्थान सरकार को भी इस खेल पर ध्यान देना चाहिए। राहुल का कहना है कि देश में यदि सम्पूर्ण खेलों का भला करना है तो कोई भी सरकार हो उसे किसी खिलाड़ी को ही खेल मंत्री बनाना चाहिए। राहुल ने कहा कि ग्लासगो में महिला प्रशिक्षक कृपाशंकर बिशनोई के साथ जो हुआ उसकी जितनी भी निन्दा की जाए वह कम है। राहुल का मानना है कि यदि कृपाशंकर जी महिला पहलवानों के साथ होते तो परिणाम और सुखद होते। प्रशिक्षक किसी भी खेल का हो उसका सम्मान होना चाहिए क्योंकि बिना गुरु के कोई खिलाड़ी सुखद परिणाम नहीं दे सकता।

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