Saturday 16 November 2013

दोस्तों मैं चला...

अपने तेज, वेग और चमत्कारिक खेल से 24 साल तक क्रिकेट को गौरवान्वित करने वाले सचिन तेंदुलकर आज से अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी क्रिकेट में कभी नहीं खेलेंगे। टीम इण्डिया ने उनकी मंशानुरूप उन्हें आज उनके ही गृह शहर में विजयी रथ से विदा किया। सचिन के इस शाही संन्यास के बाद क्रिकेट मुरीद महानतम सचिन का अश्क दूसरे खिलाड़ियों में जरूर खोजेंगे पर सूर्य सा तेज और वायु सा वेग हर किसी में शायद ही मिले। शिद्दत से 24 साल तक अपने मुरीदों के दिलों पर राज करने वाला यह खिलाड़ी तो रहेगा पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी क्रिकेट उसके नायाब खेल की कसक जरूर महसूस करेगी।
आज क्रिकेट से बेशुमार मोहब्बत करने वाले हर शख्स के मन में सचिन के संन्यास की पीड़ा है। कल जिन्होंने उनकी 74 रनों की पारी देखी उनके मन में एक टीस है कि काश यह जीनियस कुछ साल और खेलता। दुनिया भर की तमाम समझदारी का साझा सच यही है कि अब क्रिकेट तो रहेगी पर सचिन सा अनमोल हीरा नहीं होगा। सचिन जब भी बल्लेबाजी करने के लिए उतरे उन पर करोड़ों लोगों की उम्मीदों और आशाओं का बोझ रहा। मुम्बई में भी ऐसा ही था। अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी क्रिकेट में 24 साल तक अपने शानदार खेल का आगाज और शतकों का शतक तथा 34000 से अधिक रन बनाना हंसी खेल नहीं है। लोगों को बहुत समय तक याद नहीं रहता पर सचिन की चपलता, अपर कट और उसके दर्शनीय स्ट्रेट ड्राइव लोगों के जेहन में जरूर होंगे। अगर हम सचिन को क्रिकेट का भगवान मानते रहे हैं, अगर हम यह मानते हैं कि क्रिकेट इतिहास में वह दुर्लभ जीनियस हैं और इतिहास के पन्नों में हमेशा अजर अमर रहेंगे तो हमें इस नटवर नागर को दिल से सलाम करते हुए इस दुर्लभ संयोग का आनंद लेना चाहिए। 

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