Saturday 9 November 2013

खजाने पर निगहबानी

कानपुर के परेड, बिठूर और फतेहपुर के भगवतपुर में भी स्वर्ण खजाने!
पतित पावनी गंगा के तीरे साल भर श्रद्धालु आते-जाते रहते हैं। साल में कुछ ऐसे भी अवसर आते हैं जब श्रद्धालुओं का रेला मोक्षदायिनी गंगा में डुबकी लगाकर अपने को पुण्य का भागी मानता है। इस समय उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले का एक पिछड़ा ऐतिहासिक गांव डौंड़ियाखेड़ा सिर्फ प्रदेश ही नहीं सम्पूर्ण देश के जनमानस के कौतूहल का केन्द्रबिन्दु बना हुआ है। वजह एक हजार टन सोने का वह खजाना है जिसे आजादी के दीवाने राजा राव रामबख्श सिंह की धरोहर माना जा रहा है। इस खजाने को लेकर सिर्फ जनमानस ही नहीं सरकारी मशीनरी भी बौराई हुई है।  खजाने को हासिल करने के लिए हर तरह के प्रयास शुरू हो चुके हैं। खजाने की सूचना पर्यावरण प्रेमी और लोकप्रिय संत सोभन सरकार ने बीते माह केन्द्रीय मंत्री चरणदास महंत को दी थी। फिर क्या था यह बात जंगल में आग की तरह फैल गई। कहा जा रहा है कि संत सोभन सरकार को राजा राव रामबख्श सिंह ने खजाने का सपना दिखाया है। जो भी हो इस बात को लेकर जितने मुंह उतनी बातें हो रही हैं। लोगों की कही सच मानें तो सोभन सरकार ने सिर्फ डौंड़ियाखेड़ा ही नहीं फतेपुर जिले के दुधीकगार आश्रम के पास स्थित भगवतपुर गांव, कानपुर के परेड और बिठूर के पास भी अकूत सोना दबे होने की जानकारी सम्बन्धित जिला प्रशासन को दी है। सोभन सरकार के शिष्य ओम ने तो यहां तक कहा है कि भगवतपुर में 25 हजार टन से अधिक सोना जमींदोज है। संत सोभन सरकार ने चूंकि बैसवारा क्षेत्र में विकास की गंगोत्री बहाने के प्रयास किये हैं सो इन्हें लोग देवतुल्य मानते हैं।
उन्नाव से कोई 60 किलोमीटर दूर गंगा के किनारे स्थित डौंड़ियाखेड़ा में स्वर्ण खजाने की खुदाई जहां जारी है, वहीं दूर-दूर से लोग वहां पहुंच रहे हैं। पुरातत्व विभाग की देखरेख में हो रही धीमी गति की खुदाई से जहां लोग नाखुश हैं वहीं हर कोई सोभन सरकार की कही सच मान रहा है। सोभन सरकार का इस क्षेत्र से कोई दो दशक पुराना नाता है। इससे पूर्व संत प्रवर सोभन सरकार बिठूर और कानपुर देहात के शिवली गांव स्थित अपने 100 एकड़ के आश्रम में ईश्वर आराधना करते थे। दरअसल संत सोभन सरकार डौंड़ियाखेड़ा से कोई दो किलोमीटर दूर गंगा के पावन तट पर स्थित बक्सर में मां चन्दिका देवी मंदिर के पास स्थित सत्संगा नंद बाबा के आश्रम से जुड़ाव के चलते यहां आए। उन्होंने इस आश्रम की कायाकल्प करने के साथ ही मां चन्दिका देवी मंदिर के जीर्णोद्धार का पुनीत कार्य भी किया। इस क्षेत्र के लिए उनका सबसे बड़ा पुण्य कार्य गंगा पुल निर्माण है। समाजवादी पार्टी की पिछली प्रदेश सरकार के सामने जब संत सोभन सरकार ने गंगा पुल निर्माण की बात रखी तो पहले तो सरकार तैयार नहीं हुई पर उनके यह कहने पर कि सरकार यदि यह कार्य नहीं करती तो वे स्वयं यहां पुल निर्माण का पुनीत कार्य करेंगे।
संत सोभन सरकार की मंशा का पता लगते ही उनके मुरीदों ने सीमेंट और सरियों से भरे ट्रक भेजने शुरू कर दिए। सरकार को इस बात की भनक लगते ही तत्कालीन लोक निर्माण मंत्री शिवपाल सिंह यादव न केवल पहुंचे बल्कि उन्होंने संतश्री को पुल निर्माण का भरोसा भी दिया। संत सोभन सरकार ने मंत्री शिवपाल सिंह यादव के सामने शर्त रखी कि पुल बने पर इस पुल से किसी प्रकार का भी टैक्स न लिया जाए। अंतत: पुल बना और लोगों ने राहत की सांस ली। संतश्री ने मंत्री शिवपाल को आशीष दिया था कि पुल बनवाने पर वे एक बार फिर लोक निर्माण मंत्री बनेंगे, और ऐसा हुआ भी। फिलवक्त शिवपाल सिंह अखिलेश सरकार में लोक निर्माण मंत्री ही हैं। जो भी हो इस पुल के बन जाने से क्षेत्र के लोगों को फतेहपुर जिले की बड़ी मण्डियों में शुमार बिन्दकी से कारोबार करने में आसानी हो गई। इससे पहले लोगों को बिन्दकी मण्डी पहुंचने के लिए 30-40 किलोमीटर से अधिक का अतिरिक्त रास्ता तय करना पड़ता था।
मां चन्दिका देवी के अनन्य भक्त थे राजा राव रामबख्श सिंह
आजादी के दीवाने राजा राव रामबख्श सिंह न केवल बहादुर थे बल्कि मां चन्दिका देवी के अनन्य भक्त भी थे। वे प्रतिदिन कई घण्टों मां चन्दिका देवी की पूजा-अर्चना करते थे। जनश्रुति है कि जब वे मां चन्दिका देवी की आराधना करते थे तब म्यान से तलवार स्वयं उनके हाथ में आ जाती थी।
1859 में अंग्रेजों ने दी थी राजा राव रामबख्श सिंह को फांसी
बहादुर राजा राव रामबख्श सिंह को तत्कालीन मुरारमऊ रियासत के राजा भगवती बख्श सिंह के षड्यंत्र के चलते 1859 में बक्सर स्थित एक बरगद के पेड़ में फांसी पर चढ़ा दिया गया था। यह पेड़ दो दशक पहले गिर चुका है। जनश्रुति है कि मरने से पहले राजा राव रामबख्श सिंह ने भगवती बख्श सिंह को श्राप दिया था कि सात पुश्त तक मुरारमऊ राजघराने का कोई भी वारिस राजगद्दी पर नहीं बैठ पाएगा। उनकी कही सच निकली। लगभग जमींदोज हो चुकी मुरारमऊ रियासत  की राजगद्दी की परम्परा आज भी दशहरा को निभाई तो जाती है पर इस राजगद्दी पर अब तक गोद लिए बच्चे ही बैठते आए हैं।
...तो मालामाल हो जाएगा उत्तर प्रदेश
पुष्प सवेरा ने जब क्षेत्रवासियों से सोने के खजाने की असलियत जानने की कोशिश की तो शिक्षक जयप्रकाश बाजपेई, गिरीश तिवारी, राजकुमार मिश्रा आदि ने कहा संत सोभन सरकार जो कहते हैं वही सच होता है। क्षेत्र के लोगों को पूरा भरोसा है कि डौंड़ियाखेड़ा में सोने का भण्डार अवश्य निकलेगा। इन लोगों का कहना है कि संतश्री कानपुर के परेड, बिठूर और फतेहपुर के गांव भगवतपुर में भी सोने के खजाने होने की बात कह रहे हैं, जोकि सच साबित होगी। काश यह सच हो जाए ताकि देश का सबसे बड़ा प्रदेश मालामाल हो जाए।
 

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