दो बार किया इंग्लिश चैनल पार
पांचों
महाद्वीप और सातों समुद्र तैरकर पार करने वाली पहली महिला
बुला चौधरी एक लम्बी दूरी की तैराक हैं। वह विश्व की पहली ऐसी महिला तैराक हैं
जिन्होंने पांचों महाद्वीप के सातों समुद्र तैरकर पार किए हैं और उन पर अपनी विजय
पताका फहराई है। पूर्व विधायक और अंतरराष्ट्रीय तैराक बुला चौधरी का जन्म दो
जनवरी, 1970 में कोलकाता में हुआ। तैराकी में अप्रतिम उपलब्धियां हासिल करने वाली
बुला चौधरी को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित करने के साथ ही उन्हें भारतीय जलपरी की
उपाधि से भी नवाजा जा चुका है। वर्ष 2003 में उन्हें ध्यानचंद लाइफ टाइम एचीवमेंट अवॉर्ड भी दिया गया है। इनका पूरा
नाम बुला चौधरी चक्रवर्ती है।
बुला चौधरी एक ऐसी कुशल तैराक हैं जिन्होंने लम्बी दूरी की तैराकी के साथ-साथ
प्रतिस्पर्धी तैराकी में भी नाम कमाया है। वह सुर्खियों में तब आईं जब उन्होंने
मात्र नौ साल की आयु में राष्ट्रीय प्रतियोगिता जीत ली। तब बुला चौधरी ने अपनी आयु
वर्ग की सभी प्रतियोगिताएं जीतने के साथ ही एक साथ छह स्वर्ण पदक जीत लिए थे।
अपने 24 साल के तैराकी जीवन में बुला
चौधरी सात समुद्र और पांचों महाद्वीपों के जलडमरूमध्य को पार करने वाली विश्व की
पहली महिला हैं। उन्होंने अपना यह विशिष्ट मुकाम तब पूर्ण किया जब 24 अगस्त, 2004 को उन्होंने श्रीलंका में तलाईमन्नार से तमिलनाडु के
घनुष्कोटि तक की पाल्क स्ट्रेट की 40 किलोमीटर की दूरी 13 घंटे 54 मिनट में तैरकर तय की। उस समय वह 34 वर्ष की थीं। जब वह इस साहसिक काम को अंजाम दे
रही थीं उस समय समुद्र बहुत उफान पर था। तेज हवाएं चल रही थीं। एक किलोमीटर तक उन्हें
बारिश का भी सामना करना पड़ा। बुला चौधरी बताती हैं कि मेरी एक बार प्रधानमंत्री से
भी मुलाकात हुई और उन्होंने मुझसे कहा था कि यू आर द रोल मॉडल ऑफ इंडियन वूमैन। आप
भारतीय महिलाओं के लिए एक आदर्श हैं। मैं उनके कथन को सदैव याद रखती हूँ और जितना
सम्भव होता है युवा तैराकों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहती हूँ।
बुला ने 1989 में इंग्लिश
चैनल तैरकर पार किया था फिर अपनी इस तैराकी को दोहराते हुए 1999 में पुनः इंग्लिश चैनल पार किया। वह दो बार
इंग्लिश चैनल पार करने वाली प्रथम एशियाई महिला हैं। बुला चौधरी का कहना है कि वह
बचपन से ही तैराकी में कुछ नया करना चाहती थी। मेरा सपना लम्बी दूरी की तैराकी में
रिकॉर्ड बनाना था। यह सब मेरे लिए आसान नहीं था लेकिन मेरे इरादे मजबूत थे सो कोई
भी मजबूरी रुकावट नहीं बनी। बुला ने अगस्त 2000 में जिब्राल्टर जलडमरूमध्य (स्पेन) पार किया। उनकी इस
तैराकी के वक्त उनके पति तथा कोच संजीव चक्रवर्ती तथा दस वर्षीय पुत्र सर्बूजी भी
उनके साथ कोलंबो में थे। बुला चौधरी कहती हैं कि यह तैराकी सातों समुद्रों में
सबसे कठिन थी। सभी भारतीयों की शुभकामनाओं से ही मैं यह दूरी पार कर सकी और गिनीज
बुक ऑफ रिकॉर्ड में स्थान पा सकी। बुला की इस तैराकी हो सहारा इंडिया ने स्पांसर
किया था। इस कठिन लक्ष्य पर फतह हासिल करने के बाद बुला ने 2001 में इटली का तिरानियन समुद्र पार किया फिर 2002 में उन्होंने अमेरिका में केटेलिना चैनल पार
किया। 2003 में उन्होंने न्यूजीलैंड
में कुक्स जलडमरूमध्य पार किया।
बुला चौधरी ने जिब्राल्टर जलडमरूमध्य को तैरकर रिकॉर्ड समय में पार किया था।
इसे उन्होंने तीन घंटे 35 मिनट के रिकॉर्ड
समय में पार कर लिया था जो आज भी एक विश्व रिकॉर्ड है। जिब्राल्टर स्ट्रेट स्पेन
से मोरक्को तक है, जिसकी दूरी 20 किलोमीटर है। जुलाई
2002 में बुला ने ग्रीस के
टोरोनोज गल्फ को पार किया जिसकी दूरी 26 किलोमीटर है। ग्रीस के छोटे शहर मैसीडोनिया के पास निकिती चाकिडिंको से
तैराकी शुरू करके कसान्ड्रा तक की दूरी उन्होंने आठ घंटे 11 मिनट में पूरी की। यह सात समुद्र पार करने के
स्वप्न में चौथी तैराकी थी। वह अपने साथ तैरने वाले 29 तैराकों में से सातवें स्थान पर रहीं। मौसम और हवाओं की
बाधा को पार करते हुए उन्होंने यह दूरी तय की थी।
बुला चौधरी दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन के एंकरस बे से रोबिन आईलैंड पार करने
वाली प्रथम भारतीय महिला थीं जिन्होंने पांचों महाद्वीपों के समुद्र पार किए।
उन्होंने ठंडे अन्टार्कटिका पानी में 30 किलोमीटर की दूरी तीन घंटे 26 मिनट में पूरी करके
एक नया कीर्तिमान कायम किया। वह इस दूरी को पार करने वाली न सिर्फ प्रथम एशियाई
महिला थीं बल्कि इतने कम समय में पार करने वाली पहली महिला थीं। उन्होंने दक्षिण
अफ्रीका के समुद्र की यह तैराकी सुबह 10 बजे शुरू करके दोपहर 1.26 बजे समाप्त कर दी। उन्होंने शार्क मछलियों से
भरे इस अन्टार्कटिका पानी में पहले से ही तैराकी का अभ्यास किया था। इसी कारण वह
इस अति कठिन समझी जाने वाली दूरी को तैरकर पार कर सकीं। बुला ने 2001 में इटली का टिरेनियन समुद्र जानन से सैन
फेलिस सिसेरो तक पार किया। 2002 में ग्रीस का
अन्तरराष्ट्रीय टोरोनोज गल्फ पार करने के बाद 2002 में ही अमेरिका के कैटेलिना आईलैण्ड से सैन पैंड्रो की
दूरी कैटेलिना चैनल तैरकर पार की। 2003 में न्यूजीलैंड की कुक जलडमरूमध्य तैरकर पार करने में सफलता हासिल की।
अगस्त 2004 में जब बुला ने
श्रीलंका से तमिलनाडु (भारत) के बीच की पाल्कस्ट्रेट पार कर ली तब उन्होंने प्रसन्नता
प्रकट करते हुए कहा- यह रिकॉर्ड बनाकर मेरा सपना पूरा हो गया है। श्रीलंका की तरफ
से आधी दूरी तक हवाएं और लहरें दोनों ही भारी थीं अतः मुझे काफी चैलेंज का सामना
करना पड़ा। धनुष्कोटि के पास पांच किलोमीटर तक इतनी हवा तथा लहरें थीं कि मुझे यह
दूरी तय करने में दो घंटे से अधिक का समय लग गया। लेकिन जब मैंने अपनी मातृभूमि के
किनारों को छुआ तो मैं खुशी से फूली नहीं समा रही थी। मानों मैं दुनिया के ऊपरी
सिरे पर पहुंच गई हूं। बुला कहती हैं कि यह सब मेरे पति व कोच संजीव चक्रवर्ती और
मेरे बेटे के सहयोग से पूर्ण हो सका। बुला के पति जो पहले अन्तरराष्ट्रीय तैराक भी
रह चुके हैं का कहना था कि बुला को सफलता इस कारण मिल सकी कि उसने सुबह छह बजे के
स्थान पर सुबह दो बजे तैराकी शुरू की।
उपलब्धियां- मात्र नौ वर्ष की आयु में बुला ने राष्ट्रीय तैराकी चैम्पियनशिप
जीती, नौ वर्ष की आयु में अपने आयु वर्ग के सभी इवेंट जीतकर छह स्वर्ण पदक प्राप्त
किए, बुला ने सातों समुद्र और पांचों महाद्वीप के जलडमरूमध्य पार कर रिकार्ड बनाया,
उन्हें जलपरी की उपाधि दी गई, उन्होंने जिब्राल्टर जलडमरूमध्य विश्व रिकॉर्ड समय
में तैरकर पार किया, उनका समय तीन घंटे 35 मिनट था। उन्हें
अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। बुला चौधरी को 2002 में तेन्जिंग नोर्गे एडवेंचर अवार्ड प्रदान
किया गया। बुला चौधरी पद्मश्री अवार्ड हासिल करने के सीथ ही तीन बार राष्ट्रपति
भवन में सम्मानित हुई हैं।
राजनीति में भी
दिखाए हाथ
बुला चौधरी माकपा की विधायक भी रह चुकी हैं। मालूम हो कि 2008 में ममता
बनर्जी ने बुला को पद्मश्री दिए जाने की आलोचना करते हुए कहा था कि उनकी तृणमूल
कांग्रेस इस अनुभवी तैराक को सिर्फ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की विधायक के
तौर पर देखती है। बुला ने कहा कि मुझे माकपा की विधायक होने के नाते यह सम्मान
नहीं दिया गया है। बुला चौधरी ने इस बात पर हैरानी जताई कि तृणमूल कांग्रेस की
प्रमुख ममता बनर्जी ने उन्हें पद्मश्री के लिए चुने जाने की आलोचना की। मैं हैरान
हूं कि कोई इस तरह की प्रतिक्रिया कैसे जाहिर कर सकता है। तब पश्चिम बंगाल में
पश्चिमी मिदनापुर जिले के नंदनपुर से विधायक बुला ने कहा था कि राज्य सरकार का इस
पुरस्कार से कुछ लेना-देना नहीं है। मैं यह सम्मान पाकर खुद को गौरवान्वित महसूस
कर रही हूं।
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