Saturday, 15 July 2017

तन्वी हंस का सपना भारतीय बेटियां फुटबाल में कमाएं नाम


महिला फुटबॉल को बुलंदी पर पहुंचाने की चाह
तन्वी हंस को अपने सपनों की कीमत पता है इसलिये वह जानती हैं कि उन सपनों को हकीकत में बदलने के लिये कितनी मेहनत की जरूरत होती है। 26 साल की तन्वी हंस जिन्होंने पढ़ाई तो देश में रहकर की लेकिन उन्होंने नाम कमाया इंग्लैंड में। फुटबॉल जिसे वह कभी शौकिया तौर पर खेलती थीं, आज उनकी जिन्दगी का अहम हिस्सा है। तन्वी एक प्रोफेशनल फुटबॉलर हैं और यूके के दो क्लब टोटेनहम और फुलहैम के लिये खेल चुकी हैं। भारत में जन्मी और ब्रिटिश नागरिक तन्वी की कोशिश है कि वह भारतीय महिला फुटबॉल टीम के लिये खेलें और देश में महिला फुटबॉल को आगे बढ़ाने के लिये यूके की तर्ज पर कोचिंग दें। इसके लिये वह काफी गम्भीरता से काम भी कर रही हैं।
तन्वी हंस की स्कूली पढ़ाई दिल्ली के वसंत कुंज के वसंत वैली स्कूल में हुई है जबकि ग्रेजुएशन उन्होंने जीसस एण्ड मैरी कॉलेज से किया है। ग्रेजुएशन की पढ़ाई के बाद वह इंटरनेशनल मैनेजमेंट में मास्टर्स डिग्री हासिल करने के लिए इंग्लैड चली गईं। तन्वी को अपने स्कूली दिनों से ही फुटबॉल से लगाव था। जिसके बाद साल 2008 में उनका चयन अंडर-19 भारतीय महिला फुटबॉल टीम के कैंप में ट्रेनिंग के लिए हुआ था लेकिन ब्रिटिश नागरिक होने के कारण वह भारतीय टीम के लिए नहीं खेल सकीं। उसके बाद जब वो मास्टर्स करने के लिए इंग्लैंड गईं तो वहां पर उनका चयन कॉलेज की टीम के लिए हो गया। यहां पर खेलते हुए उनको अहसास हुआ कि यूके और भारत में फुटबॉल खेलने में काफी अंतर है। साल 2012 में वह भारत वापस आ गईं और यहीं पर कुछ लोगों को फुटबॉल ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी।
इसके बाद साल 2013 में उनका चयन इंग्लैंड के मशहूर क्लब टोटेनहम के लिये दो सीजन के लिए हो गया। इसके बाद उन्होंने यूके के ही एक दूसरे क्लब फुलहैम के लिए भी एक सीजन खेला। यहां की फुटबॉल टीम में उनकी भूमिका राइट और लेफ्ट अटैकर के तौर पर थी। इंग्लैंड में करीब तीन साल प्रोफेशनल तौर पर फुटबॉल खेलने के बाद वह अप्रैल 2016 में भारत वापस आ गईं क्योंकि हमेशा से वह चाहती थीं कि देश के लिए खेलें। दूसरा उनका मानना है कि आज भी यहां के फुटबॉल के स्तर में और वहां के स्तर में काफी अंतर है। तन्वी इस अंतर को मिटाना चाहती हैं। इसलिए वह यहां के लोगों को खासतौर से लड़कियों को ऊंचे स्तर का फुटबॉल सिखाना चाहती हैं ताकि भारतीय महिला फुटबॉल को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल सके। इसके लिये तन्वी फुटबॉल से जुड़े कई प्रोजक्ट चला रही हैं। साथ ही वह बसंत कुंज के ट्रिकी टेका सिंथेटिक प्ले ग्राउंड में हर शनिवार और रविवार को युवाओं को फुटबॉल के सेशन देती हैं, जोकि दो से तीन घंटे की क्लास होती है। इसके अलावा उनको जहां भी मौका मिलता है वह वहीं पर खेल के मैदान में लोगों को फुटबॉल की ट्रेनिंग देने का काम करती हैं।

तन्वी बताती हैं कि अब तक वह 40 से भी ज्यादा लोगों को फुटबॉल की ट्रेनिंग दे चुकी हैं। तन्वी एक सेशन में 10 से कम लोगों को ही फुटबॉल की कोचिंग देती हैं क्योंकि उनका मानना है कि ज्यादा लोगों के होने पर वह हर एक खिलाड़ी पर ध्यान नहीं दे सकेंगी। एक तरफ वह फुटबॉल सिखाने का काम कर रही हैं तो दूसरी तरफ पिछले साल उनका चयन नाइकी के एक विज्ञापन के लिए हुआ था। इस विज्ञापन के साथ फिल्म अभिनेत्री दीपिका पादुकोण भी जुड़ी हुई थीं। ये महिला सशक्तीकरण से जुड़ा एक कैम्पेन था। जिसमें एक गाने डाडा डिंग के जरिये यह संदेश देने की कोशश की गई थी कि आज के समय में महिलाएं खेल में वह सब काम कर सकती हैं जोकि अब तक केवल पुरुष और लड़के ही किया करते थे। इसमें नाइकी ने अलग-अलग खेलों से जुड़ी लड़कियों का चयन किया था। जबकि फुटबॉल की तरफ से तन्वी हंस और ज्योति बरैट का चयन हुआ था। फुटबॉल की कोचिंग देने के लिये नाइकी तन्वी की काफी मदद करता है। नाइकी तन्वी को फुटबॉल और उससे जुड़े दूसरे सामान उपलब्ध कराती है। तन्वी नाइकी ब्रांड को अपने कोचिंग और प्रोजेक्ट के जरिये प्रमोट करेंगी। 

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