Wednesday, 5 July 2017

ट्रैक क्वीन शाइनी विल्सन

 75 से अधिक बार किया देश का प्रतिनिधित्व
केरल ने देश को एक से बढ़कर एक महिला धावक दिए हैं। उड़नपरी पी.टी. ऊषा को भला कौन नहीं जानता। केरल की शाइनी अब्राहम विल्सन भारत की एक ऐसी एथलीट हैं जिन्होंने विश्व एथलेटिक्स स्पर्धाओं में भारत का 75 बार से अधिक प्रतिनिधित्व किया है। शाइनी विल्सन की शानदार उपलब्धियों को देखते हुए उन्हें 1996 में बिरला पुरस्कार प्रदान किया गया। 1998 में शाइनी को पद्मश्री से सम्मानित किया गया तथा एशिया के 10 सर्वश्रेष्ठ एथलीटों में एक होने के कारण उन्हें 1991 में चीनी गीनी पत्रकार सम्मान से भी नवाजा गया।
शाइनी अब्राहम विल्सन का जन्म आठ मई, 1965 को केरल के थोडुपुझा इडुकी में हुआ। शाइनी अब्राहम विल्सन 14 वर्षों तक 800 मीटर दौड़ में राष्ट्रीय चैम्पियन रहीं। उन्होंने भारत का 75 से भी अधिक बार प्रतिनिधित्व किया। वह सम्भवतः एकमात्र ऐसी खिलाड़ी हैं जिन्होंने छह बार एशियाई खेलों में भाग लिया। बचपन से ही शाइनी का खेलों के प्रति रुझान हो गया था। वह एथलेटिक खेलों में रुचि रखती थीं। उन्होंने कोट्टायम के खेल विभाग में ट्रेनिंग लेकर अपनी प्रतिभा को निखारा। वास्तव में केरल के इसी खेल विभाग से विभिन्न शहरों के प्रसिद्ध एथलीट पी.टी. ऊषा और एम.डी. वालसम्मा ने भी ट्रेनिंग ली थी। बड़े होने पर इन सभी के कोच एन.आई.एस. कोच पी.जे. देवेस्ला थे। उसके बाद शाइनी अब्राहम ने अपनी खेलों की शिक्षा त्रिवेन्द्रम के जी.डी. राजा स्पोर्ट्स स्कूल से ली। इसके पश्चात वह पलाई के अल्फोसा कॉलेज में शिक्षा प्राप्त करने चली गईं।
शाइनी अब्राहम का कैरियर पी.टी. ऊषा के समय में उनके साथ-साथ चलता रहा। 1982 में नई दिल्ली के एशियाई खेलों में शाइनी अब्राहम तथा पी.टी. ऊषा दोनों ने देश का प्रतिनिधित्व किया। 1981 में शाइनी 800 मीटर दौड़ में देश की राष्ट्रीय चैम्पियन बनीं, उसके अगले ही वर्ष 1982 में नई दिल्ली में एशियाई खेल होने थे। इस विजय के पश्चात् शाइनी ने देश की जिस भी प्रतियोगिता में हिस्सा लिया, उसमें उन्होंने कोई न कोई पदक अवश्य हासिल किया।
शाइनी सम्भवतः 1984 के लॉस एंजिल्स ओलम्पिक खेलों को कभी नहीं भुला सकेंगी जहां वह ओलम्पिक खेलों के सेमीफाइनल तक पहुँचने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनी थीं। शाइनी ने चार ओलम्पिक खेलों में भाग लिया। 1985 में जकार्ता से अपना सफर शुरू करने के बाद वह छह एशियन ट्रैक एण्ड फील्ड मीट में लगातार हिस्सा लिया। शाइनी को अच्छे अनुभवों के साथ-साथ कुछ खट्टे-कड़वे अनुभव भी प्राप्त हुए। 1986 के सियोल में हुए एशियाई खेलों में जब वह अपने लक्ष्य के करीब पहुँचने वाली थीं तभी उन्होंने अपना ट्रैक बदलते हुए भीतरी लेन में दौड़ना शुरू कर दिया। अंततः उन्हें खेल से डिसक्वालीफाई कर दिया गया। शाइनी उस रिले टीम का भी हिस्सा रहीं जिसने एशिया का नया रिकॉर्ड बनाया था। उसके बाद रिले टीम का यह रिकॉर्ड और भी बेहतर हो गया था। 1989 में दिल्ली में हुई एशियाई ट्रैक एण्ड फील्ड मीट शाइनी के लिए अत्यंत यादगार प्रतियोगिता रही क्योंकि गर्भवती होने के बावजूद उन्होंने 800 मीटर दौड़ में दूसरा स्थान हासिल किया। चीन की सुन सुमोई प्रथम आई थीं बाद में सुमोई डोप टेस्ट में पॉजिटिव पाई गईं और शाइनी को विजेता घोषित कर दिया गया। उन दिनों शाइनी के कोच रामसिंह थे, जिनके निर्देशन में वह ट्रेनिंग ले रही थीं।
1992 का वर्ष शाइनी अब्राहम के लिए खुशियां लेकर आया। 1992 के बार्सिलोना ओलम्पिक में शाइनी के लिए यह अत्यन्त गर्व की बात थी कि वह ओलम्पिक खेलों में झंडा लेकर चलने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं। शाइनी अब्राहम की महत्त्वपूर्ण उपलब्धि यह रही कि वह अपने बच्चे को जन्म देने के बाद भी प्रतियोगिता में पहले से तेज गति से दौड़ सकीं। 1995 में चेन्नई में हुए दक्षिण एशियाई फेडरेशन खेलों (सैफ) में वह अपनी बेटी शिल्पा को जन्म देने के बाद 800 मीटर दौड़ में रिकॉर्ड बनाने में कामयाब रहीं। उन्होंने एक मिनट 15.8 सेकेण्ड का रिकॉर्ड बनाया। वह पहली बार दो मिनट से कम समय में 800 मीटर की दौड़ लगाने में सफल रहीं।
शाइनी ने चार विश्व कप प्रतियोगिताओं में भाग लिया। वह एकमात्र ऐसी खिलाड़ी हैं जिसने छह एशियन ट्रैक एण्ड फील्ड प्रतियोगिताओं में भाग लिया। उन्होंने यह सिलसिला 1985 में जकार्ता से आरम्भ किया था। इन एशियाई प्रतियोगिताओं में शाइनी ने सात स्वर्ण, दो रजत तथा दो कांस्य पदक जीते। इसके अतिरिक्त दक्षिण एशियाई फेडरेशन खेलों में शाइनी ने सात बार भाग लिया और 18 स्वर्ण तथा दो रजत पदक जीते।
शाइनी का विवाह अन्तरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त तैराक तथा अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित खिलाड़ी चेरियन विल्सन से हुआ और शाइनी का पूरा नाम शाइनी अब्राहम विल्सन हो गया। शाइनी फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया में डिप्टी मैनेजर (खेल) के पद पर कार्यरत हैं। उन्हें 1985 में अर्जुन पुरस्कार, 1996 में बिरला पुरस्कार तथा 1998 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। शाइनी उन विरले खिलाड़ियों में से हैं जिन्हें चीनी पत्रकार पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्हें यह पुरस्कार एशिया के दस सर्वश्रेष्ठ एथलेटिक खिलाड़ियों में से एक होने पर 1991 में प्रदान किया गया।


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