Tuesday, 8 July 2014

प्रतिभाओं की खान, सरकार नहीं मेहरबान

राहुल गाद्री जैसे पहलवान चमकाना चाहते हैं राजस्थान का नाम
आगरा। कहते हैं कि खिलाड़ी का पसीना सूखने से पहले उसका ईनाम मिल जाना चाहिए, पर खेलों में प्रतिभा सम्पन्न राजस्थान में इस दिशा पर सरकारों द्वारा समुचित ध्यान न दिये जाने से खिलाड़ी निराश हैं। खेलों को कैरियर बनाने का सपना देख रहे राहुल गाद्री जैसे नायाब पहलवान न केवल गुरबत में जी रहे हैं बल्कि सरकारी मदद के अभाव में असमय खेलों को छोड़ने का मन भी बनाने लगे हैं।
आज खेल सिर्फ खेल ही नहीं बल्कि किसी जिले, राज्य और मुल्क की अस्मिता का भी सवाल हैं। प्रकृति राजस्थान से कितना ही खिलवाड़ क्यों न करती रही हो पर यहां खेल प्रतिभाओं का कभी अकाल नहीं रहा। ओलम्पियन राज्यवर्धन सिंह राठौर और वीरेन्दर-कृष्णा पूनिया के राज्य में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है, कमी है तो सिर्फ सरकारी प्रोत्साहन की।  कांग्रेस की सरकार रही हो या भाजपा की, क्रिकेट को छोड़कर किसी भी सरकार ने दीगर खेलों की तरफ वैसा ध्यान नहीं दिया जैसा देना चाहिए। राजस्थान सरकार को मध्यप्रदेश और हरियाणा से नसीहत लेनी चाहिए जिन्होंने कम समय में ही खेल प्रोत्साहन की दिशा में अतुलनीय कार्य कर प्रतिभाओं को न केवल सहारा दिया बल्कि वहां के खिलाड़ियों ने नया आयाम भी स्थापित किया है।
राजस्थान की मुख्यमंत्री बसुन्धरा राजे सिंधिया को मध्यप्रदेश की खेल मंत्री और अपनी छोटी बहन यशोधरा राजे सिंधिया से कम से कम खेल के क्षेत्र में मदद लेनी चाहिए। यशोधरा राजे ने मध्यप्रदेश में खेल और खिलाड़ियों के प्रोत्साहन की दिशा में मील का पत्थर स्थापित किया है। उन्होंने खिलाड़ियों को हर वह हर सुविधा मुहैया कराई है जोकि आधुनिक खेलों के लिए जरूरी है। मध्यप्रदेश में विभिन्न खेलों की लगभग डेढ़ दर्जन एकेडमियों में न केवल खिलाड़ी निखर रहे हैं बल्कि वे शानदार परिणाम भी दे रहे हैं। राजस्थान के होनहार पहलवान राहुल गाद्री ने दूरभाष पर खेलपथ को बताया कि वह भी खेलों में अपने राज्य राजस्थान का नाम रोशन करना चाहते हैं पर पर्याप्त प्रोत्साहन न मिलने से उनका हौसला टूट रहा है।
भीलवाड़ा का यह जांबाज पहलवान राज्य स्तर पर कई कुश्तियां फतह कर चुका है पर सरकारी प्रोत्साहन के अभाव में अपनी तैयारियों को मुकम्मल नहीं कर पा रहा। राहुल को बसुन्धरा सरकार से बहुत उम्मीदें हैं कि वह खेल-खिलाड़ियों के प्रोत्साहन की दिशा में कुछ करेगी। राहुल का कहना है कि राजस्थान खेलों की दिशा में आगे जा सकता है बशर्ते सरकार ध्यान दे। राहुल कहते हैं कि मैंने भी बहुत से सपने देखे हैं पर क्या करूं मेरी कोई मदद करने को तैयार नहीं। सरकार ने मदद न की तो मेरे जैसे न जाने कितने प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के सपनों के दीपक असमय गुल हो जाएंगे। राहुल अमित दहिया और सुशील कुमार को अपना आदर्श मानते हैं तो वीरेन्दर पूनिया, कृष्णा पूनिया और कृपाशंकर पटेल की तारीफ करते हुए कहते हैं कि ये खेल शख्सियत तो हैं ही नेकदिल इंसान भी हैं।

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