Sunday 27 July 2014

ग्लास्गो में दर-दर की ठोकरें खा रहा कुश्ती प्रशिक्षक

भारतीय महिलाकुश्ती प्रशिक्षक कृपाशंकर बिशनोई के ग्लास्गो खेलगांव में प्रवेश पर पाबंदी
खिलाड़ियों का हक खा रहा साई, जिजी थामसन की करतूतों से लजा रहा देश
कोेच के अभाव में महिला पहलवान परेशान, अब भारतीय कुश्ती महासंघ  के अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह का ही भरोसा
श्रीप्रकाश शुक्ला
आगरा। अपने बेजार, विदेशियों पर अरबों निसार यह बात भारतीय खेलों पर शत-प्रतिशत सच साबित होती है। एक तरफ भारत सरकार खेलों के विकास का दम्भ भर रही है तो दूसरी तरफ अर्जुन अवॉर्डी और भारतीय महिला कुश्ती प्रशिक्षक कृपाशंकर बिशनोई भारतीय खेल प्राधिकरण के षड्यंत्र का शिकार हो गया है। स्कॉटलैण्ड के ग्लास्गो में चल रहे 20वें राष्ट्रमण्डल खेलों में कुश्ती प्रशिक्षक को खेलगांव में प्रवेश न मिलने से महिला पहलवान बेहद परेशान हैं।  कुश्ती के मुकाबले 29 जुलाई से होने हैं लेकिन कृपा को एक्रीडेशन लेटर अभी तक नहीं मिला है।    
भारतीय खेल प्राधिकरण की नादरशाही के चलते भारतीय महिला कुश्ती प्रशिक्षक कृपाशंकर बिशनोई ग्लास्गो राष्ट्रमण्डल खेलों में मुश्किल हालातों का सामना कर रहे हैं। उन्हें जहां खेलगांव में प्रवेश नहीं मिल रहा वहीं पुलिस भी बेवजह परेशान कर रही है। कृपाशंकर को खेलगांव में प्रवेश से क्यों रोका गया इसकी कोई ठोस वजह नहीं है बावजूद इसके वे महिला पहलवानों के पास नहीं जा सकते। यह सब तब हो रहा है जब खिलाड़ियों को प्रोत्साहन की दरकार है। कृपा का दोष सिर्फ इतना है कि उन्होंने खिलाड़ियों के हक यानि डाइट की बात साई से की थी। यह मामला 2012 का है और साई अब खुन्नस निकाल रहा है। अब सवाल यह उठता है कि यदि महिला कुश्ती प्रशिक्षक से कोई गिला-शिकवा थी तो उसे ग्लास्गो क्यों भेजा गया? दरअसल कृपाशंकर को भारतीय ओलम्पिक संघ और भारतीय कुश्ती महासंघ ने ही ग्लास्गो भेजा है, पर साई बेवजह दखल दे रहा है। इस मामले में भारतीय खेल प्राधिकरण को दखल देने का कोई अधिकार नहीं है, फिर भी वह कुश्ती प्रशिक्षक पर आपराधिक होने का आरोप लगाकर परेशान कर व करवा रहा है। ग्लास्गो से पहले कृपाशंकर के साथ अमेरिका और इटली जाने में भी अड़ंगा डाला गया था।
कृपाशंकर यदि वाकई अपराधी है तो उसे अर्जुन अवॉर्ड चयन समिति में क्यों रखा जाता है? साई की लीला सबको पता है। देश के तकरीबन हर सेण्टर में खिलाड़ियों को वे सुविधाएं मयस्सर नहीं हैं जो उन्हें मिलनी चाहिए। साई के संचालक जी.जी. थामसन व्यवस्थाएं सुधारने की बजाय प्रशिक्षकों और खिलाड़ियों के साथ हो रहे अन्याय को और बढ़ावा दे रहे हैं। थामसन स्वयं भी दूध के धुले नहीं हैं, उन पर पामोलिव आॅइल मामले में प्रकरण चल रहा है तो उनके कार्यकाल में खिलाड़ियों में शक्तिवर्धक दवाएं लेने की गलत लत पड़ी है। कृपाशंकर को खेलगांव में प्रवेश न मिलना सिर्फ उसी का नहीं बल्कि मुल्क की उन सात बेटियों का भी नुकसान है जो पिछले तीन साल से अपने काबिल गुरु से प्रशिक्षण ले रही हैं। इस मामले का शीघ्र निदान न निकला तो कुश्ती में अधिक से अधिक पदक जीतने की भारतीय सम्भावनाओं पर तुषारापात हो जाएगा।
अब ब्रजभूषण शरण ही आखिरी उम्मीद: कृपाशंकर
इस मामले में कुश्ती प्रशिक्षक कृपाशंकर बिशनोई ने ग्लास्गो से दूरभाष पर पुष्प सवेरा को बताया कि मेरी समझ में ही नहीं आ रहा कि मुझे किस बात की सजा मिल रही है। जो कुछ हो रहा है उसमें साई के साथ कहीं न कहीं ओलम्पिक संघ के भी कुछ लोग शामिल हैं। सिर्फ एक दिन का समय बचा है, मुझे अब भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह से ही उम्मीद है। वे आज रात ग्लास्गो पहुंच रहे हैं। आहत-मर्माहत कृपाशंकर ने अपने साथ हो रहे दुर्व्यवहार के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी पत्र लिखा है।
राधिका सामंत की शह पर रचा गया था षड्यंत्र
कुश्ती प्रशिक्षक कृपाशंकर पर 2012 में साई की रीजनल डायरेक्टर राधिका सामंत की शह पर एक कर्मचारी ने बंदूक दिखाकर धमकाने का आरोप लगाया था, जबकि कृपा के पास कोई लाइसेंसी हथियार ही नहीं है। खैर, पुलिस जांच के बाद कृपाशंकर निर्दोष साबित हुए और खिलाड़ियों के हक की बात पुन: उठाते हुए मामला अदालत तक ले गये। इस बीच साई ने उन्हें तरह-तरह के प्रलोभन भी दिए लेकिन इस पहलवान ने साफ कह दिया कि बेटियों के हक पर वह कतई डाका नहीं डालने देगा।
तीन साल में 88 विदेशी कोचों पर 2569.63 करोड़ खर्च
घर का जोगी जोगना आन गांव का सिद्ध यह कहावत भारतीय खेलों पर सटीक बैठती है। आज भारत में कोच पैदा करने के कई स्पोर्ट्स संस्थान कार्य कर रहे हैं बावजूद देशी खेलनहार विदेशी प्रशिक्षकों का मोह नहीं त्याग पाये हैं। साई की कृपा से बीते तीन साल में 88 विदेशी कोचों पर भारत सरकार ने 2569.63 करोड़ रुपये निसार किए हैं।

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