Tuesday, 1 July 2014

देश के खेल सिस्टम में सुधार की जरूरत: वीरेन्दर पूनिया

अमेरिकी और यूरोपीय देशों में स्कूल-कॉलेज स्तर से दिया जाता है ध्यान
आगरा। देश में यदि खेलों का स्तर सुधारना है तो सबसे पहले सिस्टम को सुधारना होगा। हमारे देश में खेलों की स्थिति संतोषजनक नहीं कही जा सकती।  अमेरिकी और यूरोपीय देशों में स्कूल-कॉलेज स्तर से न केवल ध्यान दिया जाता है बल्कि वहां खिलाड़ियों को सभी मूलभूत सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं यह कहना है द्रोणाचार्य अवॉर्डी वीरेन्दर सिंह पूनिया का।
अमेरिका में इन दिनों भारतीय डिस्कस थ्रोवर कृष्णा पूनिया को कॉमनवेल्थ गेम्स की तैयारियां करा रहे वीरेन्दर पूनिया ने खास बातचीत में बताया कि यदि हमें दुनिया के नामचीन देशों से खेलों में बराबरी करनी है तो सबसे पहले हमें स्कूल और कॉलेज स्तर से ही खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करना होगा। उन्हें वे सुविधाएं देनी होंगी जोकि उनकी जरूरत हैं। श्री पूनिया ने बताया कि देश में हर प्रतियोगिता से पहले खिलाड़ियों पर खेलनहारों की नजर जाती है जबकि खेल अनवरत प्रक्रिया है इस पर 365 दिन नजर रखने की जरूरत होती है। देश के इस द्रोणाचार्य को मलाल है कि आजादी के बाद से खेलों के समुन्नत विकास पर उतना ध्यान नहीं दिया गया जितना देना चाहिए।
श्री पूनिया का कहना है कि अमेरिकी और यूरोपीय देशों के खिलाड़ी एक दिन में चैम्पियन नहीं बनते बल्कि वे सुविधाओं के बीच साल भर अपना खेल-कौशल निखारते हैं। वहां प्रतिभाओं की परख कर उन्हें बचपन से ही निखारा  जाता है। ग्लासगो कॉमनवेल्थ खेलों में भारतीय एथलीटों के प्रदर्शन पर पूनिया का कहना है कि जो ध्यान अब दिया जा रहा है उस पर पहले से ही प्रयास होने चाहिए थे। श्री पूनिया ने कहा कि कृष्णा की अमेरिका में अच्छी तैयारी चल रही है। वह ग्लासगो में स्वर्ण पदक जीतकर एथलेटिक्स में नया इतिहास दर्ज करना चाहती है। भारतीय एथलीटों ने 2010 के दिल्ली राष्ट्रमण्डल खेलों में 12 पदक जीते थे। उन खेलों में कृष्णा पूनिया स्वर्ण पदक जीतने वाली देश की पहली महिला और दूसरी भारतीय खिलाड़ी बनी थी। इससे पूर्व 1958 में फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह ने स्वर्ण पदक जीता था।
भारत में हैं 85 द्रोणाचार्य
देश में प्रशिक्षकों को प्रोत्साहित करने के लिए भारत सरकार ने 1985 से द्रोणाचार्य अवॉर्ड देना प्रारम्भ किया। अब तक देश में 85 प्रशिक्षकों को इस अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है। सनद रहे भारत में अब तक एथलेटिक्स में 17  प्रशिक्षकों को द्रोणाचार्य अवॉर्ड मिल चुका है। वीरेन्दर पूनिया को वर्ष 2012 में द्रोणाचार्य अवॉर्ड दिया गया।
ओलम्पिक में अब तक किसी एथलीट को पदक नहीं
जहां तक भारतीय खिलाड़ियों के ओलम्पिक में पदक का सवाल है अब तक किसी एथलीट को यह सौभाग्य नहीं मिला है। अब तक सिर्फ  छह भारतीय एथलीट ही ट्रैक एण्ड फील्ड स्पर्धाओं के फाइनल में जगह बनाने में सफल हुए हैं। इनमें फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह, उड़नपरी पीटी ऊषा, श्रीराम सिंह, गुरुबचन सिंह रंधावा, लांग जम्पर अंजू बॉबी जॉर्ज और कृष्णा पूनिया शामिल हैं।   

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