Thursday 10 July 2014

भारतीय शूटरों पर सीजीएफ की कुदृष्टि

मुश्किल होगा दिल्ली के प्रदर्शन की बराबरी
दिल्ली में निशानेबाजों ने जीते थे 30 पदक
गगन नारंग ने साधा था चार स्वर्ण पदकों पर निशाना
आगरा। कॉमनवेल्थ गेम्स फेडरेशन (सीजीएफ) की भारतीय निशानेबाजों पर कुदृष्टि के चलते 23 जुलाई से स्कॉटलैण्ड की राजधानी ग्लासगो में होने जा रहे 20वें राष्ट्रमण्डल खेलों में इस बार शूटिंग में 30 पदक मिलना दूर की कौड़ी नजर आ रही है। भारतीयों शूटरों के सटीक निशाने राष्ट्रमण्डल देशों के लिए बेशक परेशानी का सबब न रहे हों पर कुछ देशों के इशारे पर सीजीएफ ने जिस तरह शूटिंग के सभी पेयर्स इवेंट (टीम चैम्पियनशिप) और पुरुषों की फायर पिस्टल व स्टैण्डर्ड स्पर्धा से किनारा किया है उससे भारत के सामने दिल्ली के प्रदर्शन की बराबरी करना टेढ़ी खीर साबित होगा।
राष्ट्रमण्डल खेलों से इन स्पर्धाओं को खारिज करने के पीछे सीजीएफ का तर्क ओलम्पिक में इन स्पर्धाओं का शामिल नहीं होना बताया जा रहा है, जोकि  प्रथम दृष्टया सही प्रतीत नहीं होता। सीजीएफ यदि ओलम्पिक फार्मेट की ही पक्षधर है तो उसने बिग बोर स्पर्धा को क्यों नहीं हटाया। बिग बोर स्पर्धा दुनिया की हर प्रतियोगिताओं में तो चलन में है पर ओलम्पिक में यह शामिल नहीं है। यही नहीं इसकी पेयर इवेंट क्वींस पेयर को भी राष्ट्रमण्डल खेलों में शामिल रखा गया है तो महिलाओं की 50 मीटर प्रोन व डबल ट्रैप भी ओलम्पिक में न होने के बावजूद राष्ट्रमण्डल खेलों में शामिल हैं। दरअसल भारतीय निशानेबाजों ने जिस तरह दिल्ली में स्वर्णिम निशाने साधे थे उससे परेशान होकर और दूसरे देशों को फायदा पहुंचाने की खातिर ही सीजीएफ ने ऐसे बेतुके फैसले लिए हैं।
दिल्ली में भारत ने निशानेबाजी में 14 स्वर्ण, 11 रजत और पांच कांस्य सहित कुल 30 पदक जीते थे जिनमें सात स्वर्ण, पांच रजत तथा दो कांस्य पदक पेयर्स यानि टीम चैम्पियनशिप में हाथ लगे थे। स्टैण्डर्ड पिस्टल व सेण्टर फायर पिस्टल में दो स्वर्ण, दो रजत व एक कांस्य पदक आया था। सीजीएफ की इस हिटलरशाही से किसी का नुकसान हो रहा हो या नहीं भारतीय शूटर जरूर मुश्किल में होंगे। सीजीएफ के इन अनिर्णयों पर नेशनल राइफल एसोसिएशन आॅफ इण्डिया और कॉमनवेल्थ शूटिंग फेडरेशन ने आपत्ति भी जताई पर नतीजा कुछ भी नहीं निकला। इस मसले पर सीजीएफ ने नेशनल राइफल एसोसिएशन आॅफ इण्डिया को भी भरोसे में नहीं लिया। भारतीय शूटरों के दिल्ली में व्यक्तिगत प्रदर्शन की बात करें तो गगन नारंग (4), ओमकार सिंह (3), विजय कुमार (3), गुरप्रीत सिंह, अनिसा सैयद और हरप्रीत सिंह ने स्वर्ण पदकों पर सटीक निशाने लगाये थे।
निशानेबाजी भी कुश्ती और हॉकी की राह
खेलों में जब-जब भारतीय खिलाड़ियों ने दमदार प्रदर्शन किया अंतरराष्ट्रीय खेल पदाधिकारियों ने दूसरे देशों के दबाव में नियम-कायदों में न केवल फेरबदल किए बल्कि उन स्पर्धाओं को ही हटा दिया गया। हॉकी, कुश्ती और शूटिंग में किए गये फेरबदल अंतरराष्ट्रीय खेल बिरादर के भेदभाव का ही परिणाम हैं। राष्ट्रमण्डल खेलों में इस बार ग्रीको रोमन कुश्ती को हटा देने से भारत को पदकों के लिहाज से काफी नुकसान होगा।
इन भारतीय शूटरों पर होंगी सबकी निगाहें
पुरुष- गगन नारंग, संजीव राजपूत, जॉयदीप करमाकर, अभिनव बिन्द्रा, रवि कुमार, विजय कुमार, हरप्रीत सिंह, जीतू राय, गुरुपाल सिंह, पीएम प्रकाश, ओम प्रकाश, मानवजीत सिंह संधू, मनशेर सिंह, मोहम्मद असाब, अंकुर मित्तल, मैराज अहमद खान, बाबा पीएस बेदी। 
महिला- लज्जा गोस्वामी, इलिजाबेथ सुसान कोशी, मीना कुमारी, अयोनिका पॉल, अपूर्वी चंदेला, राही सरनाबत, अनिसा सैयद, हीना सिद्धू, मलिका गोयल, श्रेयसी सिंह, सीमा तोमर, वर्षा वर्मन, आरती सिंह राव। 

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