अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक अस्थिरता और कमजोर मानसून से आजिज नरेन्द्र मोदी सरकार ने अपने पहले आम बजट में देश की आवाम को रामराज्य का सब्जबाग दिखाने की बजाय हर तबके को राहत देने की पुरजोर कोशिश की है। बजट में लिए गये कई अहम फैसले भविष्य के अच्छे दिनों की तरफ संकेत देते दिख रहे हैं। सच यह है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने पहले बजट में महंगाई से त्रस्त गरीब और मध्मवर्गीय समाज को कुछ रियायतें देकर उन्हें सुखानुभूति का अहसास जरूर कराया है। मोदी सरकार के सामने आम बजट को लेकर अधिक विकल्प नहीं थे बावजूद इसके हर वर्ग को राहत पहुंचाने का जोखिम जरूर उठाया गया है। मोदी सरकार ने शिक्षा, महिला प्रोत्साहन, ग्रामीण विकास की दिशा और दशा सुधारने के साथ-साथ खेल अधोसंरचना की मजबूती पर विशेष दिलचस्पी दिखाई है। महंगाई को देखते हुए जहां आयकर सीमा बढ़ाई गई वहीं ग्रामीणों और युवाओं को आधुनिक तकनीक से लैश करने का भी बजट में प्रावधान किया गया है।
मोदी सरकार अपने अल्प कार्यकाल में हैरान-परेशान आवाम को बेशक महंगाई से निजात नहीं दिला सकी लेकिन उसने अपने पहले ही बजट में बेहतर भविष्य की अलख जरूर जगाई है। बजट में सब्जबाग दिखाने की बजाय एक मजबूत नींव के साथ लम्बे समय तक बेहतर भविष्य के लिए काम करने के संकेत दिए गए हैं। आम बजट में गरीब से लेकर अमीर तक का ख्याल रखने के साथ-साथ मोदी सरकार ने उन वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोत्तरी की है, जिनके सेवन से मुल्क की सेहत खराब हो रही है। बजट में बड़े-बड़े प्रोजेक्टों के साथ छोटी-छोटी सुविधाओं पर भी ध्यान दिया गया है। आर्थिक विकास के क्षेत्र में बिजली की महत्ता को स्वीकारते हुए मोदी सरकार ने ग्र्रामीण क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति बढ़ाने को दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया तो ग्रामीण क्षेत्र में समेकित परियोजना आधारित आधारभूत ढांचा विकसित करने को श्यामा प्रसाद मुखर्जी ग्रामीण शहरी मिशन शुरू करने का प्रस्ताव भी पेश किया है। इतना ही नहीं अरुण जेटली ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना पर भी ठोस पहल की है। यह योजनाएं यदि मूर्तरूप लेती हैं तो इससे हर किसी को लाभ होगा। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना किसानों के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है। खेती-किसानी से किसानों के जोखिम को खत्म करने के लिए आज देश को ऐसी ही योजनाओं की दरकार है।
मोदी सरकार ने शिक्षा के महत्व को न केवल स्वीकारा है बल्कि वित्त मंत्री ने देश भर में शिक्षा की अलख जगाने के साथ-साथ शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए नए प्रशिक्षण सम्बन्धी उपकरण प्रदान करने तथा अध्यापकों को अभिप्रेरित करने के लिए पण्डित मदन मोहन मालवीय नव अध्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने के लिए बजट में 500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। मोदी सरकार ने खेलों को प्रोत्साहन देने की दिशा में भी ठोस पहल के संकेत दिए हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में राष्ट्रीय खेल अकादमियां बनाने के साथ जम्मू कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय स्तर की खेल सुविधाओं के लिए बजट में 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। सरकार ने इसी महीने होने जा रहे राष्ट्रमण्डल खेलों और दो माह बाद होने वाले एशियाई खेलों में खिलाड़ियों के प्रशिक्षण पर एक अरब रुपये खर्च करने का ऐलान कर खिलाड़ियों की मुंहमांगी मुराद पूरी कर दी है। मोदी सरकार ने मणिपुर में स्पोर्ट्स खेल विश्वविद्यालय खोले जाने को भी हरी झण्डी दिखा दी है। बजट में बालिकाओं की शिक्षा के लिए जहां एक अरब रुपये का प्रावधान किया गया है वहीं विकास दर में सुधार के लिए भी सकारात्मक कदम उठाये गये हैं। मुल्क आकंठ महंगाई के दौर से गुजर रहा है। पर सच यह है कि महंगाई का भी मौसम की तरह एक नियमित चक्र होता है। मार्च-अप्रैल की गर्मी शुरू होते ही पानी की किल्लत तो बारिश होते ही बाढ़ या शहर में जलभराव और सब्जियों की किल्लत आम बात है। यह बात अलग है कि आजादी के बाद से हमारी सरकारें इन समस्याओं की तरफ कभी गम्भीर नहीं रहीं। सरकारें सजग हों तो टमाटर, आलू और प्याज आदि कोल्ड स्टोरेज में रखकर उनकी कीमतों पर अंकुश लगाया जा सकता है। हरी सब्जियों पर किसी की बस नहीं चलती यही वजह है कि इनकी कभी जमाखोरी भी नहीं होती।
मोदी सरकार आज परीक्षा की घड़ी से गुजर रही है। चुनाव पूर्व जनता से जिन अच्छे दिनों का वादा किया गया था उसमें उसे 45 दिनों में कोई खास सफलता नहीं मिली। यही वजह है कि महंगाई को लेकर चहुंओर हो-हल्ला मच रहा है। सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों का धरना-प्रदर्शन, पुतला दहन भारतीय राजनीति का शगल है, जोकि शायद ही कभी खत्म हो। मोदी सरकार के पहले आम बजट को लोक-लुभावन कहने की बजाय संतुलित बजट कहना ठीक होगा। प्रथम दृष्टया यह बजट मध्यम तबके समेत सभी की चिन्ताओं को ध्यान में रखने वाला प्रतीत होता है। मोदी सरकार के इस बजट पर पारदर्शितापूर्ण अमल होता है तो इससे न केवल मुल्क की अर्थव्यवस्था सुधरेगी बल्कि एक भारत, श्रेष्ठ भारत के सपने को साकार करने में भी मदद मिलेगी। विपक्षी दल इस बजट पर कैसी भी प्रतिक्रियां दें पर आम आवाम का मानना है कि हालात और मौजूदा अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों को देखते हुए मोदी सरकार इससे बेहतर कुछ कर भी नहीं सकती थी।
मोदी सरकार अपने अल्प कार्यकाल में हैरान-परेशान आवाम को बेशक महंगाई से निजात नहीं दिला सकी लेकिन उसने अपने पहले ही बजट में बेहतर भविष्य की अलख जरूर जगाई है। बजट में सब्जबाग दिखाने की बजाय एक मजबूत नींव के साथ लम्बे समय तक बेहतर भविष्य के लिए काम करने के संकेत दिए गए हैं। आम बजट में गरीब से लेकर अमीर तक का ख्याल रखने के साथ-साथ मोदी सरकार ने उन वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोत्तरी की है, जिनके सेवन से मुल्क की सेहत खराब हो रही है। बजट में बड़े-बड़े प्रोजेक्टों के साथ छोटी-छोटी सुविधाओं पर भी ध्यान दिया गया है। आर्थिक विकास के क्षेत्र में बिजली की महत्ता को स्वीकारते हुए मोदी सरकार ने ग्र्रामीण क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति बढ़ाने को दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया तो ग्रामीण क्षेत्र में समेकित परियोजना आधारित आधारभूत ढांचा विकसित करने को श्यामा प्रसाद मुखर्जी ग्रामीण शहरी मिशन शुरू करने का प्रस्ताव भी पेश किया है। इतना ही नहीं अरुण जेटली ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना पर भी ठोस पहल की है। यह योजनाएं यदि मूर्तरूप लेती हैं तो इससे हर किसी को लाभ होगा। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना किसानों के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है। खेती-किसानी से किसानों के जोखिम को खत्म करने के लिए आज देश को ऐसी ही योजनाओं की दरकार है।
मोदी सरकार ने शिक्षा के महत्व को न केवल स्वीकारा है बल्कि वित्त मंत्री ने देश भर में शिक्षा की अलख जगाने के साथ-साथ शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए नए प्रशिक्षण सम्बन्धी उपकरण प्रदान करने तथा अध्यापकों को अभिप्रेरित करने के लिए पण्डित मदन मोहन मालवीय नव अध्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने के लिए बजट में 500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। मोदी सरकार ने खेलों को प्रोत्साहन देने की दिशा में भी ठोस पहल के संकेत दिए हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में राष्ट्रीय खेल अकादमियां बनाने के साथ जम्मू कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय स्तर की खेल सुविधाओं के लिए बजट में 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। सरकार ने इसी महीने होने जा रहे राष्ट्रमण्डल खेलों और दो माह बाद होने वाले एशियाई खेलों में खिलाड़ियों के प्रशिक्षण पर एक अरब रुपये खर्च करने का ऐलान कर खिलाड़ियों की मुंहमांगी मुराद पूरी कर दी है। मोदी सरकार ने मणिपुर में स्पोर्ट्स खेल विश्वविद्यालय खोले जाने को भी हरी झण्डी दिखा दी है। बजट में बालिकाओं की शिक्षा के लिए जहां एक अरब रुपये का प्रावधान किया गया है वहीं विकास दर में सुधार के लिए भी सकारात्मक कदम उठाये गये हैं। मुल्क आकंठ महंगाई के दौर से गुजर रहा है। पर सच यह है कि महंगाई का भी मौसम की तरह एक नियमित चक्र होता है। मार्च-अप्रैल की गर्मी शुरू होते ही पानी की किल्लत तो बारिश होते ही बाढ़ या शहर में जलभराव और सब्जियों की किल्लत आम बात है। यह बात अलग है कि आजादी के बाद से हमारी सरकारें इन समस्याओं की तरफ कभी गम्भीर नहीं रहीं। सरकारें सजग हों तो टमाटर, आलू और प्याज आदि कोल्ड स्टोरेज में रखकर उनकी कीमतों पर अंकुश लगाया जा सकता है। हरी सब्जियों पर किसी की बस नहीं चलती यही वजह है कि इनकी कभी जमाखोरी भी नहीं होती।
मोदी सरकार आज परीक्षा की घड़ी से गुजर रही है। चुनाव पूर्व जनता से जिन अच्छे दिनों का वादा किया गया था उसमें उसे 45 दिनों में कोई खास सफलता नहीं मिली। यही वजह है कि महंगाई को लेकर चहुंओर हो-हल्ला मच रहा है। सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों का धरना-प्रदर्शन, पुतला दहन भारतीय राजनीति का शगल है, जोकि शायद ही कभी खत्म हो। मोदी सरकार के पहले आम बजट को लोक-लुभावन कहने की बजाय संतुलित बजट कहना ठीक होगा। प्रथम दृष्टया यह बजट मध्यम तबके समेत सभी की चिन्ताओं को ध्यान में रखने वाला प्रतीत होता है। मोदी सरकार के इस बजट पर पारदर्शितापूर्ण अमल होता है तो इससे न केवल मुल्क की अर्थव्यवस्था सुधरेगी बल्कि एक भारत, श्रेष्ठ भारत के सपने को साकार करने में भी मदद मिलेगी। विपक्षी दल इस बजट पर कैसी भी प्रतिक्रियां दें पर आम आवाम का मानना है कि हालात और मौजूदा अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों को देखते हुए मोदी सरकार इससे बेहतर कुछ कर भी नहीं सकती थी।
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