महिला चक्काफेंक चैम्पियन कृष्णा पूनिया और पुरुष वर्ग में विकास गौड़ा पदक दावेदार
पिछले राष्ट्रमंडल खेलों में मिली अप्रतिम सफलता को दोहराना तो भारत के लिये सम्भव नहीं होगा लेकिन ओलम्पिक में वापसी के बाद 215 सदस्यीय भारतीय दल 23 जुलाई से ग्लास्गो में शुरू हो रहे 20वें राष्ट्रमंडल खेलों में शीर्ष तीन में जगह बनाना चाहेगा। एथलेटिक्स में महिला चक्काफेंक चैम्पियन कृष्णा पूनिया और पुरुष वर्ग में विकास गौड़ा पदकों के प्रमुख दावेदारों में शामिल हैं।
भ्रष्टाचार के आरोपों और तैयारियों में विलम्ब के आरोपों से घिरे दिल्ली राष्ट्रमंडल खेल 2010 में भारत रिकार्ड 101 पदक जीतकर आस्ट्रेलिया के बाद दूसरे स्थान पर रहा था। तमाम विवादों के बावजूद दिल्ली राष्ट्रमंडल खेल आयोजन और खिलाड़ियों के प्रदर्शन के मामले में बेहद कामयाब रहे थे। दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों के बाद भारत ने 2010 ग्वांग्झू एशियाई खेलों में भी रिकार्ड प्रदर्शन करते हुए 65 पदक जीते। दो साल बाद लंदन में भारत ने छह पदक जीते। ग्लास्गो में भारत का यथार्थवादी लक्ष्य शीर्ष तीन में रहना होगा क्योकि अव्वल नम्बर पर आस्ट्रेलिया या इंग्लैंड के रहने की संभावना है। इन खेलों में ब्रिटिश उपनिवेशक रहे 71 देशों के 4500 खिलाड़ी पदकों के लिये भिड़ेंगे जिनमें फर्राटा सुपरस्टार उसेन बोल्ट और मध्यम तथा लम्बी दूरी के धावक इंग्लैंड के मोहम्मद फराह आकर्षण का केंद्र होंगे। ओलम्पिक और एशियाई खेलों के बाद तीसरे सबसे बड़े खेल आयोजन में 11 दिन तक 18 खेलों में 261 पदक दांव पर होंगे। इसमें पैरा खेलों में पांच विधाओं में 22 स्वर्ण दांव पर लगे होंगे।
भारत ने 14 खेलों में 215 खिलाड़ी भेजे हैं जो दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों के बाद उसका सबसे बड़ा दल है। ग्लास्गो खेलों में तीरंदाजी और टेनिस के नहीं होने से भारत की पदक उम्मीदों को झटका लगा है जबकि निशानेबाजी और कुश्ती में भी पदक स्पर्धायें कम हुई हैं। भारत ने 2010 में तीरंदाजी में 12 पदक जीते थे जबकि निशानेबाजी की उन 18 स्पर्धाओं में 14 पदक हासिल किये थे जो इस बार खेलों का हिस्सा नहीं हैं। कुश्ती में ग्रीको रोमन वर्ग इस बार नहीं है जिसमें भारत ने 2010 में आठ पदक जीते थे। निशानेबाजी में भारत को 2010 में कुल 30 पदक मिले थे लेकिन इस बार अधिकांश निशानेबाज सर्वश्रेष्ठ फार्म में नहीं हैं। भारत की पदक संख्या 101 (38 स्वर्ण, 27 रजत और 36 कांस्य) से घट सकती है लेकिन 60 से ऊपर रहना भी उपलब्धि मानी जायेगी। भारत के लिये ग्लास्गो में इंग्लैंड से ऊपर दूसरे स्थान पर रहना असंभव होगा। भारत ने 2010 में इंग्लैंड से एक स्वर्ण अधिक लेकर दूसरा स्थान हासिल किया था हालांकि इंग्लैंड के भारत से 31 पदक अधिक थे। इंग्लैंड ने 2010 में अपनी सर्वश्रेष्ठ टीम भी नहीं भेजी थी क्योकि 2012 में लंदन में ओलम्पिक होने थे। तीसरे स्थान के लिये भारत का मुकाबला कनाडा से होगा जिसने 265 सदस्यीय दल भेजा है। कनाडा को ग्रीको रोमन कुश्ती के हटने से नुकसान होगा। वहीं अपनी सरजमीं पर तीसरी बार राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी कर रहा स्काटलैंड भी घरेलू दर्शकों के सामने अच्छा प्रदर्शन करना चाहेगा।
आस्ट्रेलिया ने दिल्ली खेलों में 177 पदक जीते थे जिनमें 74 पीले तमगे थे। वहीं इंग्लैंड को 142 पदक मिले थे। इंग्लैंड ने हालांकि लंदन ओलंपिक में 29 स्वर्ण जीतकर आस्ट्रेलिया को पछाड़ दिया जिसके हिस्से सात स्वर्ण आये थे। राष्ट्रमंडल देशों की कुल दो अरब आबादी में से आधे से अधिक भारत की है जिसकी टीम में पिछले खेलों के करीब 30 पदक विजेता फिर हैं। इनमें अभिनव बिंद्रा, गगन नारंग, विजेंद्र सिंह, सुशील कुमार, योगेश्वर दत्त, कृष्णा पूनिया, आशीष कुमार, अचंता शरत कमल प्रमुख हैं। एक बार फिर भारत की उम्मीदों का दारोमदार निशानेबाजों पर ही होगा। दिल्ली में 101 में से 30 पदक निशानेबाजों ने दिलाये थे और इस बार भी भारतीयों की नजरें बिंद्रा, नारंग, विजय कुमार और हीना सिद्धू पर रहेंगी। कुश्ती से भी भारत को अच्छे पदक मिलने की उम्मीद है जिसमें अगुवाई ओलंपिक पदक विजेता सुशील और योगेश्वर करेंगे। दोनों हालांकि नये भारवर्ग (74 किलो और 65 किलो) में उतरेंगे।
हाकी में भारत को महिला या पुरुष वर्ग में कम से कम एक पदक मिलने की उम्मीद है। पुरुष टीम ने 2010 में फाइनल में आस्ट्रेलिया से मिली करारी हार के बाद रजत पदक जीता था। इस बार उसे सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड या इंग्लैंड को हराना होगा। महिला हाकी में भारत को अपने ग्रुप में शीर्ष दो में रहना होगा जिसमें न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका जैसी मजबूत टीमें हैं। एथलेटिक्स में भारत को पिछली बार दो स्वर्ण समेत 12 पदक मिले थे। इस बार तैयारियां मुकम्मिल नहीं होने से अधिकांश एथलीट खराब फार्म में हैं लेकिन महिला चक्काफेंक चैम्पियन पूनिया और पुरुष वर्ग में विकास गौड़ा पदक के दावेदारों में होंगे।
बैडमिंटन में साइना नेहवाल के नहीं खेलने के बावजूद भारत से उम्दा प्रदर्शन की उम्मीद है। उदीयमान सितारा पीवी सिंधू महिला वर्ग में और पी कश्यप पुरूष वर्ग में पदक के दावेदार होंगे। महिला युगल में गत चैम्पियन ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा भी पदक जीत सकती हैं ।
भारोत्तोलन में भारत ने पिछली बार आठ पदक जीते थे जिसमें इजाफा हो सकता है। भारतीय भारोत्तोलकों ने पिछले साल नवंबर में राष्ट्रमंडल चैम्पियनशिप में अच्छा प्रदर्शन किया था। इस बार भारोत्तोलन धुरंधर नाइजीरिया अच्छी तैयारियों के साथ नहीं आया है और मलेशिया की टीम में दो स्वर्ण पदक विजेता नहीं हैं जिससे भारत को अधिक पदक मिल सकते हैं। मुक्केबाज पिछली बार की तरह सात पदक जीत सकते हैं चूंकि लाइट वेल्टरवेट में गत चैम्पियन मनोज कुमार और 2008 बीजिंग ओलंपिक कांस्य पदक विजेता विजेंदर सिंह ग्लास्गो खेलों में भाग ले रहे हैं। टेबल टेनिस में भारत को कम से कम दो पदक की उम्मीद है जिसमें पुरूष युगल में स्वर्ण पदक जीतने वाले अचंता शरत कमल टीम की अगुवाई कर रहे हैं। दिल्ली में रजत और कांस्य जीतने वाले जिम्नास्ट आशीष कुमार भी उस प्रदर्शन को दोहराना चाहेंगे। बीसवें खेलों की शुरुआत औपचारिक तौर पर महारानी एलिजाबेथ द्वितीय कल सेल्टिक पार्क में करेंगी। उद्घाटन समारोह में ग्रैमी पुरस्कार विजेता रॉकस्टार राड स्टीवर्ट, मेजबान देश की सुजैन बोयल, एमी मैकडोनाल्ड और जूली फोलिस प्रस्तुतियां देंगी।
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