Thursday 22 December 2016

जैसा नाम, वैसा काम

विराट कोहली
श्रीप्रकाश शुक्ला
विराट, विराट, विराट। क्रिकेट की दुनिया में आज हर तरफ बस यही नाम गूंज रहा है, वजह इस खिलाड़ी का फौलादी प्रदर्शन और इसकी कुशल नेतृत्व क्षमता है। भारत में क्रिकेट की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां क्रिकेटर आम इंसान नहीं भगवान माना जाता है। क्रिकेट में भगवान का दर्जा प्राप्त सचिन तेंदुलकर ने जब इस खेल को अलविदा कहा था तब एक स्वर से यही बात सामने आई थी कि आखिर इस खिलाड़ी की जगह कौन लेगा। भारत के पास प्रतिभाएं तो थीं लेकिन संशय बरकरार था। आज विराट कोहली का बल्ला जिस तरह बोल रहा है उसे देखते हुए तो यहां तक कहा जाने लगा है कि देर सबेर ही सही सचिन के कीर्तिमान जरूर टूटेंगे और उन्हें तोड़ेगा भी तो विराट कोहली। इसमें कोई दो-मत नहीं कि क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर के बाद विराट कोहली देश के सबसे पसंदीदा और लोकप्रिय खिलाड़ी हैं।
भारतीय कप्तान और रन मशीन विराट के प्रशंसक आपको हर घर में मिल जाएंगे। विराट कोहली ने विश्व क्रिकेट में अपने लाजवाब प्रदर्शन से तहलका मचा रखा है। हर एक मैच के साथ उनका प्रदर्शन निखरता जा रहा है। वह इस समय एकदिनी क्रिकेट और टी-20 में दुनिया के नम्बर एक बल्लेबाज हैं तो टेस्ट क्रिकेट में दूसरे पायदान पर काबिज हैं। तेजी से कामयाबी की सीढ़ियों को लांघते विराट कोहली को लेकर अपने जमाने के महान सलामी बल्लेबाज सुनील गावस्कर का यह कहना कि आपको यदि एक अच्छा खिलाड़ी बनना है तो आपके पास टैलेंट होना जरूरी है लेकिन यदि आपको महान खिलाड़ी बनना है तो आपके पास विराट कोहली जैसा एटीट्यूड होना चाहिए, यह बड़ी बात है। 2016 में विराट कोहली ने बल्ले से कई कीर्तिमान अपने नाम किए हैं। जिस रफ्तार से कोहली टीम इण्डिया के पूर्व बल्लेबाजों के कीर्तिमान ध्वस्त कर रहे हैं, उससे वह कई मामलों में जल्द ही शिखर पर विराजमान हो जाएं तो किसी को हैरत नहीं होनी चाहिए। विध्वंसक विराट कोहली जिस तरह बल्लेबाजी कर रहे हैं, उसे देखते हुए महान सचिन तेंदुलकर के रिकार्ड भी खतरे में दिखने लगे हैं। क्रिकेट की तीनों फार्मेट में 50 की औसत से रन बनाना महान खिलाड़ी की ही निशानी है।
अगर टेस्ट क्रिकेट की बात करें तो विराट कोहली न्यूजीलैण्ड के खिलाफ 211, वेस्टइण्डीज के खिलाफ 200 और अभी हाल ही में अंग्रेजों के खिलाफ मुम्बई के वानखेड़े मैदान में 235 रनों की शानदार पारी खेलकर लगातार तीन सीरीज में तीन दोहरे शतक लगाने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज के साथ ही पहले भारतीय कप्तान भी बन गये। 2016 के टी-20 विश्व कप में उन्हें प्लेयर आफ द टूर्नामेंट घोषित किया गया था तो आईसीसी ने विराट कोहली को टी-20 विश्व एकादश का कप्तान भी नियुक्त किया। आई.पी.एल. में भी विराट के बल्ले की जमकर तूती बोली लिहाजा इन्हें ओरेंज कैप के साथ ही प्रतियोगिता के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का पारितोषिक प्रदान किया गया। कोहली ने आई.पी.एल. में 973 रन बनाए थे। 2008 में अण्डर-19 विश्व कप जीतने वाली टीम के कप्तान रहे विराट कोहली अपने आदर्श सचिन तेंदुलकर की ही तरह सामाजिक सरोकारों से भी जुड़े हुए हैं। वह अपने नाम से गरीब बच्चों के लिए एक संस्था चलाते हैं, जिसका नाम विराट कोहली फाउण्डेशन है। 
हाल ही विराट कोहली के नेतृत्व में टीम इण्डिया ने टेस्ट क्रिकेट में इंग्लैण्ड पर जीत का चौका लगाकर एक नया मील का पत्थर स्थापित किया है। इस सीरीज में खुद कप्तान विराट कोहली का बल्ला खूब बोला और उन्होंने टीम को फ्रंट से लीड किया जो उनकी कप्तानी की खासियत रही है। विराट के अलावा बल्लेबाजों में मुरली विजय, चेतेश्वर पुजारा ने भी रन बनाए वहीं गेंदबाजी में रविचंद्रन अश्विन और रवीन्द्र जड़ेजा छाए रहे। इन दोनों ने बल्ले से भी कमाल का प्रदर्शन किया। यदि चेन्नई टेस्ट की बात करें, तो यहां करुण नायर, लोकेश राहुल का बल्ला खूब बोला, जड़ेजा ने पहली बार मैच में 10 विकेट लिए लेकिन मैन ऑफ द मैच का खिताब करुण नायर को तो मैन ऑफ द सीरीज का खिताब विराट कोहली को मिला जबकि पूरी सीरीज में अश्विन ने जादुई गेंदबाजी की थी और वह इसके प्रबल दावेदार थे। चेन्नई टेस्ट में मैन ऑफ द मैच के लिए दो दावेदार थे। बाएं हाथ के स्पिनर रवीन्द्र जड़ेजा ने जहां इंग्लैंड को पहली पारी में 477 रन पर समेटने में अहम भूमिका निभाई वहीं दूसरी पारी में ड्रॉ की ओर बढ़ते मैच को अपने दम पर टीम इण्डिया की झोली में डाल दिया लेकिन मैन आफ द मैच का खिताब ले गए करियर के पहले ही शतक को तिहरे शतक में बदलने वाले करुण नायर। वास्तव में नायर को इसलिए प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया क्योंकि टीम इण्डिया को पहली पारी में ऐसी बढ़त चाहिए थी जिससे उसे दूसरी पारी में बैटिंग न करनी पड़े और नायर ने सबसे पहले लोकेश राहुल (199) के साथ 151 रनों की पारी खेली, फिर अश्विन के साथ 181 रन और रवीन्द्र जड़ेजा के साथ 138 रन जोड़े। इस प्रकार उन्होंने न केवल 303 रन नाबाद बनाकर इतिहास रचा बल्कि टीम इंडिया को 282 रनों की निर्णायक बढ़त दिला दी। फिर क्या था इंग्लैंड टीम दबाव में आ गई और उसे मैच बचाने के लिए खेलना पड़ा लेकिन वह दबाव नहीं झेल पाई और जड़ेजा की फिरकी में फंस गई।
अंतिम टेस्ट में टीम इण्डिया के प्रशंसकों को उम्मीद थी कि विराट कोहली सुनील गावस्कर का (774 रन) सीरीज में सबसे अधिक रन बनाने का 45 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ देंगे लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाए। गावस्कर ने यह रिकॉर्ड 1970-71 में उस समय की धुरंधर वेस्टइण्डीज टीम के खिलाफ बनाया था। हालांकि विराट पूरी सीरीज में एक दोहरे शतक के साथ सबसे अधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे। उनके बल्ले से 655 रन (दो शतक, दो पचासे) निकले। मैन ऑफ द सीरीज को लेकर उनका मुकाबला टीम इण्डिया के ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन से रहा। अश्विन ने पूरी सीरीज में 28 विकेट और रवीन्द्र जड़ेजा ने 26 विकेट चटकाए और सीरीज जीतने में अहम भूमिका निभाई। लाजवाब फिरकी गेंदबाजी के चलते अश्विन और रवीन्द्र जड़ेजा टेस्ट रैंकिंग में क्रमशः पहले और दूसरे पायदान पर पहुंच गये। 48 साल बाद यह करिश्मा करने वाली यह दूसरी स्पिन जोड़ी है। दरअसल विराट कोहली को मैन आफ द सीरीज का खिताब दिए जाने की वजह यह रही कि उन्होंने ऐसी परिस्थितियों में रन बनाए जिनमें बल्लेबाजी करना कतई आसान नहीं रहा। वैसे भारत के स्पिन विकेट पर बल्लेबाजी आसान नहीं होती और विराट ने टीम को कई मौकों पर संकट से निकालते हुए सुरक्षित स्थिति में पहुंचाया जिससे गेंदबाजों का काम आसान हो गया और वह चढ़कर गेंदबाजी कर पाए।
आप सीरीज के टॉप स्कोररों पर नजर डालें तो अपने आप समझ जाएंगे कि विराट की इतनी अहमियत क्यों रही। कोहली (655) के अलावा चेतेश्वर पुजारा ही एकमात्र भारतीय बल्लेबाज रहे जिसने सीरीज में 400 से अधिक रन बनाए हैं। वह भी कोहली से 254 रन पीछे रहे। इंग्लैंड के बल्लेबाज रूट ने 491 रन ठोके लेकिन वह भी कोहली से काफी पीछे रहे। गेंदबाजी में इंग्लैंड के आदिल राशिद भी कमतर नहीं रहे और 23 विकेट लिए जो अश्विन-जड़ेजा से कम घातक नहीं रहे। ऐसे में विराट कोहली निर्विवाद सबकी पसंद रहे। भारत और इंग्लैंड के बीच चेन्नई में हुए पांचवें और अंतिम टेस्ट में जीत के साथ ही विराट कोहली ने कप्तान के तौर पर एक और उपलब्धि अपने नाम कर ली। टीम इंडिया ने यह टेस्ट पारी के अंतर से जीता। इस जीत के साथ ही विराट कोहली ब्रिगेड ने 18 मैचों से अजेय रहते हुए कप्तान के तौर पर सुनील गावस्कर की टीम के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली। इससे पहले टीम इंडिया ने मुंबई टेस्ट में जीत हासिल करते हुए महान हरफनमौला कपिलदेव के नेतृत्व वाली टीम के 17 मैचों में अजेय रहने के रिकॉर्ड की बराबरी की थी।
विराट कोहली संघर्ष का ही दूसरा नाम है। क्रिकेट के इस मुकाम तक पहुंचने के लिए इस धाकड़ बल्लेबाज ने एक बार नहीं अनेकों बार अग्निपरीक्षा दी है। कोहली का जन्म 5 नवम्बर, 1988 को दिल्ली में एक पंजाबी परिवार में हुआ। इनके पिता प्रेम कोहली आपराधिक केस लड़ने वाले एक वकील रहे तो माता सरोज कोहली एक गृहिणी हैं। विराट के बड़े भाई का नाम विकास और बड़ी बहन का नाम भावना है। कोहली जब तीन साल के ही थे तभी उन्होंने क्रिकेट का बल्ला हाथ में थाम लिया था। कोहली उत्तम नगर में बड़े हुए और विशाल भारती पब्लिक स्कूल से शिक्षा ग्रहण की। 1998 में पश्चिमी दिल्ली में खुली क्रिकेट एकेडमी में कोहली ने नौ साल की आयु में दाखिला लिया था। कोहली के पिता ने तभी कोहली को एकेडमी में शामिल किया जब उनके पड़ोसी ने उनसे कहा कि विराट को गली क्रिकेट में समय व्यर्थ नहीं करना चाहिये बल्कि उसे किसी एकेडमी में व्यावसायिक रूप से क्रिकेट सीखना चाहिये। राजीव कुमार शर्मा की देखरेख में कोहली की क्रिकेट परवान चढ़ी। खेलों के साथ ही कोहली पढ़ाई में भी अच्छे थे।
18 दिसम्बर, 2006 को ब्रेन स्ट्रोक की वजह से उनके पिता की मृत्यु हो गयी। अपने प्रारम्भिक जीवन को याद करते हुए कोहली ने एक साक्षात्कार में बताया था कि मैंने अपने जीवन में बहुत कुछ देखा है। मैंने युवा दिनों में ही अपने पिता को खो दिया, जिससे पारिवारिक व्यापार डगमगा गया और मुझे किराये के कमरे में रहना पड़ा। वह समय मेरे और मेरे परिवार के लिए काफी मुश्किल था। आज भी उस समय को याद करते हुए मेरी आँखें नम हो जाती हैं। कोहली के अनुसार, बचपन से ही क्रिकेट प्रशिक्षण में उनके पिता ने उनकी सहायता की थी। मेरे पिता ही मेरे लिए सबसे बड़ा सहारा थे। वही थे जो रोज मेरे साथ खेलते थे। आज भी कभी-कभी मुझे उनकी कमी महसूस होती है। कोहली ने भारतीय टीम का नेतृत्व करने से पहले घरेलू क्रिकेट में विविध-उम्र की टीम में दिल्ली का प्रतिनिधित्व किया है। वे अंडर-19 टीम में भारत के कप्तान थे जिसने 2008 में मलेशिया में अंडर-19 विश्व कप में इतिहास रचा था। इसके कुछ महीनों बाद ही उन्होंने श्रीलंका के विरुद्ध अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर की शुरुआत की थी। शुरू-शुरू में उन्हें टीम में आरक्षित खिलाड़ी के रूप में रखा गया लेकिन जल्द ही इस खिलाड़ी ने वन-डे क्रिकेट में ताबड़तोड़ रन बनाकर अपने आपको साबित किया। 2011 विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम में भी विराट कोहली शामिल थे।
कोहली ने 2011 में वेस्टइण्डीज के खिलाफ किंगस्टन में अपना पहला टेस्ट मैच खेला। 2013 में ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में जमाए गये उनके शतकों के कारण उन पर वन-डे स्पेशलिस्ट बल्लेबाज की छाप लग गई। इसी साल विराट आई.सी.सी. की वन-डे रैंकिंग में शीर्ष स्थान पर भी पहुंचे। बाद में उन्हें टी-20 प्रारूप में भी सफलता मिली। कोहली को 2012 में भारतीय वन-डे टीम के उप-कप्तान के रूप में नियुक्त किया गया। महेन्द्र सिंह धोनी के 2014 में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद से ही कोहली भारतीय टेस्ट टीम की कप्तानी कर रहे हैं। कोहली ने अपनी दमदार बल्लेबाजी से कई कीर्तिमान अपने नाम किए जिसमें सबसे तेज वन-डे शतक, वन-डे क्रिकेट में सबसे तेज 5000 रन और सबसे तेज 10 वन-डे शतक बनाना भी शामिल है। वे विश्व के अकेले ऐसे बल्लेबाज हैं जिन्होंने लगातार चार साल तक वनडे क्रिकेट में 1000 या उससे भी ज्यादा रन बनाये हैं। 2015 में वह टी-20 में 1000 रन बनाने वाले दुनिया के सबसे तेज बल्लेबाज बन गये। कोहली को कई पुरस्कारों से भी नवाजा गया। 2012 में उन्हें आई.सी.सी. एकदिनी प्लेयर ऑफ द ईयर तो 2011-12 में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड द्वारा सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर चुना गया। 2013 में विराट कोहली को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपने अतुलनीय योगदान के लिए अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया। कोहली आई.एस.एल. की टीम एफ.सी. गोवा और आई.पी.टी.एल. फ्रेंचाइजी यू.ए.ई. रॉयल्स के सह-मालिक भी हैं।
सफलता के रथ पर सवार विराट कोहली के लिए साल 2016 बहुत अच्छा रहा। इस साल भारत ने तीन टेस्ट सीरीज अपने नाम कीं और कोई भी टेस्ट नहीं हारा है। भारत ने इस साल 11 टेस्ट मैच खेले जिसमें से नौ टेस्ट मैचों पर जीत हासिल की और दो टेस्ट ड्रा रहे हैं। भारत ने इस साल वेस्टइण्डीज, न्यूजीलैण्ड और इंग्लैण्ड से टेस्ट सीरीज जीती हैं। भारत ने टेस्ट सीरीज में जीत की शुरुआत वेस्टइण्डीज को हराकर की। वेस्टइण्डीज को तीन मैचों की टेस्ट सीरीज में 2-0 से हराया। इस सीरीज में एक टेस्ट मैच ड्रा रहा। इसके बाद भारत ने तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में न्यूजीलैंड का क्लीनस्वीप किया। इस कामयाबी के बाद भारत टेस्ट रैंकिंग में नम्बर वन पायदान में आ गया। भारत ने इंग्लैण्ड के खिलाफ भी अपनी जीत का सिलसिला जारी रखा। भारत ने पांच टेस्ट मैचों की सीरीज 4-0 से अपने नाम की। भारतीय कप्तान विराट कोहली की यह टीम जीत का सिलसिला जारी रखना चाहेगी लेकिन उसके सामने चुनौतियां भी कम नहीं हैं। 2017 में सबसे पहले बांग्लादेश टीम भारत आएगी और एक टेस्ट मैच खेलेगी। यह टेस्ट मैच आठ फरवरी से हैदराबाद में खेला जाएगा। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया की टीम भारत दौरे पर आएगी। ऑस्ट्रेलिया की टीम के साथ भारत की चार टेस्ट मैचों की सीरीज होगी। यह सीरीज 23 फरवरी से शुरू होगी। इस टेस्ट सीरीज के बाद जून में भारत आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी में हिस्सा लेगा। चैम्पियंस ट्रॉफी में भारत का पहला मुकाबला पाकिस्तान के साथ होगा। हर दिल अजीज विराट कोहली अपनी ठोस बल्लेबाजी और कुशल नेतृत्व क्षमता से 2017 में भी भारतीय क्रिकेट को बुलंदियों पर जरूर पहुंचाएंगे, इसकी वजह उनका सकारात्मक रवैया है।


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