Sunday 8 March 2015

वाॅलीबाल का मक्का गांव कौल

बलवंत सिंह बल्लू रहे 15 साल भारतीय टीम के कप्तान

कैथल : ऐसा गांव जहां हर नौजवान में जुनून है वाॅलीबाल का खिलाड़ी बनने का। सुबह 4 बजे से ही स्कूल, कालेज व यूनिवर्सिटी के वॉलीबाल मैदानों में ही नहीं, गांव में जहां भी नैट लगाने की जगह मिल सकती हो, वहीं वाॅलीबाल खेलने जुट जाते हैं। शाम को स्कूल व कालेज की छुट्टी होते ही वॅालीबाल के सभी नैटों पर चहल-पहल शुरू हो जाती है जो रात तक चलती है। जी हां, यहां बात हो रही है जिला कैथल के गांव कौल की जिसके बारे में पूरा प्रदेश जानता है कि यहां की वाॅलीबाल टीम का कोई मुकाबला ही नहीं। कैथल से करीब 28 किलोमीटर दूर गांव कौल को यदि वाॅलीबाल का मक्का कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। गांव के हर युवा में वाॅलीबाल का महान खिलाड़ी बन अर्जुन अवार्डी तथा भारत की टीम के 15 साल कप्तान रहे बलवंत सिंह बल्लू की तरह गांव का नाम रोशन करने की लालसा है।
युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत
गांव के युवाओं के लिए गांव के कई खिलाड़ी प्रेरणास्त्रोत बने हंै जिनको देखकर वे भी बलवंत सिंह बल्लू, मेहर सिंह हांडा व जगपाल जैसे अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी बनने की तमन्ना रखते हैं। एक ही गांव से इतने अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी होने का गर्व हर युवा के जोश में साफ झलकता है।
हर साल होता है राष्ट्रीय स्तर का टूर्नामेंट
गांव में हर साल अर्जुन अवार्डी बलवंत सिंह बल्लू की याद में 11 से 14 मार्च तक राष्ट्रीय स्तर का वालीबाल मुकाबला आयोजित किया जाता है, जिसमें देश की जानी-मानी टीमें तथा खिलाड़ी भाग लेते हैं। इन मुकाबलों को देखने के लिए प्रदेश से हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं।
कालेज में बना बलवंत सिंह बल्लू यादगारी स्टेडियम
गांव में स्थित बाबू अनंत राम जनता कालेज में अर्जुन अवार्डी बलवंत सिंह बल्लू की याद में वाॅलीबाल स्टेडियम बनाया गया है जिसमें वालीबाल के 2 ग्राउंड हैं। इसके अलावा सभी स्कूलों तथा कृषि विश्वविद्यालय के कैम्पस व गांव में भी कई जगह वालीबाल खेलने के लिए स्थान बनाए गए हैं, जिनमें गांव के सैकड़ों खिलाड़ी सुबह-शाम अभ्यास करते हैं।
गांव ने दिए महान खिलाड़ी
कौल गांव के वाॅलीबाल के कई महान खिलाड़ी देश का गौरव बढ़ा रहे हैं। इनमें अर्जुन अवार्डी बलवंत सिंह बल्लू का नाम शान से लिया जाता है। इसी प्रकार राष्ट्रीय स्तर पर खेलने वाले खिलाड़ी मेहर सिंह हांडा, जगपाल, नरेंद्र, बलकार सिंह, सावन कुमार, नरेन्द्र रामकुमार, शुभम केहर सिंह, राहुल धर्म सिंह शामिल हैं। मेहर सिंह हांडा भारत के लिए खेले और 1982 व 1986 में एशियाड खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया तथा गोल्ड मैडल प्राप्त किया। जगपाल  ने भारत का प्रतिनिधित्व किया और इंडो रशिया खेलों में शानदार प्रदर्शन किया।
पिता के नक्शे-कदम पर चल रहा नरेन्द्र
बलवंत सिंह बल्लू का बेटा भी उनके नक्शे कदम पर चल कर एक बड़ा खिलाड़ी बना है जिसके दम पर वह अनेक प्रतियोगिताओं में भाग ले चुका है। नरेन्द्र ने 25 से 30 नवम्बर, 2007 में नार्थ जोन आल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी चैम्पियनशिप खेली और गोल्ड मेडल प्राप्त किया। 12 से 20 दिसम्बर 2007 में आल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी प्रतियोगिता में चौथा स्थान पाया। 11 से 15 दिसम्बर, 2008 में नार्थ जोन आल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल प्राप्त किया। 10 से 14 जनवरी 2008 में आल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी खेलों में द्वितीय स्थान प्राप्त किया। 24 जनवरी से 1 फरवरी, 2009 में केरल में आयोजित यूथ नेशनल वाॅलीबाल में तीसरा स्थान पाया। 13 से 21 मई 2010 तक ईरान के तेहरान में आयोजित यूथ एशियन चैम्पियनशिप में टीम ने चौथा स्थान प्राप्त किया और स्वयं बैस्ट अटैकर का इनाम पाया। 2013 में ट्यूनीशिया में आयोजित जूनियर इंडिया वाॅलीबाल चैम्पियनशिप में भाग लिया।
बलकार सिंह
पश्चिमी बंगाल में आयोजित इंटर साई वाॅलीबाल प्रतियोगिता 17 से 20 अक्तूबर 2009 में खेली तथा द्वितीय स्थान प्राप्त किया। 12 से 16 फरवरी, 2010 में इंटर कालेज प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया। नार्दन इंंटर यूनिवर्सिटी प्रतियोगिता 16 से 22 जनवरी 2011 में कुरुक्षेत्र में खेली तथा प्रथम स्थान प्राप्त किया। कुरुक्षेत्र में आयोजित आल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी 10 से 14 फरवरी 2011 में गोल्ड प्राप्त किया।
सावन कुमार
सावन कुमार ने यूपी के फैजाबाद में आयोजित नार्थ जोन इंटर यूनिवर्सिटी प्रतियोगिता में भाग लिया और गोल्ड प्राप्त किया। आल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी खेल मध्यप्रदेश के सागर में द्वितीय स्थान पाया। 7 से 15 जनवरी 2013 में राजस्थान में सीनियर नेशनल चैम्पियनशिप में भाग लिया और 19 से 25 जनवरी तक आयोजित नेशनल यूथ वाॅलीबाल प्रतियोगिता में भाग लिया।
नरेन्द्र कुमार
नरेन्द्र ने जूनियर स्टेट चैम्पियनशिप में भाग लिया। 2014 में चंडीगढ़ में आयोजित जूनियर नेशनल चैम्पियनशिप में द्वितीय स्थान प्राप्त किया। 13 से 14 दिसम्बर 2014 तक आयोजित यूथ स्टेट चैम्पियनशिप में दूसरा स्थान प्राप्त किया।
शुभम
शुभम ने भी अपने गांव का नाम रोशन करते हुए कई प्रतियोगिताओं में भाग लिया जिसमें 12 से 14 जनवरी 2014 तक देहरादून में जूनियर नैशनल चैम्पियनशिप में चौथा स्थान प्राप्त किया। सब जूनियर नेशनल चैम्पियनशिप में तीसरा स्थान पाया। 29 नवम्बर से 6 दिसम्बर 2014 तक नार्थ जोन इंटर यूनिवर्सिटी चैम्पिनशिप में गोल्ड मेडल प्राप्त किया। 7 दिसम्बर से 12 दिसम्बर 2014 कुरुक्षेत्र में आयोजित आल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल प्राप्त किया।
राहुल कुमार
राहुल कुमार ने वाॅलीबाल में शानदार प्रदर्शन करके अपने हुनर का प्रदर्शन किया। उन्होंने 1999 में स्कूल नेशनल चैम्पियनशिप खेली, 2000 में गुड़गांव में जूनियर नेशनल प्रतियोगिता में भाग लिया, 2001 में पटियाला में आयोजित अंडर 19 नेशनल प्रतियोगिता में भाग लिया, 2005 में पूना में आयोजित सीनियर नेशनल में दूसरा स्थान प्राप्त किया, 2006 में यू.एस.ए. के एरिजोना में आयोजित वल्र्ड मिलिटरी चैम्पियनशिप में भाग लिया, 2007 में रायपुर में सीनियर नेशनल में भाग लिया, 2007 में हैदराबाद में हुए वर्ल्ड मिलिट्री खेलों में तृतीय स्थान पाया, 2007 व 2008 में सीनियर नेशनल खेली, 2009 में ब्राजील के रियो डी जिनेरियो में हुई वर्ल्ड मिलिट्री खेलों में चौथा स्थान प्राप्त किया तथा 2010 में ग्वालियर में आयोजित सीनियर नेशनल वाॅलीबाल प्रतियोगिता में भाग लिया।
एकेडमी खिलाड़ियों का भी शानदार प्रदर्शन
बलवंत सिंह बल्लू द्वारा शुरू की गई वालीबाल एकेडमी में प्रशिक्षण प्राप्त करके खिलाड़ियों ने भी शानदार प्रदर्शन किया। इन खिलाड़ियों को आजकल बलकार सिंह कोच, कर्म सिंह पीटीआई व जसबीर सिंह भूरा पीटीआई खेल की बारीकियां सिखा रहे हैं। इनकी तैयार टीमों ने कई बड़ी प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन किया है जिनमें 27 से 28 अक्तूबर, 2008 में बंचूरी में सीनियर स्टेट चैम्पियनशिप में 8 खिलाड़ियों ने भाग लिया, 11 से 13 जनवरी 2012 में जींद में जूनियर स्टेट चैम्पियनशिप में 8 खिलाड़ी खेले। 13 से 14 दिसम्बर 2014 तक सेरला भिवानी में यूथ स्टेट चैम्पियनशिप में 8 खिलाड़ी खेले। इनमें शुभम, सोनू, अंकित, नरेन्द्र, दीपांशु, सुनील, प्रिंस व अमन शामिल थे।
कौन थे बलवंत सिंह बल्लू
गांव कौल में मार्च, 1946 को किसान धनपत सिंह के घर में जन्म लेने वाले बल्लू ने अपनी शिक्षा कौल से ही प्राप्त की। बचपन से ही वाॅलीबाल के दीवाने बल्लू 1965 में पंजाब पुलिस में सिपाही के पद पर नियुक्त हुए। 1966 में पहली बार नेशनल प्रतियोगिता में दमखम दिखाया और दूसरा स्थान प्राप्त किया। उसके बाद उनके नेतृत्व में कई चैम्पियनशिप जीती गईं। 1980 में दुबई में क्लब की कप्तानी की तो यूनान में कोचिंग कैंप भी लगाया। पंजाब टीम के कप्तान रहते हुए 15 साल राष्ट्रीय वालीबाल प्रतियोगिता जीतने का गौरव प्राप्त किया। पंजाब की टीम के साथ-साथ लगातार 15 साल भारत की टीम के कप्तान भी रहे तथा 1966 से 1980 तक भारतीय पुलिस वालीबाल खेल प्रतियोगिता के भी विजेता रहे।
1972 में मिथा था अर्जुन अवार्ड
वालीबाल में अद्भुत प्रदर्शन के दम पर भारत का नाम ऊंचा करने वाले बलवंत सिंह बल्लू को वाॅलीबाल में अविस्मर्णीय प्रदर्शन के चलते 1972 में तत्कालीन राष्ट्रपति वी.वी. गिरी ने अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया। 1979 में पंजाब सरकार ने महाराजा रणजीत अवार्ड से सम्मानित किया। 1983 में हरियाणा सरकार द्वारा उन्हें भीम अवार्ड से सम्मानित किया गया। 14 नवम्बर, 2010 को यह महान खिलाड़ी अपनी सांसारिक यात्रा पूरी करके भगवान के घर चला गया, लेकिन अपने खेल के दम पर लाखों शुभचिंतकों को खेल के प्रति मेहनत, लग्न व समर्पण पाठ पढ़ाकर आज भी लोगों के दिलों में बसा है।

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