Monday 23 March 2015

क्रिकेट की राह चलें राष्ट्रीय खेल महासंघ: जेटली

राष्ट्रीय खेल महासंघों का प्रशासनिक ढांचा पेशेवर हो
हाकी, टेनिस, कुश्ती, तीरंदाजी, निशानेबाजी और मुक्केबाजी में काफी सम्भावनाएं
केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली राष्ट्रीय खेल महासंघों की कार्यशैली को लेकर खुश नहीं हैं। उनका मानना है कि राष्ट्रीय खेल महासंघ सीमित लोगों के हाथ की कठपुतली बनने की बजाय अपने प्रशासनिक ढांचे को पेशेवर बनाएं।
राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के युवा मामलों और खेल विभाग के प्रभारी मंत्रियों और सचिवों के सम्मेलन में जेटली की यह टिप्पणी काफी अहम है क्योंकि राष्ट्रीय खेल महासंघों के कई अधिकारी वर्षों से अपने पद पर बने हुए हैं या पद छोड़ने के बावजूद अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर रहे हैं। जेटली ने कहा कि राष्ट्रीय खेल महासंघ देश में खेल के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं लेकिन अपना राजस्व जुटाने और आत्मनिर्भर बनने में विफल हैं। उन्होेंने कहा, देश में खेल प्रबंधन का ढांचा जटिल है। खेल राज्य के दायरे में आते हैं क्योंकि यह भारतीय संविधान की राज्य सूची में है। इसलिए खेलों के विकास की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्यों की है। अतीत में खेल को समवर्ती सूची में शामिल कराने के प्रयास विफल रहे हैं।
राष्ट्रीय खेल महासंघ असल में विभिन्न खेलों का प्रबंधन करते हैं और वे खेलों के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं। केन्द्र सरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ियों का प्रबंधन करती है। इन तीनों के बीच संतुलन बनाए रखना जरूरी है। जेटली ने देश में खेल बुनियादी ढांचे की कमी पर भी निराशा जताई और कहा कि बीसीसीआई के अलावा कोई भी खेल महासंघ बुनियादी ढांचे के विकास में योगदान नहीं दे पाया है। उन्होंने कहा, देश में क्रिकेट को छोड़कर सभी खेलों में बुनियादी ढांचे की कमी है। टेनिस और गोल्फ में कारपोरेट का कुछ समर्थन है लेकिन बाकी सभी राष्ट्रीय खेल महासंघ आत्मनिर्भर नहीं हैं।
बीसीसीआई की तारीफ करते हुए जेटली ने कहा, बीसीसीआई ने स्टेडियम सहित विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा तैयार किया है। स्टेडियम का मालिकाना हक बीसीसीआई के पास है सरकार के पास नहीं। इससे देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए काफी क्रिकेट प्रतिभा सामने आई हैं। जेटली ने सुझाव दिया कि भारत को ओलम्पिक में पदक जीतने के लिए कुछ अहम खेलों पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए जबकि बाकी खेलों में जमीनी स्तर पर प्रतिभाओं को निखारने पर ध्यान लगाना चाहिए।
उन्होंने कहा, प्रत्येक देश सभी खेलों में बराबर अच्छा नहीं हो सकता। इंग्लैंड ने पांच से छह खेलों पर ध्यान देकर खेलों में अपने भविष्य को सुधारा और उन्होंने 2012 ओलम्पिक में इन खेलों में पदक जीते। हमें भी हाकी, टेनिस, कुश्ती, तीरंदाजी, निशानेबाजी और मुक्केबाजी जैसे खेलों पर ध्यान देना चाहिए जिससे कि हम ओलम्पिक में इन खेलों में पदक जीत सकें।

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