Sunday 25 January 2015

एसजीएफआई: खेल प्रतिभाओं के साथ मजाक

-नेशनल विजेता खिलाड़ी को 12वीं की जगह बना दिया नौवीं काछात्र
-केवीएस की राष्ट्रीय प्रतियोगिता में आगरा को दो बार चैम्पियन बना चुका है शिवम  
गिरजा शंकर शुक्ला
आगरा। खेल संघ ही खेल प्रतिभाओं के कॅरियर के साथ खिलवाड़ करते हैं। इस तरह के कई उदाहरण अब तक सामने आ चुके हैं और  खेलजगत भी इस बात से अच्छी तरह वाकिफ है। जब स्कूली स्तर पर ही खेल प्रतिभाओं के कॅरियर के साथ मजाक होने लगे तो खेलों के स्तर में सुधार लाने की बातें बेमानी लगने लगती हैं और खेलों के स्वर्णिम भविष्य को लेकर स्थितियां बहुत ही भयावह दिखाई देती हैं। स्कूल स्तर पर खेल प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के  लिए स्कूल गेम्स फेडरेशन आॅफ इण्डिया की तरफ से आयोजित होने वाली विभिन्न प्रतियोगिताओं में  ही जब खिलाड़ियों को दिए जाने वाले प्रमाण पत्रों में खिलाड़ी का नाम, उसकी उम्र और कक्षा गलत दर्ज की जाए तो उससे खिलाड़ियों की हौसला अफजाई की जगह उसका मनोबल टूटता है।
पिछले सप्ताह एसजीएफआई द्वारा मध्यप्रदेश के देवास जिले में आयोजित नेशनल सॉफ्ट टेनिस प्रतियोगिता (अंडर-19) के खिताबी मुकाबले में विद्या भारती को पराजित कर स्वर्ण पदक जीत पूरे देश में नेशनल चैम्पियन होने का परचम लहराने वाले ग्वालियर के खिलाड़ी शिवम शुक्ला के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। इस राष्ट्रीय विजेता को एसजीएफआई की तरफ से जो प्रमाण पत्र प्रदान किया गया, उसमें उसे कक्षा-9 का छात्र दर्शाया गया है जबकि जिस प्रतियोगिता में वह खेला वह अंडर-19 की है। शिवम ग्वालियर के शासकीय हरिदर्शन स्कूल का 12वीं कक्षा का छात्र है। एसजीएफआई के स्तर पर हुई यह चूक इस नेशनल विजेता खिलाड़ी का मनोबल तोड़ने का ही प्रयास है। राष्ट्रीय स्कूली खेलों में प्रतिभाग करने से पहले खेल प्रतिभाओं को जिला, संभाग और प्रदेश स्तरीय  प्रतियोगिताओं में अपना पराक्रम दिखाना होता है। शिवम शुक्ला भी सारी प्रक्रिया पार कर मध्यप्रदेश को दो स्वर्ण पदक दिलाने की मंशा के साथ नेशनल स्तर पर खेलने पहुंचा था। अपनी खेल प्रतिभा और लगन के दम पर उसने दिल्ली, तमिलनाडु की चुनौती ध्वस्त कर मध्यप्रदेश  को चैम्पियन का ताज पहनाने में अहम भूमिका निभाई।
-बॉक्स
क्या सोता रहा शिक्षा विभाग?
अब सवाल यह उठता है कि शिवम जब 12वीं का छात्र है तो उसके प्रमाण पत्र पर उसे नौवीं का छात्र कैसे दर्शाया गया? एसजीएफआई की यह गंभीर चूक शिक्षा विभाग पर भी सवालिया निशान लगाती है। यह चूक साबित करती है कि शिक्षा विभाग स्कूली खेलों के प्रति कितना गंभीर है। स्कूली खेलकूद प्रतियोगिताओं में जिलास्तर से ही खिलाड़ियों की जन्मतिथि, उनकी कक्षा और उनकी पहचान को लेकर कड़ी जांच-पड़ताल होने लगती है। ऐसे में शिवम शुक्ला  को कैसे नौवीं का विद्यार्थी मान लिया गया और उसे इसका  प्रमाण पत्र भी प्रदान कर दिया गया,जबकि वह 12वीं का छात्र है। शिक्षा विभाग और एसजीएफआई की यह गंभीर चूक शिवम शुक्ला के लिए सिरदर्द बन गई है। परीक्षाएं सिर पर हैं, ऐसे में  वह अपनी पढ़ाई करे अथवा अपने प्रमाण पत्र को सही करवाने के लिए शिक्षा विभाग और एसजीएफआई कार्यालयों के चक्कर काटे। इससे पहले यह होनहार खिलाड़ी देशभर में आगरा का परचम लहरा चुका है। इस होनहार खिलाड़ी ने केन्द्रीय विद्यालय संगठन की तरफ से लखनऊ और चण्डीगढ़ में आयोजित नेशनल लॉन टेनिस प्रतियोगिता में आगरा संभाग को चैम्पियन बनाने में महती भूमिका निभाई थी। शिवम शुक्ला इन प्रतियोगिताओं में दो स्वर्ण, दो रजत और एक कांस्य पदक जीत चुका है। इसके अलावा शिवम शुक्ला अहमदाबाद में आयोजित जूनियर वर्ल्ड चैम्पियनशिप में  भी देश का प्रतिनिधित्व कर चुका है।
-बॉक्स
यह बहुत बड़ी चूक: राजेश मिश्रा
शिवम शुक्ला के 12वीं का छात्र होने के बावजूद उसके प्रमाण पत्र पर उसे नौवीं का छात्र दर्शाए जाने को खुद एसजीएफआई एक गंभीर चूक बताता है। एसजीएफआई के महासचिव राजेश मिश्रा कहते हैं कि यह प्रदेश स्तर पर एक गंभीर चूक है। इतनी बड़ी चूक नहीं होनी चाहिए, पर इसके बावजूद वह इस चूक को सुधारने  के लिए जो प्रक्रिया बताते हैं, वह काफी लम्बी और भागदौड़ भरी है।  
-मोदी जी, कैसे निकलेंगे अंतरराष्ट्रीय  खिलाड़ी?
 खेल के क्षेत्र में चीन और अमेरिका से होड़ करने की बात करने वाले खेलों के खेलनहार शायद यह भूल जाते हैं कि विश्वस्तरीय खेल प्रतियोगिताओं में जिस  देश के खिलाड़ियों को  प्रवेश शुल्क जमा करना पड़ता हो, उस देश में खेलों का भविष्य क्या होगा? खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गृहप्रांत अहमदाबाद में आयोजित जूनियर वर्ल्ड सॉफ्ट टेनिस चैम्पियनशिप में प्रतिभाग करने वाले खिलाड़ियों को प्रति खिलाड़ी 500 डॉलर (भारतीय मुद्रा में 30 हजार रुपये) बतौर प्रवेश शुल्क जमा करने पड़े थे। खिलाड़ी को कुछ देने के बजाय उल्टे उससे ही प्रतियोगिताओं में शामिल होने के लिए प्रवेश शुल्क वसूलना किसी भी देश और खिलाड़ी के लिए दुर्भाग्य की ही बात है। 

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