Sunday 4 January 2015

भिवानी का नहीं कोई सानी

मंदिरों के शहर भिवानी को छोटी काशी व मिनी क्यूबा का नाम दिए जाने के बाद अब अगर खिलाड़ियों की नगरी कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। यह अर्जुन, भीम व द्रोणाचार्य अवार्डियां की नगरी बन चुकी है। यहां के खिलाड़ी बॉक्सिंग, एथलेटिक्स, कुश्ती, कबड्डी व बैडमिंटन में भी दम-खम दिखा चुके हैं, बल्िक यूं कहें की दम-खम दिखा रहे हैं और खिलाडिय़ों का जज्बा भी ऐसा कि प्रदेश में कोई उनका सानी नहीं।
भिवानी ने देश को अनेक खिलाड़ी दिए। गत 7-8 साल से तो यहां के खिलाड़ियों ने देश का परचम लहराया है। भिवानी के मुक्केबाजों ने तो विरोधियों को धूल चटाई ही, साथ ही यहां की पहलवान छोरियों ने भी देश का नाम विश्व मानचित्र पर चमकाया है। भिवानी के गांव बलाली की 5 पहलवान बहनों ने एक साधारण परिवार से उठकर देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया। वहीं इस साल मुक्केबाजी जगत में स्वीटी बूरा के रूप में एक नया सितारा उभरकर सामने आया, जिसने सीनियर नेशनल में अपने मुक्के की धाक जमाई तो दक्षिण कोरिया के जेजू में विश्व महिला मुक्केबाजी में चांदी का पदक लाकर सबको हैरत में डाला व देश का नाम चमकाया। अंतर्राष्ट्रीय महिला मुक्केबाज कविता चहल व पूजा बोहरा ने भी अपने मुक्के का लोहा मनवाया है। वहीं स्पेट खेलों में भी यहां के नौनिहालों ने नाम रोशन किया है मंदिरों के शहर भिवानी को छोटी काशी व मिनी क्यूबा का नाम दिए जाने के बाद अब अगर ह्यअर्जुनों की हस्तिनापुरह्ण कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। प्रदेश के अकेले 13 अर्जुन अवार्डी भिवानी ने दिए हैं। यहां तक कि छोटी काशी ने 2 द्रोणाचार्य अवार्डी भी दिए हैं। जो कि अब देश के किसी भी प्रांत के इतने अवार्डी नहीं हैं। यहां अर्जुन अवार्डी के साथ-साथ भीम अवार्डी भी हैं, जिनकी संख्या 2 दर्जन है और अंतर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर पर पदक झटकने वाले ह्कुलह्ण व ह्यसहदेवोंह्ण की बात की जाए तो ऐसे खिलाड़ी भी यहां बहुतायत में हैं। शिक्षा के साथ-साथ भिवानी ने खेल जगत में 70 के दशक से अपना रुतबा दिखाना शुरू किया था। उसी दशक में हवासिंह सांगवान को बाक्सिंग के क्षेत्र में अर्जुन अवार्ड दिया गया था। अब तक सबसे ज्यादा बॉक्सिंग खेल में अर्जुन अवार्डी हैं। इनके अलावा 3 एथलेटिक्स, कबड्डी और एक बैडमिंटन खेल में महायोद्धा अर्जुन अवार्ड जीत चुके हैं।
24 अर्जुन अवार्डी
जिले में ह्यअर्जुनोंह्ण के बाद 24 खिलाड़ी भीम अवार्ड हासिल कर चुके हैं जिनमें विश्व प्रसिद्ध मुक्केबाज संजय कुमार, मीना कुमारी, दिनेश और विजेंद्र, वीरेंद्र, मनोज, राममेहर के नाम शामिल हैं। ये बात तो थी अर्जुन व भीम अवार्डियों की।  अब बात करते हैं द्रोणाचार्य अवार्ड धारकों की तो चेलों को तराशकर अंतर्राष्ट्रीय और ओलंपिक गेम्स तक भेजने वाले बॉक्सिंग कोच जगदीश सिंह को वर्ष 2010 में द्रोणाचार्य अवार्ड और कैप्टन हवा सिंह को 70 के दशक में अर्जुन अवार्ड दिया गया था। यह अवार्ड उस खेल प्रशिक्षक को दिया जाता है जिस कोच के कई खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड व अन्य पदक जीत चुके हों।
ये दिखा चुके हैं जौहर
अब तक बाक्सिंग में हवा सिंह, राजकुमार, महताब सिंह, विजेंद्र सिंह, अखिल कुमार, जितेंद्र और दिनेश कुमार अर्जुन अवार्ड जीत चुके हैं। इनके अलावा अन्य खेलों में अनिल कुमार, शक्ति सिंह, भीम सिंह, राममेहर और रोहित भाकर को भी महायोद्धा के अवार्ड से नवाजा जा चुका है। उक्त अवार्ड हर साल केंद्र सरकार देश के केवल 15 खिलाडिय़ों को ही देती है, जिनके राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की स्पर्धाओं में पदक होते हैं।
300 खिलाड़ी जीत चुके हैं राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय मेडल
यहां के साई हॉस्टल के प्रभारी वृषभान से जब बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि यहां के खिलाड़ियों में से 13 अर्जुन अवार्डी हैं। 4 खिलाड़ियों को गत वर्ष भीम अवार्ड से नवाजा गया। नकुल और सहदेवों, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पदक विजेताओं की भी कमी नहीं है। भिवानी के विभिन्न खेलों में 300 खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। इनके अलावा कॉमनवेल्थ गेम्स और राष्ट्रमंडल गेम्स में करीब 10 से ज्यादा खिलाड़ी गोल्ड और रजत पदक जीत चुके हैं। प्रदेश स्तर पर करीब 500 से ज्यादा खिलाड़ी गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। पदक विजेताओं के इतने नाम हैं कि साई हॉस्टल के कमरे में लगे रोल ऑफ ऑनर के बोर्ड भी छोटे पड़ गए हैं। हॉस्टल के कमरे में अब तक पदक विजेताओं के नामों के लिए 8 रोल ऑफ ऑनर के बोर्ड लगाए जा चुके हैं।
इनका मुकाबला नहीं
भीम अवार्डी संजय कुमार का कहना है कि खिलाड़ियों की मंडी में भिवानी का स्थान सबसे आगे है।  अगर भिवानी के खिलाड़ियों को सुविधाएं अधिक दी जाएं तो इन खिलाड़ियों का कहीं कोई मुकाबला नहीं है।
बेमिसाल हैं खिलाड़ी
भिवानी के जिला खेल अिधकारी छाजू राम गोयल ने कहा कि यहां के खिलाड़ी बेमिसाल हैं। इनका कोई मुकाबला नहीं है। ऐसे में अगर भिवानी को हस्तिनापुर की वाकई में संज्ञा दी जाए तो शायद कोई बड़ी बात नहीं होगी।
सबसे ज्यादा अवार्ड मिले
साई होस्टल के मुक्केबाजी कोच, विजेन्द्र व अखिल सरीखे खिलाड़ियों के गुरु व भिवानी बॉक्सिंग क्लब के प्रबंधक द्रोणाचार्य अवार्डी जगदीश सिंह ने माना कि भिवानी को छोटी काशी और अब मिनी क्यूबा के नाम से जाना जाता है। उन्होंने बताया कि भिवानी के खिलाड़ियों ने सबसे ज्यादा अवार्ड अर्जित किए हैं। उन्होंने भी माना कि अब भिवानी को अर्जुनों की हस्तिनापुर कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
खिलाड़ियों को नयी सरकार से उम्मीदें
भिवानी की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अभूतपूर्व उपलब्धियों के बावजूद क्षेत्र को अब तक खेल विश्वविद्यालय नहीं मिल पाया है। खेल विश्वविद्यालय को लेकर समय-समय पर राजनीति जरूर हुई है। कांग्रेस सरकार के समय भिवानी में खेल विश्वविद्यालय तो दूर यहां तो कोई रिजनल सेंटर तक नहीं खोला गया। अब देखना यह है कि भाजपा सरकार यहां के खिलाड़ियों की कितनी सुध लेती है। खेलमंत्री अनिल विज से अब खिलाड़ियों का उम्मीद जगी है कि वह उनके लिये और अधिक सुविधायें उपलब्ध करायेंगे ताकि वे खेल में और सुधार कर सकें।
अजय मल्होत्रा

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