Wednesday 8 October 2014

एशियाई खेल: बढ़े पदक, गिरा प्रदर्शन

एथलीटों, पहलवानों, मुक्केबाजों और निशानेबाजों ने बचाई लाज
आगरा। खिलाड़ियों की सुविधाएं बढ़ीं, खेल अधोसंरचना सुधरी तथा विदेशी प्रशिक्षकों पर अरबों निसार करने के बाद भी पदकों के लिहाज से खेलों में भारत का भाग्य नहीं बदला। यह मैं नहीं बल्कि 63 साल का एशियाई खेलों का रिकॉर्ड बयां कर रहा है। एशियाई खेलों में जैसे-जैसे खेल और पदकों की संख्या बढ़ी भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन गिरता ही चला गया। चीन की सहभागिता के बाद तो हमारी स्थिति और भी खराब हो गई। खेलों में आज हम अर्श पर नहीं बल्कि फर्श पर हैं।
एशियाई खेलों का आगाज हुए 63 साल हो गये हैं। पहले एशियाई खेल 1951 में दिल्ली में हुए और तब 169 पदक दांव पर थे जिनमें भारतीय खिलाड़ियों ने नायाब प्रदर्शन करते हुए 30.18 प्रतिशत यानि 15 स्वर्ण, 16 रजत, 20 कांस्य सहित कुल 51 पदक जीतकर इस बात के संकेत दिए थे कि खेलों में भारत का भविष्य उज्ज्वल है। समय बीता और खेल उनके हाथ आ गये जिनके बाप-दादा भी कभी नहीं खेले। हाल ही इंचियोन (दक्षिण कोरिया) में हुए सत्रहवें एशियाई खेलों में दांव पर लगे 1454 पदकों में भारतीय सूरमा खिलाड़ी 3.92 प्रतिशत के मान से 11 स्वर्ण, नौ रजत और 37 कांस्य सहित कुल 57 पदक ही जीत सके। 2010 में ग्वांगझू में हुए सोलहवें एशियाई खेलों में सर्वाधिक 1577 पदक दांव पर थे जिनमें भारत ने 4.12 प्रतिशत के लिहाज से 14 स्वर्ण, 17 रजत, 34 कांस्य सहित सर्वाधिक 65 पदक जीते थे। एशियाई खेलों में आज यही सर्वाधिक पदकों का भारतीय रिकॉर्ड है।
एशियाई खेलों में पदकों के इजाफे की जहां तक बात है 1994 के एशियाई खेलों में पहली बार पदकों की संख्या एक हजार से अधिक रही। इन खेलों में 1079 पदकों के लिए एशियाई देशों के बीच जमकर जद्दोजहद हुई लेकिन भारत के हाथ 2.13 प्रतिशत यानि 23 पदक ही लगे। इनमें चार स्वर्ण, तीन रजत और 16 कांस्य पदक शामिल रहे। भारत ने 1998 में 1225 पदकों में 35, 2002 में 1350 पदकों में 36 तथा 2006 में 1393 पदकों में सिर्फ 53 जीते। आंकड़ों और बांकुरों पर नजर डालें तो चीन जब से इन खेलों में उतरा है उसे कोई एशियाई देश चुनौती नहीं दे सका है। चीन पिछले नौ एशियाई खेलों से शिखर पर काबिज है। उसे चुनौती देने की कौन कहे उसके करीब भी कोई देश नहीं फटक रहा। भारत ने अब तक के एशियाई खेलों में जहां 139 स्वर्ण, 178 रजत, 285 कांस्य सहित 602 पदक जीते वहीं फौलादी चीनी खिलाड़ियों ने हर मर्तबा स्वर्णिम शतक लगाया है। इंचियोन में भारतीय खिलाड़ी जहां सिर्फ 11 स्वर्ण पदक जीत सके वहीं चीनी खिलाड़ियों ने 151 स्वर्ण पदकों से अपने गले सजाए। एशियाई खेलों में चीन अब तक 11 बार शिरकत करने के साथ 1342 स्वर्ण, 900 रजत, 653 कांस्य सहित 2895 पदक जीत चुका है।
20 खेलों में ही मिली स्वर्णिम सफलता
एशियाई खेलों में भारत ने एथलेटिक्स में 72 स्वर्ण, 77 रजत, 84 कांस्य सहित कुल 233 पदक जीते हैं जबकि पहलवानों ने नौ स्वर्ण, 14 रजत, 33 कांस्य सहित 56 पदक, मुक्केबाजों ने आठ स्वर्ण, 16 रजत, 31 कांस्य सहित 55 पदक तथा निशानेबाजों ने सात स्वर्ण, 17 रजत, 25 कांस्य सहित 49 पदकों पर कब्जा जमाया है।  इन खेलों की कबड्डी स्पर्धा में भारत ने नौ स्वर्ण तो टेनिस में छह स्वर्ण, पांच रजत, 13 कांस्य सहित 24 पदक जीते हैं। भारत ने 20 खेलों एथलेटिक्स, कुश्ती, मुक्केबाजी, कबड्डी, टेनिस, निशानेबाजी, क्यू स्पोर्ट्स, हॉकी, गोल्फ, तलवारबाजी, डाइविंग, शतरंज, फुटबाल, रोविंग, तैराकी, वाटर पोलो, सेलिंग, स्क्वैश, तीरंदाजी तथा बैडमिंटन में ही स्वर्णिम सफलता हासिल की है।
भारत सिर्फ कबड्डी में अजेय
एशियाई खेलों में एकमात्र कबड्डी ही ऐसा खेल है जिसमें भारत अब तक अजेय है। भारतीय पुरुष टीम ने इंचियोन में सातवीं बार तो महिला टीम ने दूसरी बार स्वर्णिम सफलता हासिल की।
पीटी ऊषा, जसपाल राणा, सानिया मिर्जा का जलवा
एशियाई खेलों में व्यक्तिगत प्रदर्शन की बात करें तो उड़नपरी पीटी ऊषा, निशानेबाज जसपाल राणा और टेनिस स्टार सानिया मिर्जा का ही जलवा रहा है। पीटी ऊषा ने जहां चार स्वर्ण, छह रजत सहित सर्वाधिक 10 पदक जीते वहीं शूटर जसपाल राणा ने चार स्वर्ण, दो रजत तथा दो कांस्य और सानिया मिर्जा ने दो स्वर्ण, तीन रजत तथा तीन कांस्य पदक सहित आठ-आठ पदक जीते हैं।


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