Tuesday, 27 February 2018

हरफनमौला ओशिन का कमाल

14 साल की इंटरनेशनल खिलाड़ी बेटी ने जीते 19 पदक
                                 श्रीप्रकाश शुक्ला
हिन्दी में एक प्रसिद्ध कहावत है- होनहार बिरवान के होत चीकने पात अर्थात होनहार बच्चे के लक्षण बचपन में ही दिखाई देने लगते हैं। प्रतिभा किसी उम्र की मोहताज नहीं होती। छोटे बच्चे भी ऐसी कारगुजारी को अंजाम देते हैं जिसे देख बड़े भी दांतों तले उंगली दबा लेते हैं। जरूरत है बच्चों की प्रतिभा निखारने के लिए उन्हें उचित दिशा-निर्देश देने की। अगर माता-पिता अपने बच्चे की प्रतिभा को पहचानें और उस दिशा में आगे बढ़ने में उसका साथ दें तो एक दिन वह सफलता के पायदान पर जरूर खड़ा होता है। सफलता इंसान को केवल मेहनत करने के बाद ही मिल सकती है और मेहनत करने की कोई सीमा नहीं होती। मध्य प्रदेश की ओशिन आलम का ऐसे ही बच्चों में शुमार है। 14 साल की उम्र में ही इस खिलाड़ी बेटी ने न केवल देश का प्रतिनिधित्व किया बल्कि दो अंतरराष्ट्रीय पदकों सहित अब तक कुल 19 पदक अपनी झोली में डाले हैं। मार्शल आर्ट खेलों की हरफनमौला ओशिन के इस हुनर को आज हर कोई सलाम करता है, करना भी चाहिए।
मूलरूप से मध्य प्रदेश के इंदौर शहरवासी सईद-मोनिका आलम के घर 21 जुलाई, 2003 को जन्मी ओशिन की रग-रग में खेल समाये हुए हैं। इस बेटी में मार्शल आर्ट खेलों को लेकर एक जुनून है। बेटी के इसी जुनून और जज्बे को देखते हुए सईद-मोनिका आलम ने ओशिन को खेलों के प्रति प्रोत्साहित किया। सईद-मोनिका आलम ने आर्थिक स्थित की परवाह किए बिना बेटी के हुनर को निखारने में अपना सर्वस्व झोंक दिया है। माता-पिता के समर्थन और समर्पण का ही नतीजा है कि 14 साल की छोटी सी उम्र में ही ओशिन आलम पदक दर पदक जीतते हुए अपने शहर और प्रदेश को गौरवान्वित कर रही है। ओशिन ने कम उम्र में ही अद्भुत कौशल-शैली से सिर्फ भारत ही नहीं अन्य देशों में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। बचपन से ही घर में मिली उचित परवरिश के चलते ओशिन आलम ने पढ़ाई के साथ-साथ मार्शल आर्ट्स खेलों में अपनी एक नई पहचान बनाई है।
इंदौर शहर की इस बेटी ने चार साल की उम्र से ही खेलना शुरू कर दिया था। ओशिन के पिता मास्टर सईद आलम मार्शल आर्ट खेलों के बेहतरीन प्रशिक्षक हैं। श्री आलम ने बचपन में ही ओशिन की प्रतिभा को पहचान लिया था। हमारे समाज में बेटियों को लेकर तरह-तरह के खयालात हैं लेकिन सईद आलम ने अपनी बेटी का उचित मार्गदर्शन कर एक नजीर स्थापित की है। ओशिन इंदौर पब्लिक स्कूल की कक्षा नौ की छात्रा है। ओशिन ने अब तक कराटे, ताइक्वांडो, नानबूडो, किकबॉक्सिंग, फेंसिंग, स्पोर्ट्स एरोबिक्स, सिलम्बम खेलों की 14 राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन करते हुए नौ स्वर्ण, दो रजत एवं आठ कांस्य सहित कुल 19 पदक अपने नाम किये हैं। इतना ही नहीं ओशिन आलम थाईलैंड में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय ताइक्वांडो स्पर्धा में स्वर्ण पदक तो देहरादून में आयोजित नानबूडो विश्व कप में रजत पदक जीतकर मादरेवतन का मान बढ़ा चुकी है।
हरफनमौला ओशिन में अनगिनत खूबियां हैं। यह बेटी खेलों के साथ-साथ अन्य गतिविधियों में भी शिद्दत से शिरकत करती है। राजधानी भोपाल में आयोजित स्टेट पेंटिंग प्रतियोगिता- अंडर नेशनल चैम्पियन ऑफ एनर्जी कंजर्वेशन में ओशिन 14 लाख से अधिक प्रतिभागियों के बीच ऊर्जा संरक्षण-भू संरक्षण विषय में बेहतरीन पेंटिंग से टॉप 50 प्रतिभागियों में स्थान सुनिश्चित कर अपनी प्रतिभा की बानगी पेश कर चुकी है। रेनबुकान कराटे और नानबूडो में ब्लैक बेल्ट शोदान प्राप्त ओशिन की सफलताओं का सिलसिला अभी खत्म नहीं हुआ है। इस बेटी की शानदार उपलब्धियों को देखते हुए जहां स्वैच्छिक संगठनों द्वारा उसे कई बार सम्मानित किया जा चुका है वहीं  ओशिन के टैलेंट को देखते हुए इंदौर पब्लिक स्कूल द्वारा बेस्ट प्लेयर अवार्ड,  ग्वालियर की उड़ान संस्था द्वारा ध्यानचंद अवार्ड तो नोएडा में प्लेयर मैगजीन द्वारा द प्लेयर एक्सीलेंस अवार्ड से नवाजा जा चुका है। इंदौर जिला खेल एवं युवक कल्याण विभाग भी इस बेटी की प्रतिभा का मुरीद है। विभाग द्वारा ओशिन को कैश प्राइज प्रदान किया जा चुका है। प्रतिभाशाली ओशिन को स्पोर्ट्स एरोबिक्स और डांस में भी रुचि है। ओशिन अपनी सफलता का पूरा श्रेय अपने पिता मास्टर सईद आलम को देते हुए कहती है कि हम सिर्फ मेहनत पर भरोसा करते हैं, इंसा अल्लाह मेरी मेहनत का सुफल जरूर देंगे।



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