Saturday, 24 February 2018

उम्मीदों के आसमां पर अवनि


मध्य प्रदेश की बेटी ने रचा इतिहास
बेटियां समाज का बोझ नहीं गौरव हैं। बस इन पर भरोसा करने की जरूरत है। जो अभिभावक अपनी बेटियों पर भरोसा करते हैं सच मानिए उन्हें कभी निराशा हाथ नहीं लगती। भारतीय बेटियां जिस तरह नित नए प्रतिमान गढ़ रही हैं उससे मुल्क के उन हिस्सों में भी बदलाव की बयार धीरे-धीरे ही सही बह रही है जहां बेटियों को कोख में ही मार दिया जाता रहा। दिल्ली से सटे हरियाणा और पंजाब में लिंगानुपात में थोड़ा सुधार इस बात का संकेत है कि इन राज्यों ने बेटियों के महत्व को स्वीकार्यता देने का मन बनाना शुरू कर दिया है। सरकारें बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के जरिए लड़कियों की संख्या बढ़ाने के उपाय पर जोर दे रही हैं लेकिन कुछ अभाग्यशाली अभिभावक अभी भी तरह-तरह के उपायों के जरिए बेटियों को इस धरा की खूबसूरती देखने से वंचित कर रहे हैं। निराशा और हताशा भरी खबरों के बीच अवनि चतुर्वेदी की कामयाबी ऐसे लोगों की आंखों से पट्टी हटाने का काम करेगी जो लड़कों और लड़कियों में भेदभाव करते हैं। अवनि ने 19 फरवरी, 2018 को जामनगर एयरबेस से मिग-21 उड़ाकर यह साबित कर दिया कि महिलाएं पुरुषों से किसी भी मायने में कम नहीं हैं। अवनि का अर्थ धरती होता है लेकिन वह आसमान में अपने कौशल से फाइटर प्लेन उड़ा रही हैं। धरती में जितना धैर्य होता है, कुछ वैसे ही अपने नाम को साकार कर मध्य प्रदेश की बेटी अवनि ने उन तमाम लड़कियों में हौसला भरा है जोकि मुश्किलों को देखते ही हार मान लेती हैं।
अवनि चतुर्वेदी का जन्म 27 अक्टूबर, 1993 को मध्य प्रदेश के रीवा में हुआ है। अवनि के पिता दिनकर चतुर्वेदी मध्य प्रदेश सरकार के वाटर रिसोर्स डिपार्टमेंट में एक एग्जीक्यूटिव इंजीनियर हैं और उनकी मां एक घरेलू महिला। अवनि के बड़े भाई भी एक आर्मी ऑफीसर हैं। अवनि की स्कूली शिक्षा मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के एक छोटे से कस्बे देउलंद में हुई। 2014 में उन्होंने राजस्थान की वनस्थली यूनिवर्सिटी से टेक्नोलॉजी में ग्रेजुएशन करने के बाद इस बेटी ने इंडियन एयरफोर्स की परीक्षा पास की। 2016 में जब अवनि वायुसेना में बतौर फाइटर प्लेन पायलट कमीशन बनीं, उस मौके पर उन्होंने कहा था कि हर किसी का सपना होता है कि वह उड़ान भरे। अगर आप आसमान की ओर देखते हैं तो पंछी की तरह उड़ने का मन करता ही है। अवनि कहती हैं, आवाज की स्पीड में उड़ना एक सपना होता है और अगर ये मौका मिलता है तो एक सपना पूरे होने जैसा है। अवनि के आदर्शों में कल्पना चावला हैं उन्हें हवाई जहाजों को पेंटिंग के रूप में दिखाना बेहद पसंद था। फुरसत के समय में अवनि पेंटिंग और विमानों को बनाया करती थीं। अवनि बचपन से ही कल्पना चावला की फैन रही हैं। उनके पिता बताते हैं कि जब भी कल्पना के बारे में कुछ भी समाचार पत्रों में छपता था तब अवनि कहती थीं कि पापा एक न एक दिन उन्हें भी कल्पना चावला जैसा मुकाम हासिल करना है।
अवनि 2019 में कर्नाटक के बीदर में स्टेज थ्री की ट्रेनिंग के लिए जाएंगी। एक बार इस ट्रेनिंग को सफलतापूर्वक पूरा कर लेने के बाद अवनि सुखोई और तेजस जैसे फाइटर जेट्स भी उड़ा सकेंगी। अवनि के साथ मोहना और भावना भी ट्रेनिंग के लिए जाएंगी। दुनिया में सिर्फ ब्रिटेन, अमेरिका, इजरायल और पाकिस्तान में ही महिलाएं फाइटर पायलट बन सकती हैं। भारत सरकार ने महिलाओं को 2015 में फाइटर पायलट के लिए अनुमति दी थी। महिला फाइटर पायलट बनने के लिए 2016 में पहली बार तीन महिलाओं अवनि चतुर्वेदी, मोहना सिंह और भावना को वायुसेना में कमीशन मिला था। देश में 1991 से ही महिलाएं हेलीकॉप्टर और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट उड़ा रही हैं लेकिन फाइटर प्लेन से उन्हें दूर रखा जाता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 जनवरी को अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में महिलाओं के मुद्दे पर चर्चा करते हुए अवनि की उपलब्धि का जिक्र किया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बताया कि तीन बहादुर महिलाएं भावना कंठ, मोहना सिंह और अवनि चतुर्वेदी फाइटर पायलेट बनी हैं और सुखोई विमान उड़ाने का प्रशिक्षण ले रही हैं।
अवनि कहती हैं कि लोग कहा करते थे कि लड़कियों के लिए आसमान नहीं बना, उन्हें घर संभालना चाहिए। सबने उन्हें सामाजिक बेड़ियों में कैद करना चाहा। लेकिन मेरे दिल ने किसी की नहीं सुनी। अपने सपनों का पीछा करते हुए मैं वहां तक पहुँच गई जहाँ पहुँचने का ख्वाब हर किसी के दिल में होता है। संघर्ष के जरिए सभी बाधाओं पर पार पाने वाली पहली महिला फ्लाइंग ऑफीसर अवनि चतुर्वेदी हर किसी के लिए आदर्श बन गई हैं। अकेले ही मिग-21 बाइसन लड़ाकू विमान उड़ाकर अवनि ने न सिर्फ खुद आसमान का सैर कर लिया बल्कि देश की लाखों लड़कियों की आंखों को भी उन्होंने एक सुनहरा सपना दिखा दिया है।
अवनि कहती हैं कि जब मैं आसमान में पंछियों को उड़ता देखती थी तो उड़ने को मन करता था। आज जब आवाज की ध्वनि की गति से उड़ी तो यह सपना सच होने जैसा था। देश की पहली फाइटर पायलट बनकर इतिहास रचने वाली अवनी चतुर्वेदी के ये शब्द बेशक भावातिरेक में निकले हों लेकिन इस बेटी ने एक नए अध्याय का सृजन किया है। मध्यप्रदेश में रीवा जिले के एक छोटे से गांव से निकली अवनि की यह सफलता उन करोड़ों भारतीय लड़कियों के सपनों को पंख लगने जैसा है जो ऐसा सोचती हैं। दरअसल, वर्ष 2015 में सरकार ने वायुसेना के फाइटर पायलटों में महिलाओं को शामिल करने का मन बनाया था। वैसे तो इंडियन एयरफोर्स में लगभग 100 महिला पायलट हैं मगर ये फाइटर जेट्स नहीं बल्कि हेलीकॉप्टर और दूसरे विमान ही उड़ाती हैं। अवनि खुशकिस्मत रहीं कि इन्हें सबसे पहले युद्धक विमान उड़ाने का मौका मिला।
छोटी उम्र से ही अवनि सेना से जुड़े विषयों के बारे में खासी रुचि रखती थीं। इस क्षेत्र से जुड़ी हर चीज के बारे में गहराई से जानने का प्रयास करती थीं। साहसी-हिम्मती इस बेटी के सपनों की उड़ान की शुरुआत सबसे पहले तब हुई जब उसने एक फ्लाइंग क्लब का विमान उड़ाया। जिसने उसके संकल्प को दृढ़ किया कि मैं देश के लिये युद्धक विमान उड़ाऊंगी। इस लक्ष्य के लिये उसे परिवार का पूरा सहयोग मिला। जब व्यक्ति अपने सपनों को हकीकत बनाने का संकल्प लेकर जीजान से जुट जाता है तो सपनों को हकीकत बनते देर नहीं लगती। अवनि इस हकीकत की मिसाल हैं। निश्चय ही अवनि की उड़ान वायुसेना या यूं कहे सेना के लिये विशेष उपलब्धि है। महिलाओं के लिए इस मायने में कि देशसेवा का कोई क्षेत्र अब महिलाओं की पहुंच से दूर नहीं रहा।
22 वर्षीय अवनि ने एयरफोर्स ज्वाइन करने के बाद हैदराबाद स्थित वायुसेना अकादमी से अपनी ट्रेनिंग पूरी की। इस दौरान उसे कठिन प्रशिक्षण से गुजरना पड़ा। जुलाई, 2017 में अवनि को फ्लाइंग ऑफीसर के तौर पर कमीशन दिया गया। दरअसल, हॉक एडवांस जेट ट्रेनर पर उड़ान भरने से लेकर मिग-21 उड़ाने तक का उनका प्रशिक्षण कड़े दौर से गुजरा। इस दौरान पिछली अक्टूबर में वह स्टेज-दो का प्रशिक्षण ले रही थीं। इस गहन प्रशिक्षण के बाद ही अवनि फाइटर पायलट के तौर पर कमीशन पाने की हकदार बनीं। जब अवनि को फाइटर जेट उड़ाने का मौका मिला तो उसे नये सिरे से सघन प्रशिक्षण से गुजरना पड़ा। 19 फरवरी, 2018 को अवनि ने जब गुजरात के जामनगर एयरबेस से ऐतिहासिक उड़ान भरी और सफलतापूर्वक मिशन को पूरा किया तब अनुभवी पायलटों और प्रशिक्षकों की पूरी टीम उनका मार्गदर्शन कर रही थी। प्रशिक्षकों ने उनके मिग-21 फाइटर की सघन जांच की। उड़ान के दौरान अनुभवी फ्लायर्स और प्रशिक्षक जामनगर एयर बेस के एयर ट्रैफिक कंट्रोल व रनवे पर गहन निगरानी कर रहे थे।

अवनि ने इतिहास तो रच दिया है लेकिन इन्हें दक्ष फाइटर पायलट बनने के लिये अभी खूब निखरना होगा। कड़े प्रशिक्षण व अभ्यास से गुजरना होगा। अभी इस बेटी ने फाइटर पायलट बनने का पहला चरण पूरा किया है, इसे ऑपरेशनल फील्ड के लिये काफी तैयारी करनी होगी। इसमें कोई शक नहीं कि फाइटर जेट उड़ाना एक जीरो एरर प्रोफेशन है। जरा-सी चूक बेहद घातक हो सकती है। पूरी तरह पारंगत होने के लिये अवनि को अभी दो साल के प्रशिक्षण से गुजरना होगा। दरअसल, अकेले मिग-21 उड़ाकर अवनि ने महज अपनी उड़ान की प्रतिभा को दर्शाया है। इस उड़ान से उन्होंने साबित कर दिया कि भारतीय बेटियां हर उस क्षेत्र में दखल दे सकती हैं जिन्हें अब तक पुरुषों के वर्चस्व का क्षेत्र माना जाता रहा है। अवनि ने लड़कियों को अपनी क्षमताओं को समझने और उन्हें सही दिशा में प्रयासरत होने के लिये एक मिसाल जरूर दी है। सही मायने मध्य प्रदेश की बेटी अवनि ने नई पीढ़ी की लड़कियों के सपनों को पंख देने जैसा काम किया है। शाबास अवनि शाबास।

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