Wednesday 22 June 2016

चीते की रफ्तार को मात देता इंसान


उसेन बोल्ट है धरती का सबसे तेज धावक
अगर कोई आपसे यह पूछे कि चीता और इंसान एक साथ 100 मीटर की रेस लगाए तो विजेता कौन होगा?  तो आपका जवाब शायद चीता होगा, लेकिन जिस तरह इंसान अपनी रफ्तार में इजाफा कर रहा है उससे वह भविष्य में चीते की रफ्तार को भी पीछे छोड़ सकता है।
शायद ही कभी किसी ने सोचा होगा कि 100 मीटर की रेस कोई इंसान 10 सेकेंड से कम में पूरा कर लेगा, लेकिन आज यह मुमकिन है। दुनिया के सबसे तेज धावक जमैका के उसेन बोल्ट ने 100 मीटर की रेस 9.58 सेकेंड में पूरी कर एक नया विश्व रिकॉर्ड बना दिया। बोल्ट की इस रफ्तार ने इंसान की सोच को एक नई उड़ान दी और अब हम दुनिया के सबसे तेज दौड़ने वाले जानवर चीता को हराने की सोच रखने लगे हैं। चीता सबसे तेज दौड़ने वाला जानवर है। उसकी रफ्तार इतनी तेज है कि वह अपने शिकार को चंद मिनट में दौड़ कर पकड़ सकता है। चीता 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक पहुंच सकता है, लेकिन आपको बता दें कि भविष्य में यह मुमकिन है कि छोटी दूरी में इंसान चीते को हरा दे।  शायद ये बातें आपको सुनने में अजीब लग रही हों, लेकिन यह सम्भव हो सकता है।
इंसान अपनी रफ्तार में दिन-ब-दिन सुधार करता जा रहा है और अब इंसान और चीते की रफ्तार में फासला काफी कम रह गया है। अगर 100 मीटर की रेस में चीता और बोल्ट साथ दौड़ें तो बोल्ट पिछड़ जाएंगे, लेकिन अगर बोल्ट की दौड़ शुरू करने के 3.75 सेकंड बाद चीता दौड़ना शुरू करे तो बोल्ट उसे हरा देंगे। 100 मीटर की रेस बोल्ट 9.58 सेकेंड में जबकि चीता 5.95 सेकेंड में पूरी करेगा। अतीत पर नजर डालें तो इंसान जब से धरती में आया तभी से लगातार रहन-सहन में बदलाव हो रहा है। चीते की रफ्तार पहले भी वही थी जो आज है, लेकिन इंसान ने अपनी रफ्तार में काफी सुधार किया है। 120 किलोमीटर प्रति घंटे से दौड़ने वाले चीते में आंतरिक बल की कमी होती है। कुछ मीटर दौड़ने के बाद हिरन के करीब नहीं पहुंच पाता है तो वह उसे छोड़ देता है। चीतों की रफ्तार पर वैज्ञानिकों ने ढेर सारे शोध किए हैं। जापान के शोधकर्ताओं ने चीते की मांसपेशियों के तंतु यानी फाइबर की मैपिंग कर ली है जिससे उसकी रिकॉर्ड रफ्तार का राज पता चल गया है।
घरेलू बिल्ली और कुत्ते से चीते की मांसपेशियों की तुलना करने पर वैज्ञानिकों को पता चला कि चीते को रफ्तार देने वाली विशेष शक्ति पिछले हिस्से की मांसपेशियों से मिलती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि चीते में रफ्तार इनके पैरों से ही आती है। ये ठीक ऐसे ही है जैसे रीयर व्हील ड्राइव कार में काम करती है।
दुनिया के तमाम एथलीटों ने आज विज्ञान की मदद से अपनी रफ्तार में काफी सुधार किए है। आलम ये है कि उसेन बोल्ट का विश्व रिकॉर्ड कब टूट जाए और नया रिकॉर्ड बन जाए यह कोई नहीं कह सकता।  इंसान अपनी आंतरिक शक्ति का सही इस्तेमाल कर रहा है जबकि चीते की दौड़ने की ताकत पहले जैसे ही है। 100 मीटर की रेस में लगातार रिकार्डों के टूटने का क्रम जारी है।  1891 में अमेरिका के लुथर केरी ने 10.8 सेकेंड में 100 मीटर की रेस पूरी की थी। 1906 में स्वीडन के कुंट ने 10.6 सेकेंड में 100 मीटर की रेस पूरी कर नया रिकॉर्ड बनाया। 1911 से 1912 तक जर्मन धावकों ने 100 मीटर की रेस 10.5 रिकॉर्ड सेकेंड में पूरी की। 1976 में जमैका के डॉन ने 9.9 सेकेंड में रेस पूरी की।  फिर बोल्ट ने 2009 में इस रिकॉर्ड को 9.58 सेकेंड में हासिल कर इतिहास रच दिया। यानी चीते को 100 मीटर की रेस में हराना आज की तारीख में मुमकिन नहीं है लेकिन जिस तरह से इंसान नए-नए रिकॉर्ड बनाता जा रहा है उससे ये उम्मीद हम जरूर कर सकते हैं कि भविष्य में 100 मीटर की रेस का विजेता चीता नहीं बल्कि इंसान होगा।

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