इस बार क्रिकेट वर्ल्ड कप 2015 में रनों की बारिश होती रही। कई बल्लेबाजों ने ना सिर्फ मैदान पर चौके और छक्के उड़ाए बल्कि ताबड़तोड़ कई रिकार्ड भी बना डाले। बल्ले से रनों की रिमझिम बारिश होती रही और बेचारे गेंदबाज विकेट के लिए संघर्ष करते नजर आए।
मिसाल के तौर पर इस बार के क्रिकेट वर्ल्ड कप में तीन बल्लेबाजों के रनों को अगर आप देखे तो ऐसा लगता है कि क्रिकेट की दुनिया में अब सिर्फ बल्लेबाजों की हीं चांदी होती दिख रही है। इसका दूसरा पहलू यह भी है कि बल्लेबाज गेंदबाजों पर हावी होता नजर आता है। न्यूजीलैंड के मार्टिन गुप्टिल ने 9 मैचों में 547 रन बनाए जो इस टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन रहा। दूसरी तरफ श्रीलंका के कुमार संगकारा ने 7 मैचों में 541 रन बनाए तो दक्षिण अफ्रीका के विस्फोट बल्लेबाज एबी डिविलियर्स ने 8 मैचों में 482 रन बनाकर टूर्मामेंट में तीसरे स्थान पर रहे।
दरअसल बल्लेबाजों का यह शानदार प्रदर्शन सिर्फ उनके बल्ले या फॉर्म की वजह से ही नहीं हुआ है बल्कि आईसीसी के उस नए नियम की बदौलत भी मुमकिन हो पाया है जिसके तहत 30 गज के दायरे के बाहर 4 खिलाड़ी से ज्यादा गेंदबाजी कर रही टीम खड़ा नहीं कर सकती। सेमीफाइनल में टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने ऑस्ट्रेलिया से हाथों हुई हार के बाद इस नियम की जमकर आलोचना की थी। पहले जो नियम था उसके मुताबिक सर्किल के अंदर पांच खिलाड़ी हुआ करते थे। लेकिन जब से यह नियम (सिर्फ चार खिलाड़ियों को बतौर फिल्डर खड़ा करने का) लागू हुआ है तबसे बल्लेबाजों का पक्ष गेंदबाजों के मुकाबले मजबूत और हावी होता चला जा रहा है। हमेशा छक्के और चौके पड़ने से ही रोमांच नहीं बढ़ता। गेंद और बल्ले के बीच अच्छा मुकाबला तभी देखने को मिलता है जब मैच करीब का होता है । यह तभी मुमकिन है जब गेंद और बल्ले का मुकाबला बराबरी का हो। इसी नियम की वजह से अब मैच एकतरफा हो गए हैं।
धोनी ने इस नियम में बदलाव की वकालत की थी। धोनी के मुताबिक क्रिकेट के इतिहास में वनडे मैचों में दोहरा शतक नहीं देखा और अब 3 साल में 3 दोहरे शतक (असल में 6) बन गए हैं। धोनी का मानना है कि इस नियम की वजह से ज्यादा रन बनते है और गेंदबाजों के करने लायक ज्यादा कुछ नहीं बच जाता। क्योंकि सर्किल के अंदर सिर्फ 4 खिलाड़ी ही रहते है लिहाजा बल्लेबाज को रन बनाने और लॉफ्टर शॉट लगाने में पहले के मुकाबले अब आसानी होती है। फिर स्कोर बोर्ड पर रनों का अंबार खड़ा हो जाता है।
वनडे क्रिकेट में चार फील्डरों के नियम पर महेंद्र सिंह धोनी के सुर में सुर मिलाते हुए आस्ट्रेलियाई कप्तान माइकल क्लार्क ने भी 30 गज के भीतर पांच फील्डर रखने के पक्ष में है जिससे गेंदबाजों को भी अधिक मौके मिल सके। दरअसल गेंदबाज को अधिक मौके मिलते हैं और मुकाबला बराबरी का होता है जिससे क्रिकेट के असल रोमांच के दीदार होते है। लेकिन चार फिल्डरों की वजह से गेंदबाज पर बल्लेबाज पूरी तरह हावी हो जाता है। क्लार्क की तरह भारतीय क्रिकेट टीम के दिग्गज बल्लेबाज राहुल द्रविड़ भी इस नियम के खिलाफ है और बदलाव की वकालत कर रहे है।
दरअसल धोनी सहित क्रिकेट के कई जानकारों को इस बात का डर सता रहा है कि इस नियम की वजह से क्रिकेट सिर्फ चौकों और छक्कों का खेल ना बनकर रह जाए। क्योंकि इससे यह ‘उबाऊ’ हो जाएगा। क्रिकेट एक रोमांचकारी खेल है जिसमें ओवर के अंतिम गेंद तक कभी-कभार रोमांच देखने को मिलता है। क्रिकेट वर्ल्ड कप 2015 के तहत न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका के बीच यह रोमांच देखने को मिला। जहां हर गेंद पर बल्ले से बनता रन रोमांच में हर पल इजाफा करता चला जा रहा था, तो दूसरी तरफ गिर रहे विकेट भी रोमांचक मैच की पटकथा लिख रहे थे। दरअसल क्रिकेट के मैदान में बल्लेबाज सिर्फ रन बनाता जाए तो यह उबाऊ सा बन जाता है जिसमें मजा नहीं आता है। कुछ अंतराल पर विकेटों का गिरना खेल में रोमांच पैदा करता है। इस खेल का तानाबाना ही ऐसा है कि रन बनना और विकेट गिरना दोनों दर्शकों को रोमांचित करते है। रन बनने के दौरान जहां दर्शकों को चौके और छक्के लुभाते है तो वही विकेट गिरने के वक्त 'रन आउट, पगबाधा (lbw), कैच आउट और बोल्ड' रोमांच के साथ दिल की धड़कनें भी बढ़ा देते है।
वनडे (50-50 ओवर) के फॉर्मेट से उबने और उसके विकल्प के बाद ही टी-20 का जन्म हुआ। और अब टी-20 के बाद क्रिकेट की दुनिया में फिलहाल नए फॉर्मेट की गुंजाईश कतई नहीं दिखती। क्रिकेट के इतिहास में टेस्ट मैच का खेल सबसे पुराना है। लेकिन पांच दिनों तक खेले जाने वाले इस फॉर्मेट के बाद 50-50 ओवरों वाला वनडे मैच का जन्म हुआ। क्रिकेट के जानकार वनडे को परफेक्ट रोमांच का माध्यम मानते है जिसमें लगभग 9 घंटे के बाद मैच के परिणाम का पता चल जाता है। और एक दिन में यह पता चला जाता है कि जीत का स्वाद किसने चखा और हार किसे मयस्सर हुई।
रही बात रन बनने के रोमांच की तो बोलिंग और बैटिंग पावरप्ले के तहत 15 ओवर काफी ज्यादा होते है। जब भी कोई टीम खेल रही होती है तो शुरुआती 10 ओवर और 35 से 40 ओवर के पांच ओवरों का इंतजार सभी करते है क्योंकि यह पावरप्ले के ओवर होते हैं जिसमें बल्लेबाज रनों की बारिश करता है और विकेट भी गिरते है। इसलिए धोनी की इस दूरदर्शी सोच पर आईसीसी को नए सिरे से विचार करना चाहिए जिसमें उन्होंने क्रिकेट के रोमांच के खत्म हो जाने और उबाऊ होने की आशंका जताई है। हमें यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि क्रिकेट गेंद और बल्ले के उस मिक्सड रोमांच का नाम है जहां बल्लेबाज रन बनाता है तो गेंदबाज गेंद के बल पर विकेटों को चटखाता है।
SANJEEV KUMAR DUBEY
मिसाल के तौर पर इस बार के क्रिकेट वर्ल्ड कप में तीन बल्लेबाजों के रनों को अगर आप देखे तो ऐसा लगता है कि क्रिकेट की दुनिया में अब सिर्फ बल्लेबाजों की हीं चांदी होती दिख रही है। इसका दूसरा पहलू यह भी है कि बल्लेबाज गेंदबाजों पर हावी होता नजर आता है। न्यूजीलैंड के मार्टिन गुप्टिल ने 9 मैचों में 547 रन बनाए जो इस टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन रहा। दूसरी तरफ श्रीलंका के कुमार संगकारा ने 7 मैचों में 541 रन बनाए तो दक्षिण अफ्रीका के विस्फोट बल्लेबाज एबी डिविलियर्स ने 8 मैचों में 482 रन बनाकर टूर्मामेंट में तीसरे स्थान पर रहे।
दरअसल बल्लेबाजों का यह शानदार प्रदर्शन सिर्फ उनके बल्ले या फॉर्म की वजह से ही नहीं हुआ है बल्कि आईसीसी के उस नए नियम की बदौलत भी मुमकिन हो पाया है जिसके तहत 30 गज के दायरे के बाहर 4 खिलाड़ी से ज्यादा गेंदबाजी कर रही टीम खड़ा नहीं कर सकती। सेमीफाइनल में टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने ऑस्ट्रेलिया से हाथों हुई हार के बाद इस नियम की जमकर आलोचना की थी। पहले जो नियम था उसके मुताबिक सर्किल के अंदर पांच खिलाड़ी हुआ करते थे। लेकिन जब से यह नियम (सिर्फ चार खिलाड़ियों को बतौर फिल्डर खड़ा करने का) लागू हुआ है तबसे बल्लेबाजों का पक्ष गेंदबाजों के मुकाबले मजबूत और हावी होता चला जा रहा है। हमेशा छक्के और चौके पड़ने से ही रोमांच नहीं बढ़ता। गेंद और बल्ले के बीच अच्छा मुकाबला तभी देखने को मिलता है जब मैच करीब का होता है । यह तभी मुमकिन है जब गेंद और बल्ले का मुकाबला बराबरी का हो। इसी नियम की वजह से अब मैच एकतरफा हो गए हैं।
धोनी ने इस नियम में बदलाव की वकालत की थी। धोनी के मुताबिक क्रिकेट के इतिहास में वनडे मैचों में दोहरा शतक नहीं देखा और अब 3 साल में 3 दोहरे शतक (असल में 6) बन गए हैं। धोनी का मानना है कि इस नियम की वजह से ज्यादा रन बनते है और गेंदबाजों के करने लायक ज्यादा कुछ नहीं बच जाता। क्योंकि सर्किल के अंदर सिर्फ 4 खिलाड़ी ही रहते है लिहाजा बल्लेबाज को रन बनाने और लॉफ्टर शॉट लगाने में पहले के मुकाबले अब आसानी होती है। फिर स्कोर बोर्ड पर रनों का अंबार खड़ा हो जाता है।
वनडे क्रिकेट में चार फील्डरों के नियम पर महेंद्र सिंह धोनी के सुर में सुर मिलाते हुए आस्ट्रेलियाई कप्तान माइकल क्लार्क ने भी 30 गज के भीतर पांच फील्डर रखने के पक्ष में है जिससे गेंदबाजों को भी अधिक मौके मिल सके। दरअसल गेंदबाज को अधिक मौके मिलते हैं और मुकाबला बराबरी का होता है जिससे क्रिकेट के असल रोमांच के दीदार होते है। लेकिन चार फिल्डरों की वजह से गेंदबाज पर बल्लेबाज पूरी तरह हावी हो जाता है। क्लार्क की तरह भारतीय क्रिकेट टीम के दिग्गज बल्लेबाज राहुल द्रविड़ भी इस नियम के खिलाफ है और बदलाव की वकालत कर रहे है।
दरअसल धोनी सहित क्रिकेट के कई जानकारों को इस बात का डर सता रहा है कि इस नियम की वजह से क्रिकेट सिर्फ चौकों और छक्कों का खेल ना बनकर रह जाए। क्योंकि इससे यह ‘उबाऊ’ हो जाएगा। क्रिकेट एक रोमांचकारी खेल है जिसमें ओवर के अंतिम गेंद तक कभी-कभार रोमांच देखने को मिलता है। क्रिकेट वर्ल्ड कप 2015 के तहत न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका के बीच यह रोमांच देखने को मिला। जहां हर गेंद पर बल्ले से बनता रन रोमांच में हर पल इजाफा करता चला जा रहा था, तो दूसरी तरफ गिर रहे विकेट भी रोमांचक मैच की पटकथा लिख रहे थे। दरअसल क्रिकेट के मैदान में बल्लेबाज सिर्फ रन बनाता जाए तो यह उबाऊ सा बन जाता है जिसमें मजा नहीं आता है। कुछ अंतराल पर विकेटों का गिरना खेल में रोमांच पैदा करता है। इस खेल का तानाबाना ही ऐसा है कि रन बनना और विकेट गिरना दोनों दर्शकों को रोमांचित करते है। रन बनने के दौरान जहां दर्शकों को चौके और छक्के लुभाते है तो वही विकेट गिरने के वक्त 'रन आउट, पगबाधा (lbw), कैच आउट और बोल्ड' रोमांच के साथ दिल की धड़कनें भी बढ़ा देते है।
वनडे (50-50 ओवर) के फॉर्मेट से उबने और उसके विकल्प के बाद ही टी-20 का जन्म हुआ। और अब टी-20 के बाद क्रिकेट की दुनिया में फिलहाल नए फॉर्मेट की गुंजाईश कतई नहीं दिखती। क्रिकेट के इतिहास में टेस्ट मैच का खेल सबसे पुराना है। लेकिन पांच दिनों तक खेले जाने वाले इस फॉर्मेट के बाद 50-50 ओवरों वाला वनडे मैच का जन्म हुआ। क्रिकेट के जानकार वनडे को परफेक्ट रोमांच का माध्यम मानते है जिसमें लगभग 9 घंटे के बाद मैच के परिणाम का पता चल जाता है। और एक दिन में यह पता चला जाता है कि जीत का स्वाद किसने चखा और हार किसे मयस्सर हुई।
रही बात रन बनने के रोमांच की तो बोलिंग और बैटिंग पावरप्ले के तहत 15 ओवर काफी ज्यादा होते है। जब भी कोई टीम खेल रही होती है तो शुरुआती 10 ओवर और 35 से 40 ओवर के पांच ओवरों का इंतजार सभी करते है क्योंकि यह पावरप्ले के ओवर होते हैं जिसमें बल्लेबाज रनों की बारिश करता है और विकेट भी गिरते है। इसलिए धोनी की इस दूरदर्शी सोच पर आईसीसी को नए सिरे से विचार करना चाहिए जिसमें उन्होंने क्रिकेट के रोमांच के खत्म हो जाने और उबाऊ होने की आशंका जताई है। हमें यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि क्रिकेट गेंद और बल्ले के उस मिक्सड रोमांच का नाम है जहां बल्लेबाज रन बनाता है तो गेंदबाज गेंद के बल पर विकेटों को चटखाता है।
SANJEEV KUMAR DUBEY
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