Wednesday, 1 April 2015

खिलाड़ी ही नहीं डोपिंग में कोच को भी निलम्बित करना जरूरी: मिल्खा


मैं अपनी जिंदगी में केवल तीन बार रोया
नई दिल्ली। अपने जमाने के दिग्गज एथलीट मिल्खा सिंह ने खेलों में डोपिंग को कैंसर करार देते हुए कहा कि केवल प्रतिबंधित दवाईयां लेने वाले खिलाड़ी ही नहीं बल्कि उसके कोच और संबंधित डॉक्टर को भी निलम्बित किया जाना चाहिए।
उड़न सिख ने मिल्खा श्योरफिट फिटनेस कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कहा, डोपिंग खेलों में कैंसर की तरह है। सरकार और खेल संघों को इस पर सख्त रवैया अपनाना चाहिए। इसके लिए खिलाड़ी ही नहीं कोच और डॉक्टरों को भी निलम्बित किया जाना चाहिए क्योंकि यह सब इनकी देखरेख में होता है।
भारत के कई खिलाड़ी विशेषकर भारोत्तोलक पिछले कुछ वर्षों में डोपिंग में पकडेÞ जाते रहे हैं। केरल में हाल में हुए राष्ट्रीय खेलों के दौरान भी कुछ खिलाड़ी प्रतिबंधित दवाईयों के सेवन के दोषी पाये गये थे। मिल्खा ने इसके साथ ही कहा कि यदि देश आजादी के छह दशक से भी अधिक समय बाद दूसरा मिल्खा तैयार नहीं कर पाया है तो उसके लिये काफी हद तक भारतीय एथलेटिक्स संघ भी दोषी है जोकि अपने काम के प्रति संजीदा नहीं है।
उन्होंने कहा, हमारी जनसंख्या 120 करोड़ से अधिक है लेकिन हम पिछले 60 साल में दूसरा मिल्खा पैदा नहीं कर पाये। इससे मुझे दुख होता है। इसकी वजह यह है कि हमारे खिलाड़ी, हमारे कोच और हमारी एसोसिएशन संजीदा नहीं हैं। रोम ओलम्पिक 1964 में मामूली अंतर से पदक से चूकने वाले 86 वर्षीय मिल्खा ने कहा, मैं चाहता हूं कि मैं जो नहीं कर पाया वह कोई और करे। मैं भारत को ओलम्पिक में एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक जीतते हुए देखने के लिये जीवित रहना चाहता हूं।
मिल्खा ने हालांकि उम्मीद जतायी कि चीन के वुहान में जून में होने वाली 21वीं एशियाई एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में भारतीय खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा, एशियाई स्तर पर हम हमेशा अच्छा प्रदर्शन करते रहे हैं। यहां हमें ज्यादा चुनौती नहीं मिलती। मुझे उम्मीद है कि यहां एशियाई चैम्पियनशिप में हम कुछ पदक जीतने में सफल रहेंगे।
मिल्खा ने हाल में इंडिया ओपन का खिताब जीतने वाली विश्व की नम्बर एक खिलाड़ी बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल की तारीफ करते हुए कहा कि अन्य खिलाड़ियों को उससे प्रेरणा लेनी चाहिए।
उन्होंने कहा, बैडमिंटन में साइना नेहवाल बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही है। हमने मुक्केबाजी, कुश्ती, निशानेबाजी में भी अच्छा प्रदर्शन किया है लेकिन हमारे पास आज भी एथलेटिक्स में कोई ऐसा खिलाड़ी नहीं है जो ओलम्पिक में पदक जीत सके जबकि एथलेटिक्स सभी खेलों की जननी है। इस महान एथलीट ने मिल्खा श्योरफिट कार्यक्रम के बारे में बताया, यह देश के बच्चों को स्वस्थ और पूरी तरह फिट से बनाने से जुड़ा है। तभी हम प्रतिभाशाली खिलाड़ी तैयार कर सकते हैं।
मिल्खा इस अवसर पर अपने पुराने दिनों को याद करते हुए भावुक भी हो गये। उन्होंने कहा,अपनी जिंदगी में मैं केवल तीन बार रोया। पहले 1947 में बंटवारे के समय जब मैंने अपने सामने अपने माता-पिता और भाई-बहनों का कत्ल होते हुए देखा। दूसरा जब मैं रोम ओलम्पिक में पदक से चूका और तीसरा जब मैंने खुद पर बनी फिल्म भाग मिल्खा भाग देखी। इस फिल्म ने मेरी उम्र दस साल बढ़ा दी।

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