Wednesday 1 April 2015

आंवलखेड़ा में बन रहा अनूठा सूर्य मंदिर

दिन में सूर्य की किरणों से प्रकाशित होगा मंदिर
इस साल के अंत तक तैयार हो जाएगा मंदिर
आगरा। सामाजिक परिवर्तन की चाह, आत्म परिष्कार की उमंग और अध्यात्म के वैज्ञानिक स्वरूप को जन-जन तक पहुंचाने के लिए अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य की जन्मस्थली आंवलखेड़ा में एक अनूठे सूर्य मंदिर का निर्माण किया जा रहा है।  इस मंदिर की खासियत यह है कि दिन के समय सूर्य की किरणें ही मंदिर के भीतर स्थापित भगवान भास्कर की मूर्ति और भवन को प्रकाशित करेंगी।
आगरा जिला मुख्यालय से कोई 35 किलोमीटर दूर आंवलखेड़ा में सूर्य मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। दो तलों में बन रहे इस मंदिर की खासियत इसमें लगाया जाने वाला लेंस होगा जिससे सूर्य की किरणें मंदिर के भीतर पहुंचेंगी। सूर्योदय से सूर्यास्त तक मंदिर सूर्य की रोशनी से ही प्रकाशित होगा।  इस अनूठे सूर्य मंदिर और ब्रह्मकमल का निर्माण कार्य अंतिम दौर में है। उम्मीद है कि यह मंदिर इसी साल बनकर तैयार हो जाएगा। अब आंवलखेड़ा आध्यात्मिक ऊर्जा ही नहीं, पर्यटन के लिहाज से भी लोगों के आकर्षण का केन्द्र होगा। अब देश-विदेश से आने वाले लोग न सिर्फ ताजमहल का दीदार करेंगे बल्कि सूर्य मंदिर देखने आंवलाखेड़ा भी जरूर जाएंगे। भारत में उत्कल के कोणार्क के बाद अब पर्यटक आंवलखेड़ा में भगवान भास्कर के अद्भुत मंदिर तथा ब्रह्मकमल के दर्शन भी कर सकेंगे। आंवलखेड़ा में सूर्य से अध्यात्म और तकनीक की किरणें फूटेंगी तो साधकों को ध्यान का अवसर भी मिलेगा।
जलेसर रोड के किनारे स्थित आंवलखेड़ा को दिन-रात की अथक मेहनत के बाद आध्यात्मिक पर्यटन स्थल के रूप में तैयार किया जा रहा है। गायत्री परिवार के मुख्यालय हरिद्वार स्थित शांतिकुंज द्वारा तीर्थों की परम्परा में एक नया प्रयोग करते हुए आध्यात्मिक दृष्टि से अमूल्य धरोहर के रूप में इस सूर्य मंदिर को विकसित किया जा रहा है तो यहां के पुराने परिसर को ज्यों का त्यों संवारा जा रहा है।
कक्ष के केन्द्र में धवल संगमरमर से बनी मूर्ति में भगवान भास्कर देव सारथी के साथ रथ पर सवार हैं। उनके रथ में सात घोड़े ऐसी मुद्रा में लगाए गए हैं मानो अभी दौड़ने लगेंगे। इसके पीछे उदीयमान सूर्य का दृश्य उकेरा गया है। मंदिर में गायत्री मंत्र और प्रज्ञा गीत निरंतर चलते रहेंगे। सूर्य मंदिर के नीचे के तल में स्वास्तिक भवन बनाया गया है। इसमें पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य के जीवनवृत्त, व्यक्तित्व और कृतित्व को प्रदर्शित करने वाली प्रदर्शनी लगाई जाएगी। यहां उनके द्वारा लिखी गई 3200 पुस्तकें, चारों वेद, 108 उपनिषद, छह दर्शन, 20 स्मृति, 18 पुराण, गीता एवं रामायण सारांश, गायत्री महाविज्ञान तथा दैनिक जीवन से जुड़ी वस्तुएं देखने को मिलेंगी।
मंदिर के शिखर पर लगेगा लेंस
मंदिर के शिखर पर एक लेंस लगाया जाएगा।  इस लेंस पर पड़ने वाली सूर्य की किरणों से मंदिर में स्थापित भगवान भास्कर की मूर्ति और भवन प्रकाशित होगा। ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि सूर्योदय से सूर्यास्त तक मंदिर में सूर्य की रोशनी से ही प्रकाश रहे ताकि कृत्रिम प्रकाश की आवश्यकता न पड़े।
2011 में शुरू हुआ था निर्माण कार्य
अभियंता शरद पारधी ने बताया, मंदिर का निर्माण अगस्त 2011 से शुरू हुआ है। परिसर का नक्शा नागपुर के आर्किटेक्ट अशोक मोखा द्वारा तैयार किया गया है। निर्माण कार्य दिल्ली की कंस्ट्रक्शन कम्पनी कर रही है। दिल्ली और नागपुर से आए कुशल कारीगरों की कही सच मानें तो मंदिर का निर्माण छह माह में ही पूरा हो जाएगा।
चेन्नई में तैयार हुई है भगवान भास्कर की मूर्ति
मंदिर में स्थापित की गई सूर्यदेव की मूर्ति चेन्नई से तैयार होकर आई है। मंदिर के शिखर पर लगने वाले लेंस के लिए वृत्ताकार जगह छोड़ दी गई है। जानकारों का मानना है कि लेंस लगने के बाद मंदिर भव्य और अनूठेपन की मिसाल कायम करेगा। अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या के अनुसार, गुरु चरणों में समर्पित योजना को पूरा होने के बाद लोग आश्चर्यचकित हुए बिना नहीं रहेंगे। गायत्री शक्तिपीठ,आंवलखेड़ा के व्यवस्थापक घनश्याम देवांगन के अनुसार यहां सूर्य से अध्यात्म और तकनीक की किरणें फूटेंगी।

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