Saturday 13 September 2014

एशियाड: मुश्किल होगी महिला पहलवानों की राह

जापान, दक्षिण कोरिया, चीन और मंगोलिया से पार पाना बड़ी चुनौती
चार वजन वर्गों में महिला पहलवान दिखाएंगी दमखम
आगरा। दक्षिण कोरिया के इंचियोन में होने जा रहे सत्रहवें  एशियाई खेलों में भारतीय महिला पहलवानों की राह आसान नहीं है। भारतीय महिला पहलवानों के सामने मेजबान दक्षिण कोरिया, खेलों की महाशक्ति चीन, जापान और मंगोलिया की पहलवान बड़ी चुनौती साबित होंगी। कहने को ये एशियाई खेल हैं लेकिन यहां ओलम्पिक से कठिन मुकाबले होने से इंकार नहीं किया जा सकता। महिला कुश्ती की जहां तक बात है यह चारों मुल्क दुनिया में बेजोड़ हैं।
इंचियोन में भारतीय महिला पहलवान चार वजन वर्गों में दांव-पेंच दिखाएंगी। इन पहलवानों में ग्लास्गो राष्ट्रमण्डल खेलों की स्वर्ण पदकधारी बबिता फोगाट (55 किलोग्राम) और विनेश फोगाट (48 किलोग्राम) के साथ ही रजत पदक विजेता गीतिका जाखड़ (63 किलोग्राम) शामिल हैं। ग्लासगो में पदक से चूकी ज्योति (75 किलोग्राम) भी भारतीय महिला कुश्ती टीम का प्रतिनिधित्व करेंगी। एशियाई खेलों में कुश्ती स्पर्धा 27 सितम्बर से एक अक्टूबर के बीच होगी। कुश्ती में भारत को अपनी महिला चौकड़ी से बहुत उम्मीदें हैं। कोच कृपाशंकर बिशनोई की बातों पर यकीन करें तो महिला पहलवानों को यदि इंचियोन में एकाध पदक भी मिल जाए तो बड़ी बात होगी।
पुष्प सवेरा से दूरभाष पर हुई बातचीत में कृपाशंकर बिशनोई ने बताया कि इंचियोन में ग्लासगो का प्रदर्शन दोहरा पाना आसान बात नहीं है। हमारे पहलवानों के सामने मेजबान दक्षिण कोरिया, खेलों की महाशक्ति चीन, जापान और मंगोलिया की पहलवान बड़ी चुनौती साबित होंगी। यद्यपि हमारी पहलवानों ने लखनऊ में हुए प्रशिक्षण शिविर में खूब पसीना बहाया है पर समय से पहले शिविर के समापन से कुछ परेशानियां भी बढ़ी हैं। दरअसल नौ सितम्बर को शिविर के समापन के बाद यह चिन्ता सता रही है कि कहीं हमारी पहलवान चोटग्रस्त न हो जाएं। शिविर समापन की वजह पर पूछे जाने पर श्री बिशनोई ने बताया कि शिविर में महिला पहलवानों की कमी के चलते यह निर्णय लिया गया।
महिला कोच कृपाशंकर बिशनोई को भरोसा है कि भारतीय महिला पहलवान पदक के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगी। मुकाबले के दिन हमारी पहलवान जितना मानसिक मजबूत होंगी पदक की सम्भावनाएं उतनी ही बढ़ जाएंगी। इस चौकड़ी में एशियन खेलों की रजत पदक विजेता दीपिका जाखड़ सबसे अनुभवी है। वह इस बार स्वर्णिम सफलता को कोई कसर नहीं छोड़ना चाहेगी। बबिता और विनेश का कुश्ती के प्रति समर्पण लाजवाब है तो ज्योति ग्लासगो की असफला से हर हाल में निजात पाना चाहेगी। जहां तक एशियाई खेलों में महिला कुश्ती का सवाल है अब तक अलका तोमर (कांस्य) और गीतिका जाखड़ (रजत) ने ही पदक जीते हैं। भारतीय महिला पहलवान 20 सितम्बर को इंचियोन रवाना होंगी।
महिला-पुरुष कुश्ती में 20 पदक दांव पर
ग्लासगो में भारतीय महिला और पुरुष पहलवानों ने पांच स्वर्ण, छह रजत और दो कांस्य पदक सहित कुल 13 पदक अपनी झोली में डाले थे।  राष्ट्रमंडल खेलों में ग्रीको रोमन कुश्ती स्पर्धा शामिल नहीं थी जबकि इंचियोन में भारतीय पुरुष पहलवान फ्रीस्टाइल और ग्रीको रोमन स्पर्धाओं में दांव लगाएंगे। महिला चौकड़ी केवल फ्रीस्टाइल स्पर्धा में शिरकत करेगी। कुश्ती में कुल 20 स्वर्ण पदक दांव पर होंगे। एशियाई खेलों की कुश्ती स्पर्धा में प्रत्येक देश से 14 पुरुष और चार महिला पहलवानों को दांव-पेंच दिखाने का मौका दिया जा रहा है।

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