आगरा। शांति सुंदरराजन और पिंकी प्रमाणिक पर अपयश की तोहमत लगने के बाद एक और भारतीय उदीयमान महिला खिलाड़ी जेण्डर परिवर्तन का शिकार हो गई है। 100 मीटर फर्राटा दौड़ की नेशनल चैम्पियन दुती चंद इन दिनों पटियाला में घुट-घुट कर जी रही है। देश की इस उदीयमान खिलाड़ी को भारतीय ओलम्पिक संघ और भारतीय खेल प्राधिकरण न्याय का भरोसा तो दिला रहे हैं पर गरीब की इस बेटी को न्याय मिलेगा भी तो आखिर कब?
पांच साल की उम्र से ट्रैक को अपना कर्मपथ अंगीकार कर चुकी गोपालपुर (उड़ीसा) की जांबाज एथलीट दुती चंद नेशनल स्तर पर 100 और 200 मीटर दौड़ के 200 से अधिक तमगे हासिल करने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दो स्वर्ण और एक कांस्य पदक से अपना गला सजा चुकी है। भारत में जेण्डर परिवर्तन का यह पहला मौका नहीं है इससे पहले शांति सुंदरराजन और पिंकी प्रमाणिक का भी खेल करियर तबाह हो चुका है। हालांकि यह दोनों निर्दोष साबित हो चुकी हैं लेकिन दुबारा ट्रैक पर दौड़ती कभी किसी को नहीं दिखीं। दरअसल भारत तकनीकी दृष्टि से खेलों में बहुत पीछे है और न्याय प्रक्रिया भी यहां बहुत सुस्त है। खिलाड़ी को समय से न्याय मिले इसकी तरफ खेलनहार भी ध्यान नहीं देते। दुती चंद मामले में रिपोर्ट पॉजिटिव निकलने के बाद सवाल यह भी उठता है कि आखिर राष्ट्रमण्डल और एशियाई खेलों से पहले ही उस पर क्यों और किसने संदेह किया? शांति सुन्दराजन मसले से भी भारत ने कोई सबक नहीं सीखा। मुल्क की जगहंसाई हो उससे पहले ही खिलाड़ियों की जांच प्रक्रिया में हीलाहवाली क्यों की जाती है।
मैं टूट चुकी हूं: दुती चंद
पुष्प सवेरा से दूरभाष पर हुई बातचीत में दुती चंद ने बताया कि भारतीय खेल प्राधिकरण के निदेशक जिजी थामसन ने भरोसा दिलाया है कि वह अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक संघ को पत्र लिखेंगे और वहां से अनुमति मिलने के बाद उसका इलाज साई कराएगा। बकौल दुती चंद मैं टूट चुकी हूं। मैंने ग्लास्गो राष्ट्रमण्डल और इंचियोन एशियाई खेलों के लिए जीतोड़ मेहनत की थी, पर मेरे अरमानों पर पानी फिर चुका है। मेरी समझ में नहीं आ रहा कि मैं करूं भी तो क्या? तीन फरवरी, 1996 को गोपालपुर जिला जाजपुर (उड़ीसा) में चक्रधर चंद और अखुजी चंद के घर जन्मी दुती चंद ने 10 साल की उम्र में ही नेशनल स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाना शुरू कर दिया था। दुती चंद के चार बहन हैं जिनमें उसकी बड़ी बहन सरस्वती भी एथलीट रह चुकी है। दुती चंद 100 और 200 मीटर दौड़ की नेशनल चैम्पियन है। दुती ने पिछले साल रांची में हुई सीनियर नेशनल एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में 100 मीटर दौड़ 11.73 सेकेण्ड और 200 मीटर दौड़ 23.73 सेकेण्ड में पूरी कर सोने के तमगे गले लगाए थे। दुती का 100 मीटर दौड़ में सर्वश्रेष्ठ समय 11.62 सेकेण्ड है।
पिंकी प्रमाणिक पर लगा था बलात्कार का आरोप
क्या कोई लड़की भी किसी का बलात्कार कर सकती है? इस प्रश्न का जवाब ना में होगा, पर इस तोहमत से पिंकी प्रमाणिक बेशक बेदाग साबित हो चुकी हो पर उसका खिलाड़ी जीवन तबाह हो चुका है। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता पिंकी प्रमाणिक को बलात्कार और धोखाधड़ी के आरोपों से बरी कर दिया है। पिंकी पर बलात्कार का आरोप उसकी लिव इन पार्टनर ने जून 2012 में लगाए थे। न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार ने पिंकी के खिलाफ बलात्कार और धोखाधड़ी के आरोपों को खारिज कर दिया है। महिला की शिकायत पर इस खिलाड़ी के खिलाफ बारासात अदालत सत्र न्यायाधीश ने आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) और 418 (धोखाधड़ी) के तहत आरोप तय किए थे। पिंकी के वकील कौशिक गुप्ता ने न्यायमूर्ति तालुकदार के समक्ष कहा था कि उसके चिकित्सकीय परीक्षण से साबित हुआ है कि वह महिला है। भारतीय कानून के तहत पुरुष पर ही बलात्कार का आरोप लगाया जा सकता है, ऐसी स्थिति में पिंकी के खिलाफ बलात्कार और धोखाधड़ी का मामला निरस्त होना चाहिए और हो चुका है, पर पिंकी अब कभी दौड़ेगी इसमें संदेह है।
शांति सुंदरराजन कर रही मजदूरी
शांति सुंदरराजन ने जिस तेजी से सफलता की सीढ़िय़ां चढ़ी थीं, उसका पतन भी उसी रफ्तार से हुआ। 2006 के दोहा एशियाड में 800 मीटर का रजत जीतने वाली इस एथलीट को अब ईंट भट्ठे पर मजदूरी करनी पड़ रही है। उसे 200 रुपए प्रतिदिन मजदूरी पर गुजारा करना पड़ रहा है। उसकी परेशानियों का दौर उस समय शुरू हुआ, जब वह जेण्डर टेस्ट में फेल हो गई। इसके बाद एथलेटिक्स फेडरेशन आॅफ इण्डिया ने उस पर किसी भी इवेंट में भाग लेने पर प्रतिबंध लगा दिया था। शांति 2010 से बेरोजगार है। उससे पहले वह पांच हजार रुपए प्रतिमाह वेतन पर बच्चों को कोचिंग दिया करती थी। उसने कलेक्टर से चपरासी की नौकरी देने तक की गुहार लगाई, पर उसे नौकरी नहीं मिली।
पांच साल की उम्र से ट्रैक को अपना कर्मपथ अंगीकार कर चुकी गोपालपुर (उड़ीसा) की जांबाज एथलीट दुती चंद नेशनल स्तर पर 100 और 200 मीटर दौड़ के 200 से अधिक तमगे हासिल करने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दो स्वर्ण और एक कांस्य पदक से अपना गला सजा चुकी है। भारत में जेण्डर परिवर्तन का यह पहला मौका नहीं है इससे पहले शांति सुंदरराजन और पिंकी प्रमाणिक का भी खेल करियर तबाह हो चुका है। हालांकि यह दोनों निर्दोष साबित हो चुकी हैं लेकिन दुबारा ट्रैक पर दौड़ती कभी किसी को नहीं दिखीं। दरअसल भारत तकनीकी दृष्टि से खेलों में बहुत पीछे है और न्याय प्रक्रिया भी यहां बहुत सुस्त है। खिलाड़ी को समय से न्याय मिले इसकी तरफ खेलनहार भी ध्यान नहीं देते। दुती चंद मामले में रिपोर्ट पॉजिटिव निकलने के बाद सवाल यह भी उठता है कि आखिर राष्ट्रमण्डल और एशियाई खेलों से पहले ही उस पर क्यों और किसने संदेह किया? शांति सुन्दराजन मसले से भी भारत ने कोई सबक नहीं सीखा। मुल्क की जगहंसाई हो उससे पहले ही खिलाड़ियों की जांच प्रक्रिया में हीलाहवाली क्यों की जाती है।
मैं टूट चुकी हूं: दुती चंद
पुष्प सवेरा से दूरभाष पर हुई बातचीत में दुती चंद ने बताया कि भारतीय खेल प्राधिकरण के निदेशक जिजी थामसन ने भरोसा दिलाया है कि वह अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक संघ को पत्र लिखेंगे और वहां से अनुमति मिलने के बाद उसका इलाज साई कराएगा। बकौल दुती चंद मैं टूट चुकी हूं। मैंने ग्लास्गो राष्ट्रमण्डल और इंचियोन एशियाई खेलों के लिए जीतोड़ मेहनत की थी, पर मेरे अरमानों पर पानी फिर चुका है। मेरी समझ में नहीं आ रहा कि मैं करूं भी तो क्या? तीन फरवरी, 1996 को गोपालपुर जिला जाजपुर (उड़ीसा) में चक्रधर चंद और अखुजी चंद के घर जन्मी दुती चंद ने 10 साल की उम्र में ही नेशनल स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाना शुरू कर दिया था। दुती चंद के चार बहन हैं जिनमें उसकी बड़ी बहन सरस्वती भी एथलीट रह चुकी है। दुती चंद 100 और 200 मीटर दौड़ की नेशनल चैम्पियन है। दुती ने पिछले साल रांची में हुई सीनियर नेशनल एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में 100 मीटर दौड़ 11.73 सेकेण्ड और 200 मीटर दौड़ 23.73 सेकेण्ड में पूरी कर सोने के तमगे गले लगाए थे। दुती का 100 मीटर दौड़ में सर्वश्रेष्ठ समय 11.62 सेकेण्ड है।
पिंकी प्रमाणिक पर लगा था बलात्कार का आरोप
क्या कोई लड़की भी किसी का बलात्कार कर सकती है? इस प्रश्न का जवाब ना में होगा, पर इस तोहमत से पिंकी प्रमाणिक बेशक बेदाग साबित हो चुकी हो पर उसका खिलाड़ी जीवन तबाह हो चुका है। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता पिंकी प्रमाणिक को बलात्कार और धोखाधड़ी के आरोपों से बरी कर दिया है। पिंकी पर बलात्कार का आरोप उसकी लिव इन पार्टनर ने जून 2012 में लगाए थे। न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार ने पिंकी के खिलाफ बलात्कार और धोखाधड़ी के आरोपों को खारिज कर दिया है। महिला की शिकायत पर इस खिलाड़ी के खिलाफ बारासात अदालत सत्र न्यायाधीश ने आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) और 418 (धोखाधड़ी) के तहत आरोप तय किए थे। पिंकी के वकील कौशिक गुप्ता ने न्यायमूर्ति तालुकदार के समक्ष कहा था कि उसके चिकित्सकीय परीक्षण से साबित हुआ है कि वह महिला है। भारतीय कानून के तहत पुरुष पर ही बलात्कार का आरोप लगाया जा सकता है, ऐसी स्थिति में पिंकी के खिलाफ बलात्कार और धोखाधड़ी का मामला निरस्त होना चाहिए और हो चुका है, पर पिंकी अब कभी दौड़ेगी इसमें संदेह है।
शांति सुंदरराजन कर रही मजदूरी
शांति सुंदरराजन ने जिस तेजी से सफलता की सीढ़िय़ां चढ़ी थीं, उसका पतन भी उसी रफ्तार से हुआ। 2006 के दोहा एशियाड में 800 मीटर का रजत जीतने वाली इस एथलीट को अब ईंट भट्ठे पर मजदूरी करनी पड़ रही है। उसे 200 रुपए प्रतिदिन मजदूरी पर गुजारा करना पड़ रहा है। उसकी परेशानियों का दौर उस समय शुरू हुआ, जब वह जेण्डर टेस्ट में फेल हो गई। इसके बाद एथलेटिक्स फेडरेशन आॅफ इण्डिया ने उस पर किसी भी इवेंट में भाग लेने पर प्रतिबंध लगा दिया था। शांति 2010 से बेरोजगार है। उससे पहले वह पांच हजार रुपए प्रतिमाह वेतन पर बच्चों को कोचिंग दिया करती थी। उसने कलेक्टर से चपरासी की नौकरी देने तक की गुहार लगाई, पर उसे नौकरी नहीं मिली।
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