क्रिकेट में बदलाव की बयार
भारत की जोश से भरी युवा क्रिकेट टीम की श्रीलंका में शानदार विजय केवल इस मायने में महत्वपूर्ण नहीं है कि श्रीलंका को उसी की धरती पर टेस्ट सीरीज में हराने के लिए हम 22 साल से तरस रहे थे, बल्कि इससे निकले संकेत कहीं आगे तक ले जाते हैं। विराट कोहली के आक्रामक नेतृत्व में यह पहली टेस्ट सीरीज जीत हमें आश्वस्त करती है कि महान कप्तानों में शुमार महेंद्र सिंह धोनी के दिसंबर, 2014 में टेस्ट क्रिकेट से अचानक संन्यास के बाद भी भारतीय टीम का भविष्य उम्मीदों से भरा है।
यह कप्तान कोहली व डायरेक्टर रवि शास्त्री के समन्वय भरे सकारात्मक सोच का ही नतीजा है कि पूरी टीम हर क्षेत्र में लय में दिखी। कई प्रमुख बल्लेबाजों और गेंदबाजों ने संघर्ष के नाजुक मौकों पर टीम को संभालने और श्रेष्ठ प्रदर्शन का जज्बा दिखाया। बल्लेबाजों में मुरली विजय और शिखर धवन के अलावा अब केएल राहुल भी ओपनर के रूप में खेलने के दावेदार हैं। मध्य क्रम में कोहली के अलावा अजिंक्य रहाणो और चेतेश्वर पुजारा की दावेदारी भी फिलहाल निर्विवाद नजर आ रही है।
हाल तक टीम इंडिया की एक कमजोर कड़ी मानी जाने वाली गेंदबाजी आर अश्विन और अमित मिश्रा की फिरकी तथा इशांत शर्मा और उमेश यादव की कहर बरपाती गेंदबाजी के साथ विदेशी धरती पर तीन टेस्ट मैचों में सभी साठ विकेट चटका कर अब एक नये लय में दिख रही है। कप्तान कोहली ने सीरीज से पहले ही अपनी यह रणनीति जाहिर कर दी थी कि टेस्ट में विपक्षी टीम के सभी 20 विकेट लेने वाली टीम ही जीत की सही हकदार होती है। हालांकि पहले टेस्ट में जीत के करीब पहुंच कर हार जाने के बाद कोहली की इस रणनीति की आलोचना भी हुई। कई विशेषज्ञ कह रहे थे कि छह बल्लेबाज रखने की रक्षात्मक रणनीति को त्याग कर पांच गेंदबाजों के साथ खेलने का फैसला सही नहीं है। लेकिन, कोहली ने अपना फैसला बदलने के बजाय टीम को तालमेल के साथ बेहतर प्रदर्शन के लिए उत्साहित किया। इस जीत के साथ यह सोच भी पीछे छूटेगी कि भारतीय टीम विदेशी कोच के भरोसे ही विदेशी धरती पर अच्छा प्रदर्शन कर सकती है। आधुनिक क्रिकेट की बारीक समझ रखने वाले रवि शात्री के नेतृत्व में भारतीय कोच की टीम ने साबित किया है कि वे भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतरीन नतीजे देने का माद्दा रखते हैं। कप्तान और कोच की अगली परीक्षा दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ घरेलू सीरीज में होगी। उम्मीद करनी चाहिए कि टीम इंडिया का यह उभार हमें आने वाले समय में भी गर्व करने के अनेक मौके मुहैया करायेगी।
भारत की जीत की दस बड़ी बातें
विराट कोहली की अगुआई में टीम इंडिया ने इतिहास रच डाला। श्रीलंकाई धरती पर टीम इंडिया ने 22 साल से कोई भी सीरीज नहीं जीत पायी थी, लेकिन कोहली की युवा ब्रिगेड ने 22 साल के बाद टेस्ट सीरीज जीत कर इतिहास बना दिया है। कोहली ने कई कप्तानों को पीछे छोड़ दिया है। जो कारनामा सौरव गांगुली, मोहम्मद अजहरुद्दीन और महेंद्र सिंह धोनी नहीं कर पाये वो कारनामा विराट कोहली ने कर दिखाया है। सीरीज में भारत की जीत के कई अहम मायने हैं। आइये जानें आखिर कैसे टीम इंडिया ने श्रीलंका को उसी की धरती पर पटकनी देकर 22 साल बाद सीरीज पर कब्जा किया।
1. श्रीलंका के खिलाफ टीम इंडिया ने तीन टेस्ट मैच खेले। सभी मैचों में भारतीय गेंदबाजों ने शानदार प्रदर्शन किया। कहा जाता है कि अगर किसी टीम को टेस्ट मैच जीतना है तो गेंदबाजों में 20 विकेट लेने की क्षमता होनी चाहिए। टीम इंडिया ने श्रीलंका के साथ खेलते हुए ऐसा ही कर दिखाया।
2. श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में टीम इंडिया की बड़ी जीत में विराट कोहली की अहम भूमिका रही है। इस सीरीज में कोहली ने साबित कर दिया कि उन्होंने भी कप्तानी के सारे गुर सीख लिये हैं। जब महेंद्र सिंह धोनी ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी और कोहली को टेस्ट टीम का कप्तान बनाया गया, तो एक बार लगा कि यह फैसला कहीं टीम इंडिया के लिए घातक कदम न साबित हो क्योंकि मैदान में कोहली आक्रामक क्षवि के लिए जाने जाते हैं और कप्तान के लिए इसे सही नहीं माना जाता रहा है लेकिन श्रीलंका को उसी की धरती में पटकनी देकर कोहली ने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया है।
3. श्रीलंका के खिलाफ सीरीज जीत में भारतीय तेज गेंदबाज इशांत शर्मा की भूमिका भी अहम रही है। इशांत शर्मा ने पूरी सीरीज में शानदार गेंदबाजी की। इशांत ने तीन टेस्ट मैच में कुल 13 विकेट लिये। इसके साथ ही उन्होंने टेस्ट कैरियर में 200 विकेट भी पूरे कर लिये। 200 विकेट लेने वाले आठवें भारतीय बन गये हैं।
4. रविचन्द्रन अश्विन की फिरकी में श्रीलंकाई चीते इस तरह से फंसे कि फिर उससे बाहर निकलना मुश्किल हो गया। अश्विन ने पूरी सीरीज में अच्छी गेंदबाजी की। उन्होंने तीन टेस्ट मैच में कुल 21 विकेट लिये। पहले टेस्ट में अश्विन ने कुल 10 विकेट लिये। वहीं दूसरे टेस्ट में 7 विकेट और आखिरी टेस्ट मैच में 4 विकेट झटके।
5. अमित मिश्रा ने भी अपने घूमती गेंदों पर श्रीलंकाई खिलाड़ियों को खूब नचाया। टीम इंडिया की सबसे बड़ी मजबूती उसकी स्पिन गेंदबाजी रही है। श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में भी भारत की स्पिन आक्रमण काफी मजबूत रहा है। अश्विन के अलावा अमित मिश्रा ने भी शानदार गेंदबाजी की। अमित मिश्रा ने पूरी सीरीज में कुल 16 विकेट झटके।
6. भारतीय टीम ने सीरीज में सभी विभागों में शानदार प्रदर्शन किया। गेंदबाजों के अलावा बल्लेबाजों ने भी शानदार प्रदर्शन किया। पहले टेस्ट में शिखर धवन और कप्तान विराट कोहली ने शतक जमाकर अपनी बल्लेबाजी का लोहा मनवाया। धवन ने पहले टेस्ट में शानदार 134 रन बनाये, वहीं कप्तान कोहली ने 103 रनों की पारी खेली। हालांकि पहले टेस्ट में भारत को श्रीलंका से हार का सामना करना पड़ा। लेकिन अगर ओवरआॅल देखा जाए तो जीत में बल्लेबाजों की भूमिका को भी नकारा नहीं जा सकता। आखिरी टेस्ट मैच में पुजारा ने पहली पारी में 145 रन बनाये थे वहीं दूसरी पारी में अश्विन ने आॅलराउंडर प्रदर्शन करते हुए 58 रन बनाये।
7. भारत के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच के साथ ही कुमार संगकारा ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया। संन्यास लेने के कारण संगकारा आखिरी टेस्ट में नहीं दिखे। संगकारा के नहीं रहने से श्रीलंकाई टीम की बल्लेबाजी काफी प्रभावित हुई और भारत को इसका फायदा मिला।
8. मौजूदा सीरीज में श्रीलंकाई गेंदबाजों ने कोई खास असर नहीं डाला। अपनी ही धरती पर गेंदबाजों के औसत प्रदर्शन ने भारत को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। पहले टेस्ट को अगर छोड़ दिया जाये तो श्रीलंकाई आक्रमण काफी कमजोर साबित हुआ।
9. भारत के खिलाफ मौजूदा सीरीज में श्रीलंका की बल्लेबाजी काफी कमजोर साबित हुई। कमजोर बल्लेबाजी के कारण भारतीय गेंदबाज उन पर आक्रामक हुए। टीम इंडिया के गेंदबाजों को श्रीलंका के बल्लेबाजों ने हावी होने का मौका दिया।
10. टेस्ट मैच में बारिश का असर देखने को मिला। दूसरे टेस्ट और आखिरी टेस्ट में बारिश ने खलल डाला। बारिश होने से भारतीय स्पिनरों को काफी मदद मिली। पिच में नमी होने से स्पिनर काफी आक्रामक हो गये। अश्विन और अमित मिश्रा ने नमी का काफी फायदा उठाया।
भारत की जोश से भरी युवा क्रिकेट टीम की श्रीलंका में शानदार विजय केवल इस मायने में महत्वपूर्ण नहीं है कि श्रीलंका को उसी की धरती पर टेस्ट सीरीज में हराने के लिए हम 22 साल से तरस रहे थे, बल्कि इससे निकले संकेत कहीं आगे तक ले जाते हैं। विराट कोहली के आक्रामक नेतृत्व में यह पहली टेस्ट सीरीज जीत हमें आश्वस्त करती है कि महान कप्तानों में शुमार महेंद्र सिंह धोनी के दिसंबर, 2014 में टेस्ट क्रिकेट से अचानक संन्यास के बाद भी भारतीय टीम का भविष्य उम्मीदों से भरा है।
यह कप्तान कोहली व डायरेक्टर रवि शास्त्री के समन्वय भरे सकारात्मक सोच का ही नतीजा है कि पूरी टीम हर क्षेत्र में लय में दिखी। कई प्रमुख बल्लेबाजों और गेंदबाजों ने संघर्ष के नाजुक मौकों पर टीम को संभालने और श्रेष्ठ प्रदर्शन का जज्बा दिखाया। बल्लेबाजों में मुरली विजय और शिखर धवन के अलावा अब केएल राहुल भी ओपनर के रूप में खेलने के दावेदार हैं। मध्य क्रम में कोहली के अलावा अजिंक्य रहाणो और चेतेश्वर पुजारा की दावेदारी भी फिलहाल निर्विवाद नजर आ रही है।
हाल तक टीम इंडिया की एक कमजोर कड़ी मानी जाने वाली गेंदबाजी आर अश्विन और अमित मिश्रा की फिरकी तथा इशांत शर्मा और उमेश यादव की कहर बरपाती गेंदबाजी के साथ विदेशी धरती पर तीन टेस्ट मैचों में सभी साठ विकेट चटका कर अब एक नये लय में दिख रही है। कप्तान कोहली ने सीरीज से पहले ही अपनी यह रणनीति जाहिर कर दी थी कि टेस्ट में विपक्षी टीम के सभी 20 विकेट लेने वाली टीम ही जीत की सही हकदार होती है। हालांकि पहले टेस्ट में जीत के करीब पहुंच कर हार जाने के बाद कोहली की इस रणनीति की आलोचना भी हुई। कई विशेषज्ञ कह रहे थे कि छह बल्लेबाज रखने की रक्षात्मक रणनीति को त्याग कर पांच गेंदबाजों के साथ खेलने का फैसला सही नहीं है। लेकिन, कोहली ने अपना फैसला बदलने के बजाय टीम को तालमेल के साथ बेहतर प्रदर्शन के लिए उत्साहित किया। इस जीत के साथ यह सोच भी पीछे छूटेगी कि भारतीय टीम विदेशी कोच के भरोसे ही विदेशी धरती पर अच्छा प्रदर्शन कर सकती है। आधुनिक क्रिकेट की बारीक समझ रखने वाले रवि शात्री के नेतृत्व में भारतीय कोच की टीम ने साबित किया है कि वे भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतरीन नतीजे देने का माद्दा रखते हैं। कप्तान और कोच की अगली परीक्षा दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ घरेलू सीरीज में होगी। उम्मीद करनी चाहिए कि टीम इंडिया का यह उभार हमें आने वाले समय में भी गर्व करने के अनेक मौके मुहैया करायेगी।
भारत की जीत की दस बड़ी बातें
विराट कोहली की अगुआई में टीम इंडिया ने इतिहास रच डाला। श्रीलंकाई धरती पर टीम इंडिया ने 22 साल से कोई भी सीरीज नहीं जीत पायी थी, लेकिन कोहली की युवा ब्रिगेड ने 22 साल के बाद टेस्ट सीरीज जीत कर इतिहास बना दिया है। कोहली ने कई कप्तानों को पीछे छोड़ दिया है। जो कारनामा सौरव गांगुली, मोहम्मद अजहरुद्दीन और महेंद्र सिंह धोनी नहीं कर पाये वो कारनामा विराट कोहली ने कर दिखाया है। सीरीज में भारत की जीत के कई अहम मायने हैं। आइये जानें आखिर कैसे टीम इंडिया ने श्रीलंका को उसी की धरती पर पटकनी देकर 22 साल बाद सीरीज पर कब्जा किया।
1. श्रीलंका के खिलाफ टीम इंडिया ने तीन टेस्ट मैच खेले। सभी मैचों में भारतीय गेंदबाजों ने शानदार प्रदर्शन किया। कहा जाता है कि अगर किसी टीम को टेस्ट मैच जीतना है तो गेंदबाजों में 20 विकेट लेने की क्षमता होनी चाहिए। टीम इंडिया ने श्रीलंका के साथ खेलते हुए ऐसा ही कर दिखाया।
2. श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में टीम इंडिया की बड़ी जीत में विराट कोहली की अहम भूमिका रही है। इस सीरीज में कोहली ने साबित कर दिया कि उन्होंने भी कप्तानी के सारे गुर सीख लिये हैं। जब महेंद्र सिंह धोनी ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी और कोहली को टेस्ट टीम का कप्तान बनाया गया, तो एक बार लगा कि यह फैसला कहीं टीम इंडिया के लिए घातक कदम न साबित हो क्योंकि मैदान में कोहली आक्रामक क्षवि के लिए जाने जाते हैं और कप्तान के लिए इसे सही नहीं माना जाता रहा है लेकिन श्रीलंका को उसी की धरती में पटकनी देकर कोहली ने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया है।
3. श्रीलंका के खिलाफ सीरीज जीत में भारतीय तेज गेंदबाज इशांत शर्मा की भूमिका भी अहम रही है। इशांत शर्मा ने पूरी सीरीज में शानदार गेंदबाजी की। इशांत ने तीन टेस्ट मैच में कुल 13 विकेट लिये। इसके साथ ही उन्होंने टेस्ट कैरियर में 200 विकेट भी पूरे कर लिये। 200 विकेट लेने वाले आठवें भारतीय बन गये हैं।
4. रविचन्द्रन अश्विन की फिरकी में श्रीलंकाई चीते इस तरह से फंसे कि फिर उससे बाहर निकलना मुश्किल हो गया। अश्विन ने पूरी सीरीज में अच्छी गेंदबाजी की। उन्होंने तीन टेस्ट मैच में कुल 21 विकेट लिये। पहले टेस्ट में अश्विन ने कुल 10 विकेट लिये। वहीं दूसरे टेस्ट में 7 विकेट और आखिरी टेस्ट मैच में 4 विकेट झटके।
5. अमित मिश्रा ने भी अपने घूमती गेंदों पर श्रीलंकाई खिलाड़ियों को खूब नचाया। टीम इंडिया की सबसे बड़ी मजबूती उसकी स्पिन गेंदबाजी रही है। श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में भी भारत की स्पिन आक्रमण काफी मजबूत रहा है। अश्विन के अलावा अमित मिश्रा ने भी शानदार गेंदबाजी की। अमित मिश्रा ने पूरी सीरीज में कुल 16 विकेट झटके।
6. भारतीय टीम ने सीरीज में सभी विभागों में शानदार प्रदर्शन किया। गेंदबाजों के अलावा बल्लेबाजों ने भी शानदार प्रदर्शन किया। पहले टेस्ट में शिखर धवन और कप्तान विराट कोहली ने शतक जमाकर अपनी बल्लेबाजी का लोहा मनवाया। धवन ने पहले टेस्ट में शानदार 134 रन बनाये, वहीं कप्तान कोहली ने 103 रनों की पारी खेली। हालांकि पहले टेस्ट में भारत को श्रीलंका से हार का सामना करना पड़ा। लेकिन अगर ओवरआॅल देखा जाए तो जीत में बल्लेबाजों की भूमिका को भी नकारा नहीं जा सकता। आखिरी टेस्ट मैच में पुजारा ने पहली पारी में 145 रन बनाये थे वहीं दूसरी पारी में अश्विन ने आॅलराउंडर प्रदर्शन करते हुए 58 रन बनाये।
7. भारत के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच के साथ ही कुमार संगकारा ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया। संन्यास लेने के कारण संगकारा आखिरी टेस्ट में नहीं दिखे। संगकारा के नहीं रहने से श्रीलंकाई टीम की बल्लेबाजी काफी प्रभावित हुई और भारत को इसका फायदा मिला।
8. मौजूदा सीरीज में श्रीलंकाई गेंदबाजों ने कोई खास असर नहीं डाला। अपनी ही धरती पर गेंदबाजों के औसत प्रदर्शन ने भारत को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। पहले टेस्ट को अगर छोड़ दिया जाये तो श्रीलंकाई आक्रमण काफी कमजोर साबित हुआ।
9. भारत के खिलाफ मौजूदा सीरीज में श्रीलंका की बल्लेबाजी काफी कमजोर साबित हुई। कमजोर बल्लेबाजी के कारण भारतीय गेंदबाज उन पर आक्रामक हुए। टीम इंडिया के गेंदबाजों को श्रीलंका के बल्लेबाजों ने हावी होने का मौका दिया।
10. टेस्ट मैच में बारिश का असर देखने को मिला। दूसरे टेस्ट और आखिरी टेस्ट में बारिश ने खलल डाला। बारिश होने से भारतीय स्पिनरों को काफी मदद मिली। पिच में नमी होने से स्पिनर काफी आक्रामक हो गये। अश्विन और अमित मिश्रा ने नमी का काफी फायदा उठाया।
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