Sunday, 1 June 2014

मैं फिट हूंं, खेलता रहूंगा: शिवेन्द्र सिंह

टीम में आने को नहीं कर सकता चमचागीरी
हॉकी में है गड़बड़झाला, गोरों के हैं काले काम
श्रीप्रकाश शुक्ला
आगरा। मैं जब तक फिट हूं खेलता रहूंगा। भारतीय टीम में आने के लिए मैं किसी की चमचागीरी नहीं कर सकता। मुझे जी-हुजूरी पसंद नहीं है। मेरा काम सिर्फ खेलना है, सो खेल रहा हूं। यह कहना है देश के सर्वश्रेष्ठ सेण्टर फारवर्डों में शुमार शिवेन्द्र सिंह चौधरी का।
भारत के लिए 190 हॉकी मुकाबले खेल चुके शिवेन्द्र सिंह चौधरी ने पुष्प सवेरा से बातचीत में कहा कि भारतीय हॉकी में सब कुछ ठीकठाक नहीं चल रहा। मेरी पिछले एक साल से अग्निपरीक्षा ली जा रही है। टीम के अधिकांश साथी खिलाड़ी चाहते हैं कि मुझे भारतीय टीम में मौका मिले लेकिन कुछ सीनियर खिलाड़ी नहीं चाहते कि मैं टीम में आऊं और उनका पत्ता कटे।
हॉकी इण्डिया खिलाड़ियों को खेल मंच तो खूब उपलब्ध करा रही है, उससे हॉकी को कितना लाभ मिल रहा है? इस प्रश्न पर शिवेन्द्र सिंह ने  कहा कि देश में नेशनल हॉकी प्रतियोगिता के अब कोई मायने नहीं हैं। सेमीफाइनल और फाइनल मुकाबले देखने के बावजूद सेलेक्टरों की आंखों में काली पट्टी बंधी रहती है। भारतीय हॉकी के उत्थान को जिन गोरे लोगों पर अनाप-शनाप पैसा खर्च किया जा रहा है वे खिलाड़ियों से न्याय करने की जगह गड़बड़झाले में शामिल हैं। हॉकी इण्डिया के पदाधिकारी ही नहीं गोरे भी जी-सर कहने वालों पर ही मेहरबान हैं। भारतीय अस्मिता से किसी को कोई लेना-देना नहीं है।
घरेलू हॉकी में शानदार प्रदर्शन के बाद भी आपकी उपेक्षा क्यों और किसकी शह पर की जा रही है? शिवेन्द्र ने कहा कि आज तक मैं नहीं समझ पाया कि मुझे किस बात की सजा मिल रही है। मेरा काम खेलना है न कि चापलूसी करना। मैं भारतीय टीम में वापसी के लिए किसी की जी-हुजूरी नहीं कर सकता। अपनी उपेक्षा की शिकायत हॉकी इण्डिया के पदाधिकारियों से करने के सवाल पर देश के इस सर्वश्रेष्ठ हमलावर ने कहा कि इसका कोई फायदा नहीं क्योंकि सभी चोर-चोर मौसेरे भाई हैं। शिवा ने कहा कि गोरे मेरा खेल देखने की बजाय राजनीतिक प्रपंच का शिकार हैं। उन्हें भारतीय हॉकी की बेहतरी से कोई लेना-देना नहीं। वे यहां पैसा कमाने और भारतीयों का मनोबल तोड़ने आते हैं।
देश की हॉकी को उसका खोया मुकाम वापस कैसे मिल सकता है? इस सवाल के जवाब में एयर इण्डिया में कार्यरत शिवा ने कहा कि देश में धनराज पिल्लै जैसे कई खिलाड़ी हैं जिनकी सेवाएं लेकर हॉकी का भला किया जा सकता है। देश में प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की कमी नहीं है, जरूरत है पारदर्शी व्यवस्था की, जिसका हमारे यहां अभाव है। विश्व कप में भारतीय टीम के प्रदर्शन के बारे में शिवा ने कहा कि यह खेल का बड़ा मंच है। प्रशिक्षक लाख सब्जबाग दिखाएं पर भारतीय टीम का अंतिम आठ में रहना भी बड़ी बात होगी।
शिवा को मौके की तलाश: निशी
पूर्व अंतरराष्ट्रीय महिला हॉकी खिलाड़ी और शिवेन्द्र सिंह चौधरी की धर्मपत्नी निशी चौधरी ने कहा कि वे हैरान हैं कि आखिर शिवा को मौका क्यों नहीं मिल रहा। उसे कैम्प से क्यों बाहर रखा जाता है जबकि वह आज भी देश का सर्वश्रेष्ठ सेण्टर फारवर्ड है। शिवा के साथ बीते एक साल से नाइंसाफी हो रही है लेकिन कोई भी उसकी मदद को आगे नहीं आया। निशी ने कहा कि शिवा लगातार बेहतर खेल रहा है लेकिन उसके खेल पर गौर नहीं किया जा रहा। निशी ने कहा कि कालांतर में जो मेरे साथ हुआ वही आज मेरे पति के साथ हो रहा है।

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