भारतीय एथलेटिक्स महासंघ के अध्यक्ष आदिल जे. सुमरीवाला ने भारतीय एथलेटिक्स प्रशिक्षकों का स्तर मात्र स्कूल और कालेज के दर्जे तक सीमित बताते हुए कहा कि ग्लासगो में होने वाले अगले राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय धावकों को पदक मिलने की उम्मीद पिछली बार के मुकाबले कम है और विदेशी कोच के बगैर अन्तरराष्ट्रीय स्पर्द्धाओं में पदक जीतना मुमकिन नहीं है।
सुमरीवाला ने यहां 54वीं राष्ट्रीय अन्तरराज्यीय (सीनियर) एथलेटिक्स चैम्पियनशिप के आयोजन के मौके पर संवाददाताओं से कहा भारतीय कोच स्कूल और कालेज स्तर के हैं। वे उस दर्जे के नहीं कि अन्तरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी पैदा कर सकें। उनकी सोच ही वहां तक नहीं पहुंचती। अगर हमें राष्ट्रमंडल या एशियाड या ओलम्पिक में पदक चाहिये तो वह बिना विदेशी कोच के मुमकिन नहीं है।
उन्होंने केन्द्र की पूर्ववर्ती कांग्रेसनीत सरकार पर एथलेटिक्स की अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि आगामी 23 जुलाई को शुरू हो रहे राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीयों के पदक जीतने की सम्भावना पिछली बार के मुकाबले कम है, क्योंकि नये बेलारूसी कोच निकोलई स्नेसारेव तीन-चार माह पहले ही आये हैं। अब उनके पास इतना समय नहीं है कि एक महीने के अंदर भारतीय एथलीटों का भाग्य बदल दें।
सुमरीवाला ने आरोप लगाया कि 2010 में दिल्ली में जो राष्ट्रमंडल खेल हुए थे, उसके बाद हमने सरकार को ग्लासगो खेलों के लिये एक खाका दिया था लेकिन पिछली सरकार ने उस पर कोई काम नहीं किया। चार साल पहले मांगी गयी सुविधाएं अब मिली हैं। सरकार और एसोसिएशन के बीच तालमेल की काफी कमी थी। समस्याओं की कहीं सुनवाई नहीं होती थी।
सुमरीवाला ने कहा कि प्रीजा श्रीधरन, सुधा सिंह और कविता राउत के रूप में बेहतरीन धावकों को तैयार करने वाले स्नेसारेव वर्ष 2010 तक भारतीय टीम के कोच थे। उन्होंने पैसा बढ़ाने की बात कही थी लेकिन केन्द्र सरकार ने मना कर दिया था। अब लम्बी दूरी के इस सर्वश्रेष्ठ कोच को वापस लाने में चार साल लग गये। उन्होंने कहा कि उन्हें नरेन्द्र मोदी सरकार से खेलों की बेहतरी की काफी उम्मीदें हैं। मोदी ने गुजरात में खेलों के विकास के लिये काफी काम किया है। खेलप्रेमी होेने के नाते वह खेलों के लिये ठोस काम करेंगे, इसकी उम्मीद है।
सुमरीवाला ने कहा कि अंतररष्ट्रीय स्पर्द्धाओं में हिस्सा लेने के लिये औपचारिकताएं पूरी करने के वास्ते खिलाड़ियों को कई मंत्रालयों में दौड़ लगानी पड़ती है। खिलाड़ियों के लिये एकल प्रणाली बनायी जानी चाहिये। राज्यस्तरीय तथा अन्तरसंस्थानिक एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं में भी डोप टेस्ट के लिये राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) के साथ विचार जारी होने का जिक्र करते हुए पूर्व ओलम्पियन ने कहा कि कनिष्ठ स्तर पर डोपिंग की समस्या ज्यादा है, इसके ज्यादातर जिम्मेदार कोच होते हैं। उन्होंने कहा हमारी राय है कि अगर कोच जिम्मेदार हंै तो उसे जेल भेजा जाए। उन्होंने कहा कि वह स्कूल और कालेज स्तर पर इनामी प्रतियोगिताओं के आयोजन की कोशिश कर रहे हैं। गौरतलब है कि गुरुवार से शुरू हुई चार दिवसीय 54वीं राष्ट्रीय अन्तरराज्यीय (सीनियर) एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में सुधा सिंह, प्रीजा श्रीधरन, कविता राउत, टिंटू लुका, जोजफ अब्राहम जैसे नामी धावकों समेत 739 खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं।
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