ग्लासगो राष्ट्रमण्डल खेलों में नाकाबिल खिलाड़ियों पर एतबार
आगरा। सवा अरब की आबादी वाले देश भारत में अब न पहले जैसे द्रोणाचार्य रहे और न ही लक्ष्य भेदने वाले अर्जुन, यही वजह है कि हर बड़ी खेल प्रतियोगिता से पूर्व मुल्क भाग्य के भरोसे जीने लगता है। 23 जुलाई से ग्लासगो में होने जा रहे राष्ट्रमण्डल खेलों से पूर्व भारतीय एथलेटिक्स फेडरेशन अपने नाकाबिल प्रशिक्षकों और खिलाड़ियों को लेकर खासा परेशान है। लखनऊ में पांच से आठ जून तक हुई 54वीं सीनियर इण्टर स्टेट एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में प्रचण्ड गर्मी ने जहां खिलाड़ियों की रफ्तार और उनके प्रदर्शन पर ब्रेक लगा दिया वहीं नौ व 10 जून को दिल्ली में हुई चयन समिति की मैराथन बैठक में पारखियों को अपने ही बनाए नियम-कायदों से समझौता करना पड़ा। सीनियर कोच बहादुर सिंह, गुरुबचन सिंह रंधावा, पीटी ऊषा और ज्योतिर्मय सिकदर जैसी स्वनामधन्य चयन मण्डली को लक्ष्य से भटके खिलाड़ियों के नाम पर स्वीकृति की मुहर लगानी पड़ी। ग्लासगो जाने वाले अधिकांश खिलाड़ियों को अपने ही ट्रैक धोखा दे गये बावजूद उनसे पदकों की उम्मीदें जिन्दा हैं।
लखनऊ में हुई अंतिम चयन ट्रायल में तीन नेशनल और 12 मीट रिकॉर्ड कायम करने वाले सभी खिलाड़ियों को ग्लासगो की टिकट मिल चुकी है वहीं चार गुणा चार सौ व चार गुणा सौ मीटर रिले टीमों के 24 खिलाड़ी (12-12 महिला-पुरुष) भी चार पदकों के लिए भेजे जा रहे हैं। दिल्ली में हुई बैठक में चयन समिति ने माना कि लखनऊ में जिस तरह की गर्मी थी उसे देखते हुए खिलाड़ियों को अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन कर पाना सम्भव नहीं था। जो भी हो प्रचण्ड गर्मी के बावजूद उत्तर प्रदेश की महिला जेवलिन थ्रोवर अन्नू रानी ने 58.83 मीटर भाला तो राजस्थान की हैमर थ्रोवर मंजू बाला ने 62.74 मीटर हैमर फेंककर नया नेशनल रिकॉर्ड कायम किया। इनके अलावा पंजाब के अरपिन्दर सिंह ने 17.17 मीटर लम्बी छलांग लगाकर ट्रिपल जम्प का नेशनल कीर्तिमान अपने नाम किया।
इन रिकॉर्डों के साथ ही प्रतियोगिता में 12 मीट रिकॉर्ड भी बने। पंजाब की महिला धावक ओपी जायसा ने 5000 मीटर दौड़ (15.57 सेकेण्ड), कर्नाटक की अश्वनी अकुंजी ने 400 मीटर हर्डल (57.43 सेकेण्ड), केरला की मयूखा जॉनी ने ट्रिपल जम्प (13.72 मीटर), कर्नाटक की पूनम्मा एमआर ने 400 मीटर दौड़ (51.73 सेकेण्ड), उत्तर प्रदेश की अन्नू रानी ने जेवलिन थ्रो तथा राजस्थान की मंजू बाला ने हैमर थ्रो में नए मीट रिकॉर्ड बनाए। पुरुष खिलाड़ियों के प्रदर्शन की जहां तक बात है पंजाब के अरपिन्दर सिंह ने ट्रिपल जम्प, हरियाणा के नवीन ने तीन हजार मीटर स्टिपलचेस, महाराष्ट्र के कृष्ण कुमार राने ने 100 मीटर दौड़ तथा उत्तर प्रदेश के चंदरोडिया एन सिंह ने हैमर थ्रो में नये मीट रिकॉर्ड कायम किए। इन सभी महिला और पुरुष खिलाड़ियों को ग्लासगो राष्ट्रमण्डल खेलों का टिकट पक्का है। ग्लासगो जाने वाले खिलाड़ियों में सुधा सिंह, प्रीजा श्रीधरन, कविता राउत, टिंटू लुका, जोजफ अब्राहम, ज्योति श्रीनिवास जैसे नामी धावक भी शुमार हैं। भारत में एथलेटिक्स की जहां तक बात है इस खेल में बेशक मुल्क को 17 द्रोणाचार्य मिले लेकिन आजादी के बाद से आज तक भारत को एक अदद अर्जुन की तलाश है। भारत इस विधा में एक भी ओलम्पिक पदक नहीं जीत सका है। पदकों के करीब पहुंचने का श्रेय सिर्फ फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह और उड़नपरी पीटी ऊषा को ही जाता है।
दिल्ली के प्रदर्शन की बराबरी पर संशय
भारतीय एथलेटिक्स महासंघ के अध्यक्ष आदिल जे. सुमरीवाला ने भारतीय एथलेटिक्स प्रशिक्षकों का स्तर स्कूल और कॉलेज दर्जे का बताकर यह जता दिया है कि भारतीय खिलाड़ियों की तैयारियां आधी-अधूरी हैं। ग्लासगो राष्ट्रमण्डल खेलों में भारतीय एथलीट दिल्ली के प्रदर्शन की शायद ही बराबरी कर सकें। दिल्ली राष्ट्रमण्डल खेलों में भारत ने पदकों का शतक लगाया था जिनमें 38 स्वर्ण, 27 रजत और 36 कांस्य पदक शामिल थे। जहां तक एथलेटिक्स की बात है भारतीय खिलाड़ियों ने दो स्वर्ण, तीन रजत और सात कांस्य पदकों से अपने गले सजाए थे।
आधी-अधूरी तैयारी: सुमरीवाला
भारतीय एथलेटिक्स महासंघ के अध्यक्ष आदिल जे. सुमरीवाला ने पुष्प सवेरा से दूरभाष पर हुई बातचीत में बताया कि ग्लासगो जाने वाले एथलीटों का चयन कर लिया गया है, पर समय से विदेशी प्रशिक्षकों की सेवाएं न मिलने से इस बार पदक की उम्मीदें काफी कम हैं। लक्ष्य से भटके खिलाड़ियों को ग्लासगो ले जाने से देश को क्या मिलेगा? इस सवाल के जवाब में सुमरीवाला ने कहा कि लखनऊ में काफी गर्मी होने की वजह से खिलाड़ी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं कर सके। जहां तक खिलाड़ियों की तैयारी की बात है हम दिल्ली राष्ट्रमण्डल खेलों के बाद से ही भारत सरकार से विदेशी प्रशिक्षकों की मांग करते रहे पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। कई खिलाड़ियों ने भी स्वीकार किया है कि उन्हें फोन पर ग्लासगो राष्ट्रमण्डल खेलों के चयन की सूचना मिल चुकी है।
आगरा। सवा अरब की आबादी वाले देश भारत में अब न पहले जैसे द्रोणाचार्य रहे और न ही लक्ष्य भेदने वाले अर्जुन, यही वजह है कि हर बड़ी खेल प्रतियोगिता से पूर्व मुल्क भाग्य के भरोसे जीने लगता है। 23 जुलाई से ग्लासगो में होने जा रहे राष्ट्रमण्डल खेलों से पूर्व भारतीय एथलेटिक्स फेडरेशन अपने नाकाबिल प्रशिक्षकों और खिलाड़ियों को लेकर खासा परेशान है। लखनऊ में पांच से आठ जून तक हुई 54वीं सीनियर इण्टर स्टेट एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में प्रचण्ड गर्मी ने जहां खिलाड़ियों की रफ्तार और उनके प्रदर्शन पर ब्रेक लगा दिया वहीं नौ व 10 जून को दिल्ली में हुई चयन समिति की मैराथन बैठक में पारखियों को अपने ही बनाए नियम-कायदों से समझौता करना पड़ा। सीनियर कोच बहादुर सिंह, गुरुबचन सिंह रंधावा, पीटी ऊषा और ज्योतिर्मय सिकदर जैसी स्वनामधन्य चयन मण्डली को लक्ष्य से भटके खिलाड़ियों के नाम पर स्वीकृति की मुहर लगानी पड़ी। ग्लासगो जाने वाले अधिकांश खिलाड़ियों को अपने ही ट्रैक धोखा दे गये बावजूद उनसे पदकों की उम्मीदें जिन्दा हैं।
लखनऊ में हुई अंतिम चयन ट्रायल में तीन नेशनल और 12 मीट रिकॉर्ड कायम करने वाले सभी खिलाड़ियों को ग्लासगो की टिकट मिल चुकी है वहीं चार गुणा चार सौ व चार गुणा सौ मीटर रिले टीमों के 24 खिलाड़ी (12-12 महिला-पुरुष) भी चार पदकों के लिए भेजे जा रहे हैं। दिल्ली में हुई बैठक में चयन समिति ने माना कि लखनऊ में जिस तरह की गर्मी थी उसे देखते हुए खिलाड़ियों को अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन कर पाना सम्भव नहीं था। जो भी हो प्रचण्ड गर्मी के बावजूद उत्तर प्रदेश की महिला जेवलिन थ्रोवर अन्नू रानी ने 58.83 मीटर भाला तो राजस्थान की हैमर थ्रोवर मंजू बाला ने 62.74 मीटर हैमर फेंककर नया नेशनल रिकॉर्ड कायम किया। इनके अलावा पंजाब के अरपिन्दर सिंह ने 17.17 मीटर लम्बी छलांग लगाकर ट्रिपल जम्प का नेशनल कीर्तिमान अपने नाम किया।
इन रिकॉर्डों के साथ ही प्रतियोगिता में 12 मीट रिकॉर्ड भी बने। पंजाब की महिला धावक ओपी जायसा ने 5000 मीटर दौड़ (15.57 सेकेण्ड), कर्नाटक की अश्वनी अकुंजी ने 400 मीटर हर्डल (57.43 सेकेण्ड), केरला की मयूखा जॉनी ने ट्रिपल जम्प (13.72 मीटर), कर्नाटक की पूनम्मा एमआर ने 400 मीटर दौड़ (51.73 सेकेण्ड), उत्तर प्रदेश की अन्नू रानी ने जेवलिन थ्रो तथा राजस्थान की मंजू बाला ने हैमर थ्रो में नए मीट रिकॉर्ड बनाए। पुरुष खिलाड़ियों के प्रदर्शन की जहां तक बात है पंजाब के अरपिन्दर सिंह ने ट्रिपल जम्प, हरियाणा के नवीन ने तीन हजार मीटर स्टिपलचेस, महाराष्ट्र के कृष्ण कुमार राने ने 100 मीटर दौड़ तथा उत्तर प्रदेश के चंदरोडिया एन सिंह ने हैमर थ्रो में नये मीट रिकॉर्ड कायम किए। इन सभी महिला और पुरुष खिलाड़ियों को ग्लासगो राष्ट्रमण्डल खेलों का टिकट पक्का है। ग्लासगो जाने वाले खिलाड़ियों में सुधा सिंह, प्रीजा श्रीधरन, कविता राउत, टिंटू लुका, जोजफ अब्राहम, ज्योति श्रीनिवास जैसे नामी धावक भी शुमार हैं। भारत में एथलेटिक्स की जहां तक बात है इस खेल में बेशक मुल्क को 17 द्रोणाचार्य मिले लेकिन आजादी के बाद से आज तक भारत को एक अदद अर्जुन की तलाश है। भारत इस विधा में एक भी ओलम्पिक पदक नहीं जीत सका है। पदकों के करीब पहुंचने का श्रेय सिर्फ फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह और उड़नपरी पीटी ऊषा को ही जाता है।
दिल्ली के प्रदर्शन की बराबरी पर संशय
भारतीय एथलेटिक्स महासंघ के अध्यक्ष आदिल जे. सुमरीवाला ने भारतीय एथलेटिक्स प्रशिक्षकों का स्तर स्कूल और कॉलेज दर्जे का बताकर यह जता दिया है कि भारतीय खिलाड़ियों की तैयारियां आधी-अधूरी हैं। ग्लासगो राष्ट्रमण्डल खेलों में भारतीय एथलीट दिल्ली के प्रदर्शन की शायद ही बराबरी कर सकें। दिल्ली राष्ट्रमण्डल खेलों में भारत ने पदकों का शतक लगाया था जिनमें 38 स्वर्ण, 27 रजत और 36 कांस्य पदक शामिल थे। जहां तक एथलेटिक्स की बात है भारतीय खिलाड़ियों ने दो स्वर्ण, तीन रजत और सात कांस्य पदकों से अपने गले सजाए थे।
आधी-अधूरी तैयारी: सुमरीवाला
भारतीय एथलेटिक्स महासंघ के अध्यक्ष आदिल जे. सुमरीवाला ने पुष्प सवेरा से दूरभाष पर हुई बातचीत में बताया कि ग्लासगो जाने वाले एथलीटों का चयन कर लिया गया है, पर समय से विदेशी प्रशिक्षकों की सेवाएं न मिलने से इस बार पदक की उम्मीदें काफी कम हैं। लक्ष्य से भटके खिलाड़ियों को ग्लासगो ले जाने से देश को क्या मिलेगा? इस सवाल के जवाब में सुमरीवाला ने कहा कि लखनऊ में काफी गर्मी होने की वजह से खिलाड़ी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं कर सके। जहां तक खिलाड़ियों की तैयारी की बात है हम दिल्ली राष्ट्रमण्डल खेलों के बाद से ही भारत सरकार से विदेशी प्रशिक्षकों की मांग करते रहे पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। कई खिलाड़ियों ने भी स्वीकार किया है कि उन्हें फोन पर ग्लासगो राष्ट्रमण्डल खेलों के चयन की सूचना मिल चुकी है।
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