Wednesday 25 June 2014

अब आगरा के लाल, करेंगे बॉक्सिंग में कमाल

शैली का सपना, ओलम्पिक पदक हो अपना
आशीष गौतम, अमित यादव, अक्षय प्रताप, आशीष शर्मा और सौरभ पर सबकी निगाहें
आगरा। भारतीय बॉक्सिंग फेडरेशन बेशक आंतरिक कलह से जूझ रही हो पर आगरा के जांबाज मुक्केबाज देश-दुनिया में अपने शहर और प्रदेश को गौरवान्वित करने को बेताब हैं। फिलहाल आगरा की बाहियाज बॉक्सिंग एकेडमी में सुबह-शाम लगभग 30 बॉक्सर जोश और जुनून के साथ अपने प्रशिक्षक राहुल कुमार सिंह से जीत के गुर सीख रहे हैं। यहां प्रशिक्षणरत हर मुक्केबाज मुहम्मद अली और माइक टाइसन बनने का सपना देख रहा है।
तीन साल पहले तक किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि आगरा के मुक्केबाज भी एक दिन करिश्मा कर दिखाएंगे पर आज स्थितियां और परिणाम इस बात की गवाही दे रहे हैं कि बॉक्सिंग में शहर का भविष्य उज्ज्वल है। शहर की तरुणाई में न केवल मुक्केबाजी की तरफ दिलचस्पी पैदा हुई है बल्कि वे अपने शक्तिशाली मुक्कों के प्रहार से देश भर का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। वर्ष 2011 में काकीनाड़ा में सर्वश्रेष्ठ रेफरी के खिताब से नवाजे गये प्रशिक्षक और उत्तर प्रदेश बॉक्सिंग फेडरेशन के कोषाध्यक्ष राहुल कुमार सिंह ने पुष्प सवेरा  को बताया कि आगरा शहर के मुक्केबाज कुछ कर गुजरने को बेताब हैं। कम समय में ही जिस तरह शहर के बॉक्सरों ने रिंग में कमाल दिखाया है, उससे उम्मीद बंधी है कि वह दिन जरूर आएगा जब आगरा के ये जांबाज देश का प्रतिनिधित्व करते दिखेंगे।
बकौल प्रशिक्षक राहुल कुमार, आशीष गौतम, अमित यादव, शैली सिंह, अभय प्रताप, आशीष शर्मा और सौरभ राजपूत में बला की चपलता है। ये बॉक्सर एक दिन ताजनगरी का नाम जरूर रोशन करेंगे। विभिन्न राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अपने शक्तिशाली मुक्कों का शानदार आगाज कर चुके बॉक्सरों ने बताया कि वे आज जिस मुकाम पर हैं, उसका सारा श्रेय उनके प्रशिक्षक राहुल सर को जाता है। अब तक आगरा के तीन बॉक्सर इण्डियन कैम्प तक दस्तक दे चुके हैं, तो दो को शासकीय सेवा का मौका भी मिल चुका है।
शैली का नहीं कोई जवाब
एक तरफ लड़कियां जहां घर से बाहर निकलने में असहज महसूस करती हैं वहीं शहर की होनहार बॉक्सर शैली सिंह का कोई जवाब नहीं है। यह बालिका बॉक्सर रिंग में न केवल लड़कों को मुंहतोड़ जवाब दे रही है बल्कि वह एक दिन मैरीकॉम की ही तरह देश के लिए पदक जीतने का सपना भी देख रही है।
बाहिया जी का शुक्रगुजार हूं: राहुल
कहते हैं कि खिलाड़ी का मर्म कोई खिलाड़ी ही जान सकता है। अपने शहर के मुक्केबाजों का सपना साकार करने का श्रेय इण्टरनेशनल कार रेसर हरविजय सिंह बाहिया को जाता है। बकौल राहुल, बाहिया जी ने एकेडमी के लिए जगह और संसाधन न मुहैया कराए होते तो शायद शहर में मुक्केबाजी को जो मुकाम और सम्मान मिला वह नहीं मिलता। प्रशिक्षक राहुल का कहना है कि मुक्केबाजी में ही उनकी प्राणवायु बसती है। ताजनगरी के मुक्केबाजों का चमत्कारिक प्रदर्शन उनमें ऊर्जा का संचार करता है। हमारे शिष्य जिस तरह के परिणाम दे रहे हैं उससे उम्मीद है कि एक दिन आगरा का कोई बॉक्सर मुल्क के लिए पदक जरूर जीतेगा। राहुल अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज विजेन्दर सिंह की सदाशयता के कायल हैं। इन्हें उम्मीद है कि विजेन्दर राष्ट्रमण्डल और एशियाई खेलों में पदक जरूर जीतेगा।
बॉक्सिंग इण्डिया की बैठक 27 को
अंतरराष्ट्रीय बॉक्सिंग फेडरेशन और आईओए के प्रतिबंध का दंश झेल रहे इण्डियन बॉक्सिंग फेडरेशन की जगह अब बॉक्सिंग इण्डिया लेने जा रही है। इस बाबत एक बैठक मुम्बई में 27 जून को होगी। इस बैठक में ताजनगरी के राहुल कुमार सिंह उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करेंगे। सूत्रों की कही सच मानें तो बॉक्सिंग इण्डिया ने अंतरराष्ट्रीय बॉक्सिंग फेडरेशन और भारतीय ओलम्पिक संघ को भरोसा दिया है कि अब यह खेल किसी के रहमोकरम का मोहताज नहीं होगा यानि भारतीय मुक्केबाजों की बल्ले-बल्ले होगी।     

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