देश-दुनिया में लगातार आलोचनाओं का दंश झेल रहे उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने की मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ठान ली है। उन्होेंने बड़े स्तर पर न केवल प्रशासनिक फेरबदल किया है बल्कि स्वयं भी उड़नखटोले पर सवार हो गये हैं। इस बदलाव से प्रदेश की आवाम को कितनी सुख-शांति मिलेगी यह तो भविष्य बताएगा पर सूबे के मुखिया को बड़े प्रशासनिक फेरबदल के साथ ही जमीनी स्तर पर भी बदलाव करने चाहिए। यह सच है कि कोई भी राजनीतिक व्यवस्था अपने बने बनाए फ्रेम को तोड़ना पसंद नहीं करती। हमारी पुलिस व्यवस्था ब्रिटिश सरकार की देन है जोकि कालांतर में गुलाम हिन्दुस्तानियों को नियंत्रित करने का काम करती थी। आजादी के बाद देश और दुनिया बदल गई। इस बदलाव में समाज, शिक्षा, अर्थव्यवस्था और अपराध के सारे तरीके भी बदल गए तो जनता की रक्षक पुलिस के उद्देश्य भी बदले हैं। अतीत में पुलिस का काम विद्रोह को दबाकर लोगों पर शासन करना था लेकिन आजादी के बाद पुलिस का दायित्व असामाजिक तत्वों से आम आवाम की हिफाजत है। अफसोस इस मसले पर यूपी पुलिस नाकारा साबित हुई है। वजह पुलिस प्रशासन पर लगातार राजनीतिक नियंत्रण का हावी होना है। यूपी में पुलिस जनता के प्रति जवाबदेह न होकर वरिष्ठ अधिकारियों, राजनेताओं तथा मंत्रियों के प्रति अपने को जिम्मेदार मानती है। सपा सरकार के सामने आज पुलिस के इस भ्रम को तोड़ना सबसे बड़ी चुनौती है। व्यावहारिक रूप से देखें तो जनप्रतिनिधियों और पुलिस के बीच आपसी सम्बन्धों में समन्वय तथा सामंजस्य होना बुरी बात नहीं है पर उसे इस बात का भी इल्म होना चाहिए कि उसकी प्राथमिकता में आम जनता की हिफाजत पहले हो। पुलिस के पास जो असीम शक्तियां हैं, उनका दुरुपयोग रोकने के लिए उस पर उचित नियंत्रण की व्यवस्था भी आवश्यक है। आजादी के बाद देश में आपराधिक न्याय व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं किया गया। हमारे यहां पुलिस, जेल तथा न्यायिक व्यवस्था बीतराग ही सुना रही है। ब्रिटेन में सरकार पुलिस के लिए न केवल नीतियां बनाती है बल्कि उन्हें साधन सम्पन्न भी बनाया जाता है। वहां राजनेताओं तथा नौकरशाहों को पुलिस के क्रियाकलापों में हस्तक्षेप या दिशानिर्देश देने का अधिकार नहीं होता जबकि भारतीय पुलिस राजनेताओं के इशारे पर ही कत्थक नृत्य करती है। उत्तर प्रदेश के अनियंत्रित हालातों की मुख्य वजह सपाइयों का पुलिस को स्वतंत्र रूप से काम न करने देना है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव यदि प्रदेश में वाकई अनुशासन कायम करना चाहते हैं तो उन्हें व्यापक प्रशासनिक फेरबदल की बजाय पुलिस को सुविधाओं से युक्त, संवेदनशील और नागरिकों के प्रति जिम्मेदार बनाने की पहल करनी चाहिए। मुख्यमंत्री जी, चोला बदलने का यह चोचला तभी कारगर साबित होगा जब सपाई स्वयं अनुशासन में रहने का संकल्प लें।
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