Monday, 18 March 2019

उच्च शिक्षा का नायाब प्रकल्पः संस्कृति यूनिवर्सिटी



शिक्षा मानव के व्यक्तित्व निर्माण के साथ ही किसी भी राष्ट्र के विकास की आधारशिला है. शिक्षा सामाजिक चिन्तन की बुनियाद, सांस्कृतिक समझ और राजनीतिक प्रतिष्ठा का भी परिचायक है. सूचना प्रौद्योगिकी के युग में जहां तीव्रता से परिस्थितियां बदल रही हैं वहीं चुनौतियां भी कम नहीं हैं. भूमण्डलीकरण के वर्तमान परिदृश्य में हमारे सामाजिक एवं राष्ट्रीय जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में मूल्यों और मान्यताओं में अभूतपूर्व परिवर्तन हो रहा है. परम्परागत मूल्यों एवं मान्यताओं में परिवर्तन का प्रभाव शिक्षा, विशेष रूप से उच्च शिक्षा पर पड़ा है. संस्कृति यूनिवर्सिटी शैशवकाल में होने के बावजूद यंगस्टर्स को शिक्षण-प्रशिक्षण के साथ उच्च आदर्शों की पूर्ति के लिये प्रतिबद्ध शैक्षणिक संस्थान है. संस्कृति यूनिवर्सिटी का नाम सुनते ही यंगस्टर्स के मन में गर्व और गौरव का अहसास होने लगता है. उसके मन में यहां के एनवायरमेंट, पठन-पाठन की व्यवस्थाओं को देखने की इच्छा प्रबल हो जाती है. मथुरा की छाता तहसील के सन्निकट स्थित संस्कृति यूनिविर्सिटी में प्रवेश करते ही हवा में लहराते फव्वारे, यहां का मनमोहक वातावरण और यहां का बेहतरीन एज्यूकेशन सिस्टम स्टूडेंट्स में नई ऊर्जा का संचार करता है. हायर एज्यूकेशन के क्षेत्र में संस्कृति यूनिविर्सिटी देश में प्रमुख स्थान रखती है. इनोवेशन और क्रिएटिविटी में अग्रणी यूनिवर्सिटी का विजन ड्रीमर्स, अचीवर्स और विनर्स का निर्माण करना है. हाईटेक फैसिलिटीज के साथ ही यूनिवर्सिटी एडवांस्ड लैब, न्यू टेक्नोलाजी, लर्निंग टूल्स से लैस है. यूनिवर्सिटी के संस्थापक, संचालक राजेश गुप्ता और सचिन गुप्ता ने दैनिक जागरण-आईनेक्स्ट से खास बातचीत में बताया कि हम राष्ट्र को टेकर्स नहीं गिवर्स यंगस्टर्स देने को प्रतिबद्ध हैं. 

दिल्ली से उच्च तालीम हासिल कुलाधिपति सचिन गुप्ता और उप-कुलाधिपति राजेश गुप्ता का कहना है कि यह 21वीं सदी है, जहां हर समय कुछ न कुछ नया सीखना ही सफलता का मानदण्ड है. भारत युवाओं का देश होने के फलस्वरूप बेरोजगारी यहां की सबसे बड़ी समस्या है. यंगस्टर्स की इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए संस्कृति यूनिवर्सिटी ने अपनी परिकल्पना और उद्देश्य न केवल तय किए हैं बल्कि वैश्विक व्यवसाय के मानकों को अपने पाठ्यक्रम में संजीदगी से समाहित किया है. यहां अध्ययनरत छात्र-छात्राएं टेक्निकल एज्यूकेशन के मूल तत्वों का अध्ययन-मनन कर न केवल इंडस्ट्रियल रिक्वायरमेंट को पूरा करते हैं बल्कि नौकरी के पीछे भागने की बजाय स्वरोजगार को प्राथमिकता देते हैं. राष्ट्र के शैक्षिक विकास में युवा कुलाधिपति सचिन गुप्ता और उप-कुलाधिपति राजेश गुप्ता ने जो दूरदर्शिता दिखाई है, उसी का नतीजा है कि यहां यंगस्टर्स नित नए प्रतिमान स्थापित कर रहे हैं.

क्वालिटीपरक एज्यूकेशन, मिशन और विजन

शांत वातावरण, सर्वसुविधायुक्त सेमिनार हाल, सुयोग्य प्राध्यापक, आधुनिक लैब, डिजिटल लाइब्रेरी, सेण्टर आफ एक्सीलेंस, स्कूल आफ लाइफ स्किल, मनमोहक क्रीड़ांगन और प्लेसमेंट विभाग संस्कृति यूनिवर्सिटी की ऐसी खूबियां हैं जोकि हर युवा मन को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। बदलते परिवेश में जहां हर यंगस्टर्स को रोजगारमूलक शिक्षा प्रदान करना चुनौती माना जा रहा है वहीं संस्कृति यूनिवर्सिटी कौशलपरक शिक्षा के माध्यम से आज की युवा पीढ़ी को स्वावलम्बी बना रही है। टेक्निकल एज्यूकेशन संस्कृति यूनिवर्सिटी का सबसे मजबूत पक्ष है। यहां खुले सेण्टर आफ एक्सीलेंस की लैबों में संचालित लेटेस्ट टेक्निकल मशीनें यंगस्टर्स के टैलेण्ट को विश्व प्रतिस्पर्धी बना रही हैं।

इंडस्ट्रियल रोबोटिक्स की शिक्षा

इंडस्ट्रियल रोबोटिक्स, मैन्यूफैक्चरिंग एण्ड आटोमेशन (एम.टैक) और फोरेंसिक साइंस एज्यूकेशन की सुविधा ब्रज मण्डल में सिर्फ संस्कृति यूनिवर्सिटी में ही उपलब्ध है। रोबोटिक्स इंजीनियरिंग एज्यूकेशन में दक्षता हासिल कर यंगस्टर्स नासा, प्राइवेट इंडस्ट्रीज, ऑटोमोबाइल्स सेक्टर, इंडस्ट्रियल टूल्स, रोबोटिक टेक्नोलॉजी, कम्प्यूटर कंट्रोल्ड मशीन प्रोग्रामिंग, रोबोटिक सेल्स में अच्छे पैकेज पर जॉब हासिल कर रहे हैं। आज की इंडस्ट्रियल डिमांड को देखते हुए संस्कृति यूनिवर्सिटी में यंगस्टर्स को आटोकैड,  एंसिस और मैन्यूफैक्चरिंग में सीएनसी की ट्रेनिंग भी प्रदान की जाती है।

शिक्षा ही नहीं संस्कार भी

संस्कृति यूनिवर्सिटी में टेक्निकल एज्यूकेशन ही नहीं हर ऐसा पाठ्यक्रम संचालित है जोकि युवा पीढ़ी को शिक्षा पूरी करने से पहले ही इस योग्य बना देता है कि वह कहीं भी किसी से भी प्रतिस्पर्धा कर सके। संस्कृति यूनिवर्सिटी तकनीकी शिक्षा ही नहीं भारतीय चिकित्सा पद्धति को भी नया आयाम प्रदान करने को संकल्पित है। यहां आयुर्वेदिक, होम्योपैथी और यूनानी चिकित्सा की तरफ भी प्रमुखता से ध्यान दिया गया है। यहां लाइफ स्किल्स की शिक्षा ग्रहण करना प्रत्येक छात्र-छात्रा के लिए अनिवार्य है। सच्चाई यह है कि संस्कृति यूनिवर्सिटी में शिक्षा ही नहीं संस्कार भी प्रदान किए जाते हैं।

वसुधैव कुटुम्बकम की मिसाल

संस्कृति यूनिवर्सिटी वसुधैव कुटुम्बकम की मिसाल है। यहां भारत ही नहीं विदेशी छात्र-छात्राएं भी अपना करियर संवारते हैं। यहां यंगस्टर्स को समय-समय पर विशेषज्ञों द्वारा गेस्ट लेक्चर, शैक्षिक भ्रमण तथा सेमिनारों का भी लाभ मिलता रहता है। डिजिटल लाइब्रेरी, सर्वसुविधायुक्त जिम, आधुनिक खेल मैदान, समस्त विभागों और संकायों में जीवन जीने की कला पाठ्यक्रम, शांत वातावरण यंगस्टर्स में नई ऊर्जा का संचार करता है। संस्कृति यूनिवर्सिटी में यंगस्टर्स के व्यक्तिगत एवं जीवनोपयोगी कौशल विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इससे छात्र-छात्राएं स्वयं ही चुनौतियों से निपटने में सक्षम हो रहे हैं। हम कह सकते हैं कि संस्कृति यूनिवर्सिटी एक शिक्षण संस्थान ही नहीं बल्कि दुनिया के बदलते परिदृश्य का आईना है।                   

अनुसंधान को विशेष तरजीह

आजकल वैश्विक अर्थव्यवस्था, विकास, धन उत्पत्ति और सम्पन्नता की संचालक शक्ति सिर्फ शिक्षा को ही कहा जा सकता है। भारतीय यंगस्टर्स के विदेशी पलायन को रोकने के लिए संस्कृति यूनिवर्सिटी निरंतर प्रयास कर रही है। यहां शोध पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। एक अच्छा शोध ऐसे परिवेश की माँग करता है, जहाँ शिक्षकों का स्तर अनुसंधान और अन्वेषण को ईमानदार सोच के साथ बढ़ावा देने वाला हो, छात्र निरंतर विषय को आगे बढ़ाने, उसका विस्तार करने और ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में नये आयाम जोड़ने के प्रयास में लगे हों। संस्कृति यूनिवर्सिटी में शोध के लिए जरूरी अन्वेषणपरक बुनियादी ढांचे पर विशेष ध्यान दिया गया है। यहां उच्च शिक्षा का विकास वर्तमान में विद्यमान आवश्यकताओं एवं भविष्य की सम्भावनाओं तथा सामाजिक अपेक्षाओं के आलोक में किया जा रहा है।

अपग्रेडेशन पर निरंतर ध्यान

सचिन गुप्ता और राजेश गुप्ता हायर एज्यूकेशन के क्षेत्र में नई इबारत लिखने को प्रतिबद्ध हैं। इन दोनों भाइयों का कहना है कि क्रिएटिंग ड्रीमर्स, अचीवर्स एण्ड विनर्स यूनिवर्सिटी की गाइड लाइन हैं. स्टूडेंट्स हों या फैकल्टी मेम्बर्स इनके अपग्रेडेशन पर निरंतर ध्यान दिया जाता है, ताकि ये ग्लोबल मार्केट के लिए एक बेहतरीन एसेट के रूप में तैयार रहें।

राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय अवार्ड

बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी राजेश गुप्ता और सचिन गुप्ता की काबिलियत को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा भी संजीदगी से सराहा जा रहा है। शिक्षा के क्षेत्र में किए गए अप्रतिम योगदान के लिए गुप्ता बंधुओं को अब तक दर्जनों नेशनल और इंटरनेशनल अवार्ड मिल चुके हैं। इन्हें भारत विद्या शिरोमणि अवार्ड, वर्ल्ड एज्यूकेशन कांग्रेस ग्लोबल अवार्ड, यंग एंटरप्रिन्योर अवार्ड के साथ ही अमेरिका में भारत गौरव सम्मान, रि-थिंक इंडिया का दूरदर्शी उद्यमी बंधु अवार्ड, यूनेस्को, भारतीय पुनर्वास परिषद, विजन इंस्टीट्यूट और विजन दिव्यांग संगठनों द्वारा समावेशी शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्यों के लिए विजन यूएन-एसडीजी एम्बेसडर सम्मान से नवाजा जा चुका है। कौशल विकास के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रहे श्री सचिन गुप्ता को एसोचैम द्वारा गठित परिषद में भी विशेषज्ञ के रूप में शामिल किया गया है। श्री गुप्ता संस्कृति विश्वविद्यालय के चेयरमैन पद की जवाबदेही संभालने के साथ ही सोसायटी फार एज्यूकेशन डेवलपमेंट एण्ड रिसर्च के महासचिव, रामेश्वर दयाल चेरिटेबल एज्यूकेशन सोसायटी के अध्यक्ष, श्री महाराज अग्रसेन नार्थ-ईस्ट वेलफेयर सोसायटी के ट्रस्टी के रूप में भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

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