Monday 10 October 2016

एक पैर से साइकिल चलाने का बनाया रिकॉर्ड

आदित्य मेहता के नाम दर्ज हैं कई कीर्तिमान
एशियन पैरासाइकिलिंग चैम्पियन और 2013 में डबल सिल्वर मैडल जीतने वाले हैदराबाद के आदित्य मेहता की कहानी किसी के भी अंदर कुछ कर गुजरने का जज्बा पैदा कर सकती है। आदित्य का एक पैर नहीं है यह सुनकर कोई भी सहानुभूति से भर जाएंगा लेकिन आदित्य का जोश ऐसा है जो किसी मुर्दे में भी जान डाल सकता है।
आदित्य हैदराबाद के सिकंदराबाद की उद्योग घराने से ताल्लुक रखते हैं। बिजनेस में शुरू से ही दिलचस्पी के चलते उन्होंने टेक्सटाइल की फील्ड में अपना बिजनेस शुरू किया। इसमें कामयाबी भी मिली लेकिन एक दिन अचानक ही हैदराबाद में हुए हादसे में उन्हें अपना एक पैर गंवाना पड़ा। हादसे के बारे में पूछे जाने पर वह बताते हैं कि मैं पूरी तरह टूट गया था और अपना बिजनेस भी मैंने बंद कर दिया था। सच तो यह है कि जीवन से जुड़ी हर उम्मीद मैंने छोड़ दी थी। लेकिन जिन्दगी हमें उम्मीदों के रास्ते हमेशा दिखाती रही। ऐसा ही एक रास्ता दिखा आदित्य को जब उन्होंने हैदराबाद में बने बाई-साइकिलिंग क्लब के विज्ञापन को देखा। विज्ञापन देखते ही उन्होंने तय किया कि अपनी शारीरिक कमी को पीछे छोड़ वह साइकिलिंग में नया मुकाम बनाएंगे।
उनके लिए यह सफर आसान नहीं था। साइकिलिंग के साथ पहला अनुभव उनके लिए बेहद निराशाजनक था। उनको जो कृत्रिम पैर लगाया गया था, उससे साइकिल के पैडल को चलाना आसान नहीं था। इस समस्या का समाधान करने के लिए उन्होंने खुद ही एक ऐसा कृत्रिम पैर डिजाइन किया जिससे साइकिल को आसानी से चलाया जा सके। आमतौर पर ऐसा किया जाना आसान नहीं था। खैर, पूरे 18 महीने की कड़ी मेहनत के बाद वह प्रोफेशनल पैरासाइकिलिस्ट बनें और 2013 में उनका लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज हुआ।
आदित्य मेहता हैदराबाद से बैंगलूरु का सफर साइकिल से तीन दिन में पूरा कर चुके हैं। वह मनाली से लेह-खरदूंगला को फतह करने निकले और इस दौरान 13050 फुट ऊंचे रोहतांग पास को पार किया। यही नहीं उन्होंने लंदन से पेरिस का 520 किलोमीटर का सफर तीन दिन में तय करके एक नया रिकॉर्ड बनाया। आदित्य ने कश्मीर से कन्याकुमारी के बीच का 3600 किलोमीटर का सफर साइकिल से तय कर नया रिकॉर्ड भी बना दिया। अपने इस रिकॉर्ड के लिए उन्होंने इस रूट में आने वाले देश के 36 शहरों का सफर 36 दिनों में तय किया। बेशक यह रिकॉर्ड आम आदमी के बस की बात नहीं हो लेकिन धुन के पक्के आदित्य यह कारनामा कर दिखाया।

अपने इस सफर के बारे में आदित्य बताते हैं कि इस दौरान थकान के अलावा भी कई परेशानियां उनके सामने आईं। उन्होंने बताया कि इस दौरान उनकी नाक से खून आने लगा, पैर में चोटें आईं और त्वचा भी कई जगहों से कट गई थी। इस सफलता पर आदित्य कहते हैं कि साइकिलिंग से मुझे जिन्दगी में रफ्तार मिलती है। उनका यह भी कहना है कि लगन और पक्की धुन के दम पर इंसान असम्भव को भी सम्भव कर दि‍खाता है। पैरा साइकिलिस्ट आदित्य मेहता नशे के खिलाफ अभियान चला चुके हैं। उन्होंने युवाओं से नशे की प्रवृत्ति से दूर रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि युवाओं को नशा ही करना है तो साइकिलिंग का करें। इससे वे हमेशा तंदुरुस्त रहेंगे। उन्होंने कहा कि युवा जंक फूड, चाय, कोल्डड्रिंक और वसा मुक्त भोजन से बचें। अभिभावक अपने बच्चों को भी इन चीजों से दूर रखें।

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