में दर्ज होने वाले लम्हे
किसी महान स्पर्धा का गवाह बनते हुए आप भले एक विशाल दर्शक
समूह का हिस्सा हों, माहौल का जुनून आपको खुद में जज्ब कर लेता है या आप उस जुनूनी
माहौल का ही एक हिस्सा बन जाते हैं। चाहे वह उसेन बोल्ट को आदमी से चीता बन जाने
का कारनामा करते देखने का अनुभव हो या माइकल फेल्प्स को पानी को चीरते हुए सोने पे
सोना निकालते देखने का अनुभव, आप किसी दूसरी ही दुनिया में पहुंच जाते हैं। दोनों
ही महान खिलाड़ियों को मानव की शारीरिक क्षमता की सभी सीमाएं पार करते देखना
सदियों तक मानवीय स्मृतियों में दर्ज होने वाले लम्हे हैं।
रियो में जमैका के उसेन बोल्ट ने 100 मीटर रेस में वह कर दिखाया जिसके लिए वह बने
हैं। बोल्ट अपने पुराने विश्व रिकॉर्ड को तो नहीं तोड़ सके लेकिन उन्होंने दिखा
दिया कि मात्र नौ सेकेंड के लिए वह स्टेडियम में हजारों लोगों को बुला सकते हैं और
अपना मुरीद बना सकते हैं। बोल्ट का तो नाम भर लोगों में ऊर्जा का संचार कर देता है
तो उनका होना स्टेडियम में मौजूद दर्शकों पर क्या असर करता होगा अकल्पनीय है। रियो
में बोल्ट का करिश्मा देखने लोग कई-कई घंटों लम्बा सफर तय कर पहुंचे। बोल्ट ने भी
उन्हें निराश नहीं किया और लगातार तीन ओलम्पिक में एक ही स्पर्धा का स्वर्ण जीतने
वाले दुनिया के पहले खिलाड़ी बने। इससे पूर्व लंदन ओलम्पिक में बोल्ट 100 मीटर स्पर्धा में 9.63 सेकेंड का समय निकालते हुए ओलम्पिक खेलों के सबसे तेज धावक
बने थे। इसके बाद उन्होंने 200 मीटर स्पर्धा 19.23 सेकेंड समय के साथ जीत ली और 4 गुणा 100 मीटर रिले रेस तो उन्होंने रिकॉर्ड 36.84 सेकेंड समय में जीती।
दूसरी ओर अमेरिकी तैराक माइकल फेल्प्स ने ओलम्पिक इतिहास के
सबसे सफल खिलाड़ियों में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखवा लिया है। फेल्प्स 23 स्वर्ण सहित ओलम्पिक खेलों में 28 पदक जीतने वाले दुनिया के पहले खिलाड़ी हैं। ऐसा
करते हुए उन्होंने खिलाड़ियों को नहीं बल्कि कितने ही देशों को पूरे ओलम्पिक
इतिहास में पछाड़ दिया और अब उनकी तुलना एक पूरे देश के रूप में की जाना हैरत की
बात नहीं लगती। फेल्प्स किसी एक ओलम्पिक में सर्वाधिक पदक जीतने का रिकॉर्ड पहले
ही तोड़ चुके हैं। उन्होंने 1972 में मार्क स्पिट्ज द्वारा बनाए गए सात पदकों के रिकॉर्ड को तोड़ा था।
दोनों ही महानतम खेल हस्तियां अब संन्यास ले चुकी हैं लेकिन
इन दोनों ने अपने पौरुष के ऐसे मानक तय कर दिए हैं जिन्हें हासिल कर पाना किसी भी
खिलाड़ी के लिए असम्भव तो नहीं पर आसान बात नहीं होगी। निश्चित तौर पर भविष्य में
उनके रिकॉर्ड टूटेंगे लेकिन निकट भविष्य में ऐसा होता तो नहीं दिख रहा। मैक्सिको
में 1968 में हुए ओलम्पिक
के दौरान लम्बीकूद के एथलीट बॉब बीमॉन ने 8.90 मीटर लम्बी छलांग लगाकर नया विश्व कीर्तिमान
रचा था और उसे तब सदी की छलांग कहा गया था। बॉब के उस रिकॉर्ड को 23 साल बाद माइक पॉवेल ने विश्व चैम्पियनशिप में तो
तोड़ दिया लेकिन ओलम्पिक रिकॉर्ड 48 साल बाद भी जस का तस है। अब लोगों के जेहन में
एक ही सवाल गूंजता रहेगा कि बोल्ट और फेल्प्स के रिकॉर्ड कब टूटेंगे।
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