Saturday 21 December 2013

एथलेटिक्स: नाकामी भरे साल में डोपिंग का डंक

एथलेटिक्स में भारत के लिये इस साल एकमात्र उपलब्धि दूसरी बार एशियाई चैम्पियनशिप की मेजबानी रही जबकि डोपिंग प्रकरण और प्रशासनिक अनियमितताओं ने एक बार फिर खेल को शर्मसार किया।
राष्ट्रीय डोपिंग निरोधक एजेंसी द्वारा कराये गए टेस्ट में एथलेटिक्स में सबसे ज्यादा 23 खिलाड़ी पाजीटिव पाये गए। भारत को पुणे में तीन से सात जुलाई तक हुई एशियाई चैम्पियनशिप की शुरुआत से एक दिन पहले शर्मिंदगी झेलनी पड़ी जब शाटपुटर पी. उदय लक्ष्मी को डोप टेस्ट में पाजीटिव पाये जाने के कारण पीछे हटना पड़ा। एएफआई को फिर शर्मसार होना पड़ा जब उसने रिले धाविका अश्विनी अकुंजी को महिलाओं की चार गुणा 400 मीटर टीम में शामिल करने की कोशिश की। डोपिंग मामले में उसका दो साल का प्रतिबंध खत्म होने के कुछ दिन बाद ही यह प्रयास किया गया जिसे चैम्पियनशिप की तकनीकी टीम ने खारिज कर दिया। राष्ट्रीय रिकार्डधारी त्रिकूद खिलाड़ी रंजीत माहेश्वरी पांच साल पुराने डोप मामले के कारण विवाद में फंस गए। इसकी वजह से उन्हें अर्जुन पुरस्कार से वंचित रहना पड़ा और वह भी पुरस्कार समारोह से चंद घंटे पहले।  खेल मंत्रालय ने पाया कि वह 2008 में कोच्चि में राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में डोप टेस्ट में नाकाम रहे थे। खेल मंत्रालय ने माहेश्वरी के बारे में यह अहम सूचना नहीं देने के लिये एएफआई को लताड़ा। एएफआई ने पहले तो पाजीटिव टेस्ट के बारे में इनकार किया लेकिन बाद में मंत्रालय को बताया कि कोच्चि में हुई राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में वह डोप टेस्ट में पाजीटिव पाये गए थे लेकिन उसे वह फाइल नहीं मिल रही।
एएफआई ने जनवरी 2009 में माहेश्वरी के नियोक्ता रेलवे खेल संवर्धन बोर्ड को लिखे पत्र में उसके निलंबन की जानकारी दी थी जो इस मामले में अहम सबूत साबित हुआ। इससे पहले एएफआई ने चीन के नानजिंग में 16 से 28 अगस्त तक हुए एशियाई युवा खेलों में अधिक उम्र के खिलाड़ी भेज दिये जिससे 17 ट्रैक और फील्ड खिलाड़ियों को लौटना पड़ा। एथलेटिक्स और भारोत्तोलन में एक जनवरी 1997 को या उसके बाद पैदा हुए खिलाड़ी ही भाग ले सकते थे जबकि बाकी खेलों में उम्र संबंधी योग्यता शर्तें अलग थीं।       एएफआई अधिकारियों ने 1996 में जन्में 17 खिलाड़ियों को भेज दिया जिन्हें आयोजकों ने अयोग्य करार दिया। भारतीय खेल प्राधिकरण ने इस पर सफाई मांगी और अयोग्य खिलाड़ियों की यात्रा पर खर्च हुए 10 लाख रुपये का मुआवजा भी मांगा। भारत ने पुणे में 20वीं एशियाई चैम्पियनशिप की मेजबानी की। इससे पहले दिल्ली ने 1989 में इस टूर्नामेंट की मेजबानी की थी। भारत को इसमें सिर्फ दो स्वर्ण पदक मिले और टीम छठे स्थान पर रही। चीन ने इसमें अपने कई शीर्ष खिलाड़ी नहीं भेजे थे। लंदन ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता कतर के हाईजम्पर मुताज इस्सा बारशिम और लंदन ओलंपिक के रजत पदक विजेता डिस्कस थ्रोवर ईरान के एहसान हदादी ने भी इसमें भाग नहीं लिया।
चीन ने 16 स्वर्ण, छह रजत और पांच कांस्य जीते जबकि बहरीन दूसरे और जापान तीसरे स्थान पर रहा। भारत के लिये डिस्कस थ्रो खिलाड़ी विकास गौड़ा और महिलाओं की चार गुणा 400 मीटर रिले टीम (एमआर पूवम्मा, टिंटु लुका, अनु मरियम जोस और निर्मला) ने स्वर्ण पदक जीते। जबकि कृष्णा पूनिया महिला डिस्कस थ्रो और सुधा सिंह दौड़ में फ्लाप रही। अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में साल भर भारत का प्रदर्शन उल्लेखनीय नहीं रहा। गौड़ा पेरिस में डायमंड लीग के नौवें चरण में चौथे स्थान पर रहे। एशियाई चैम्पियनशिप से ठीक पहले आईओए के पूर्व प्रमुख और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे सुरेश कलमाडी एशियाई एथलेटिक्स संघ के अध्यक्ष का चुनाव कतर के अहमद दहलान से हार गए।

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